2024 के महाराष्ट्र चुनाव के परिणाम को लेकर राजनीतिक बयानबाजी का दौर जारी है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने CSDS के डेटा के आधार पर चुनाव आयोग और बीजेपी सरकार पर गलत आरोप लगाए थे.
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अब जबकि CSDS ने स्वीकार किया है कि उनका डेटा गलत था और उन्होंने माफी मांग ली है, तब राहुल गांधी को भी माफी मांगनी चाहिए. हालांकि, फडणवीस ने तंज कसते हुए कहा कि राहुल गांधी ‘सीरियल लायर’ हैं, इसलिए उनसे यह उम्मीद करना बेकार है.
उन्होंने कहा, “यह सच है कि डेटा CSDS ने दिया था और उसी डेटा के आधार पर राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाए थे और साथ ही उन्होंने हमारी वैध रूप से चुनी हुई सरकार पर भी आरोप लगाए थे. आज CSDS ने स्वीकार किया है कि उनका डेटा गलत था और उन्होंने अपनी गलती के लिए माफी मांगी है. उन्होंने अपने पहले के सभी डेटा वापस ले लिए हैं.”
क्या राहुल गांधी माफी मांगेंगे- देवेंद्र फडणवीस
सीएम ने आगे कहा, “अब सवाल यह है कि क्या उसी डेटा के आधार पर राहुल गांधी ने आरोप लगाए थे. अब क्या वे भी माफी मांगेंगे? मुझे इसकी उम्मीद नहीं है, क्योंकि राहुल गांधी एक सीरियल झूठा हैं. इसलिए वह रोज झूठ बोलेंगे. लेकिन एक बात बिल्कुल साफ है कि सच्चाई जनता के सामने आ गई है…”
#WATCH | Mumbai: Maharashtra CM Devendra Fadnavis says, “This is a fact that data was given by CSDS, and based on that data, Rahul Gandhi had made allegations on the Election Commission, and also he had accused us of our legitimately elected government. Today, CSDS has tweeted on… pic.twitter.com/IHYmHasXK8
— ANI (@ANI) August 19, 2025
अब तक मामले में क्या हुआ?
विपक्ष लगातार महाराष्ट्र चुनाव में धांधली के आरोप लगाता रहा है. मामला सुप्रीम कोर्ट में भी जा पहुंचा. याचिकाकर्ता का दावा था कि 20 नवंबर 2024 को मतदान समाप्त होने के बाद करीब 76 लाख फर्जी वोट डाले गए. इससे पहले यह याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट में खारिज कर दी गई थी. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जहां चुनाव परिणाम को रद्द करने की मांग रखी गई.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मांग ठुकराते हुए साफ कहा कि फर्जी वोटिंग के पर्याप्त सबूत अदालत के सामने पेश नहीं किए गए. इस वजह से चुनाव परिणाम को रद्द नहीं किया जा सकता. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल आरोप लगाने से लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न नहीं लगाया जा सकता.