सीसीटीवी, हेल्पलाइन और पेट्रोलिंग की मांग:टैक्सी यूनियनों ने 24 घंटे की हड़ताल की, सुरक्षा न मिलने पर दी अनिश्चितकालीन आंदोलन की चेतावनी

by Carbonmedia
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भास्कर न्यूज | लुधियाना सुधार इलाके में सोमवार देर रात टैक्सी ड्राइवर गुरप्रीत सिंह की लूट के इरादे से बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे लुधियाना के टैक्सी चालकों को झकझोर कर रख दिया। साथी ड्राइवर की मौत के विरोध में टैक्सी यूनियन ने बुधवार सुबह 6 बजे से वीरवार सुबह 6 बजे तक 24 घंटे की हड़ताल का ऐलान किया, जिसमें शहर के 300 से अधिक टैक्सी चालकों ने भाग लिया। हड़ताल के तहत ग्रैंड वाक, वेव मॉल, हैबोवाल गोल चौक, आरती चौक, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और दुगरी सहित शहर के सभी प्रमुख टैक्सी स्टैंड पर गाड़ियां रोक दी गईं। हालांकि इस दौरान एम्बुलेंस, मेडिकल और अन्य आपातकालीन सेवाओं को नहीं रोका गया। टैक्सी यूनियन के प्रधान कुनाल शर्मा, रमणदीप, रमन कुमार सहित अन्य पदाधिकारियों ने बताया कि इस हड़ताल का उद्देश्य केवल गुरप्रीत सिंह की हत्या का विरोध नहीं, बल्कि पूरे ड्राइवर समुदाय की सुरक्षा को लेकर प्रशासन को चेताना है। उन्होंने कहा, “हमने किसी ड्राइवर पर दबाव नहीं बनाया, जो रास्ते में मिला उसे सम्मान से समझाया कि यह लड़ाई सबकी सुरक्षा के लिए है। ड्राइवरों ने बताया कि शहर में लूट, हमला और हत्या जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं। ऐसे में यदि वे आत्मरक्षा के लिए गाड़ी में एक छोटा डंडा भी रखें, तो पुलिस उनका चालान काट देती है। जब अपराधी खुलेआम हथियार लेकर घूमते हैं, तो हम अपनी सुरक्षा के लिए कहां जाएं? एक चालक ने सवाल उठाया। टैक्सी यूनियन ने प्रशासन से मांग की है कि टैक्सी ड्राइवरों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी निगरानी, विशेष हेल्पलाइन और रात के समय पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए। यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन अब भी कोई ठोस कदम नहीं उठाता, तो अगली बार अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। इस बीच टैक्सी चालकों से मिलने पहुंचे शिरोमणि अकाली दल के नेता परोपकार सिंह घुमान ने घोषणा की कि वे गुरप्रीत सिंह का केस बिना किसी फीस के खुद लड़ेंगे। उन्होंने कहा, यह सिर्फ एक ड्राइवर की हत्या नहीं, बल्कि मेहनतकश वर्ग की आवाज को कुचलने की कोशिश है। हम गुरप्रीत को न्याय दिलाकर ही चैन लेंगे। घटना के बाद से टैक्सी यूनियन में रोष है और अब वे संगठनात्मक स्तर पर अपनी सुरक्षा की रणनीति बना रहे हैं। गुरप्रीत सिंह की मौत ने एक बार फिर शहर में सार्वजनिक परिवहन से जुड़े लोगों की असुरक्षा की तस्वीर को उजागर कर दिया है।

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