हिमाचल प्रदेश में वन भूमि पर कब्ज़ा कर उगाए गए सेब के बागानों को काटने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. 2 जुलाई को हाई कोर्ट ने हजारों बीघा जमीन पर लगे सेब के पौधे काटने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस कटाई का खर्च बागान के मालिकों से वसूला जाए.
हाई कोर्ट ने सेब के पौधे काट कर वहां वापस वन उगाने के लिए कहा था. इसके लिए स्थानीय प्रकृति के अनुरूप पेड़ लगाए जाने थे. राज्य के सेब किसान इस कदम का तीव्र विरोध कर रहे थे. इस मसले पर शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पंवार की याचिका सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनी गई.
याचिकाकर्ता के वकील की दलीलयाचिकाकर्ता के वकील ने चीफ जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और एन वी अंजारिया से कहा कि हाई कोर्ट ने पर्यावरण से जुड़े सवालों पर विचार किए बिना आदेश दिया है. सेब के पौधे स्थानीय वातावरण के मुताबिक हैं. इस समय मानसून के चलते पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन का खतरा होता है. सेब के पौधे मिट्टी को जकड़ कर रखते हैं.
किसानों के लिए भारी आर्थिक नुकसानसुनवाई के दौरान यह भी दलील दी गई कि इस समय सेब के पौधे फलों से लदे हैं. अभी उन्हें काटना किसानों के लिए भारी आर्थिक नुकसान की वजह बनेगा. हिमाचल प्रदेश के हज़ारों किसान सेब की खेती पर निर्भर हैं. सेब की खेती को नष्ट करना उन्हें स्थायी नुकसान पहुंचाएगा. मामले पर थोड़ी देर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. जजों ने कहा कि सरकारी भूमि पर उगाए गए इन बागानों के सेब की नीलामी फिलहाल राज्य सरकार करें. बता दें कि भारत में सबसे ज्यादा सेब जम्मू और कश्मीर में होता है. यह राज्य देश के कुल सेब उत्पादन का लगभग 76.47% हिस्सा है. इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड भी महत्वपूर्ण सेब उत्पादक राज्य हैं.
ये भी पढ़ें: ‘अगले 20 सालों तक वहीं बैठोगे…’, संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान किस पर भड़के अमित शाह
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल में सेब के बागानों की कटाई पर लगाई रोक! किसानों को मिली राहत, सरकार को चेतावनी
1