सूबे में धरती की सेहत खराब, 82% सैंपलों में जैविक कार्बन की कमी, उर्वरता घट रही

by Carbonmedia
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देश के लोगों का पेट भरने वाले पंजाब की धरती की हालत चिंताजनक है। इस उपजाऊ धरती में पौषक तत्वों की कमी पाई गई है। यह खुलासा कृषि विभाग की सॉयल हेल्थ कार्ड की 2024-25 की रिपोर्ट में हुआ है। विभाग ने सभी जिलों से कृषि भूमि की मिट्‌टी के 2.75 लाख सैंपलों की जांच की। इसमें से 82.8% जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन (जैविक कार्बन) की मात्रा कम मिली है। इसमें से 36% में तो यह कमी बहुत ज्यादा है। 46.7% सैंपल में यह मध्यम है। जैविक कार्बन से जमीन के सभी पोषक तत्व जुड़े हैं। कृषि वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों अनुसार जैविक कार्बन की कमी आने से जमीन बंजर होने की ओर बढ़ रही है। यह खेत में अवशेष जलाने और फसल चक्र में बदलाव न करने के कारण हो रहा है। इससे जमीन की उत्पादन क्षमता भी घट रही है। इस लिए जमीन में तत्काल सुधार लाने की जरूरत है। पंजाब में नई कृषि नीति में धान, गेहूं की फसल का 15 लाख हेक्टेयर रकबा कम कर कॉटन, मक्की, मूंगी का रकबा बढ़ाने की योजना है। लेकिन 3 साल में कृषि नीति लागू ही नहीं हो पाई है। कहां कितने सैंपल में आयरन की कमी बठिंडा 71.64 फिरोजपुर 46.34 संगरूर 44.44 कहां कितने सैंपल में पोटेशियम की कमी गुरदासपुर 100.00 फाजिल्का 100.00 मोहाली 99.79 रोपड़ 99.63 मालेरकोटला 99.40 कहां कितने सैंपल में जैविक कार्बन कम जालंधर 90.35 बरनाला 86.67 फतेहगढ़ 77.97 रोपड़ 62.12 कौन से पोषक तत्वों की कितनी कमी पोटेशियम 57.20 मैंगनीज 49.21 फास्फोरस 33.51 आयरन 18.93 सल्फर 10.68 जिंक 8.29 कॉपर 2.11 जैविक खाद से ठीक रख सकते हैं मिट्‌टी की सेहत 2024 फसलों में पोषक तत्वों की कमी के ये हैं लक्षण 2023 डा. गुरविंदर सिंहपूर्व डायरेक्टर, कृषि विभाग साल अत्यधिक जुताई, वनों की कटाई और फसलों के अवशेष को जलाना मिट्‌टी में कार्बनिक पदार्थों को नष्ट कर देते हैं। वहीं, रासायनिक उर्वरको के अत्यधिक उपयोग से मिट्‌टी के सूक्ष्मजीवों की संख्या कम हो जाती है। फसलों के अवशेष को जलाने से कार्बनिक पदार्थ मिट्‌टी में वापस नहीं जा पाते। इससे धरती की उर्वरता कम हो जाती है। जमीन में पोषक तत्वों की कमी से खाद का खर्च बढ़ रहा है। यूरिया का ज्यादा प्रयोग हो रहा है। फसल जरा सी बारिश से गिर जाती है। ज्यादा उर्वरकों, पेस्टीसाइड से तैयार फसलों व सब्जियों के खाने से इंसान व पशुओं को भी बीमारियां हो रही हैं। किसान पराली न जला कर, फसल चक्रण कर और जैविक खाद का इस्तेमाल कर मिट्‌टी की सेहत ठीक रख सकते हैं। { बोरॉनः पौधों के ऊपर के पत्ते मर जाते हैं। नई पत्तियों का रंग फीका भी पड़ जाता है। { गंधकः पत्तियों का हरा रंग कम हो जाता है। पत्ते पीले-सफेद हो जाते हैं। { मैंगनीजः पत्तियों की नसों में भूरे रंग के धब्बे होते हैं। ये पीली और जालीदार हो जाती है। { मैग्नीशियमः पत्तियां आकार में छोटी या ऊपर की ओर मुड़ी दिखाई देती है। पत्ते के किनारों व शिराओं का हरा रंग कम होता है। पत्तियों में भोजन बनाने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। { जिंकः पत्तियों में नसें पीली हो जाती हैं। पत्ते भूरे, बैंगनी व लाल रंग के होते हैं। पत्तियां झड़ जाती हैं। { फास्फोरसः पत्ती का पिछला भाग बैंगनी होता है। पत्तियां छोटी रहती हैं। जड़ों का विकास बहुत कम होता है। { कैल्शियमः नई पत्तियों के किनारे सिकुड़ते हैं। नए पत्ते सफेद होते हैं। { आयरनः पौधे की वृद्धि रुक जाती है। अत्यधिक कमी से पौधा नष्ट तक हो जाता है। { कॉपरः पत्तियों के अग्रभाग मुड़ जाते हैं। शिराओं में हरित द्रव्य कम होता है। { पोटेशियमः पत्तियों के किनारे लाल हो जाते हैं। लाल, पीले धब्बे हो जाते हैं। किनारे व सिरे झुलसे दिखाई पड़ते हैं। { सल्फरः नई पत्तियां पीली पड़ जाती हैं। पौधे का विकास धीमा होता है। { नाइट्रोजनः पौधे की निचली पत्तियां पीली होती हैं। जड़-पौधे की वृद्धि रुक जाती है। फूल-फल कम हो जाते हैं। घटना 2022 10909 36663 49922 पराली जलाने की घटनाएं (सभी आंकड़े फीसदी में हैं) भास्कर एक्सक्लूसिव कृषि भूमि के 2.75 लाख सैंपलों की जांच में खुलासा

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