सूरत: अकील नानाबावा और पत्नी की अंतिम विदाई में उमड़ी भीड़, प्लेन क्रैश में गई थी जान

by Carbonmedia
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Air India Plane Crash News: गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून को एअर इंडिया विमान हादसे में 270 लोगों की मौत हो गई. मृतकों की पहचान के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है. सूरत के हरिपुरा में ब्रिटिश नागरिक अकील नानाबावा और उनकी पत्नी हन्ना वोराजी को अंतिम विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. 
रात के करीब डेढ़ बजे थे. सूरत की सड़कें शांत और सुनसान थीं लेकिन शहर के हरिपुरा इलाके में हसनजी कब्रिस्तान के बाहर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे. वे अकील नानाबावा और उनकी पत्नी हन्ना वोराजी को अंतिम विदाई देने आए थे, जो 12 जून को अहमदाबाद में एयर इंडिया विमान दुर्घटना में मारे गए 241 यात्रियों में शामिल थे. उनकी 4 साल की बेटी सारा भी इसी हादसे में जान गंवाई थी.
सूरत के साथ अकील के परिवार का संबंध पुराना
अकील नानाबावा भले ही ब्रिटिश नागरिक थे, लेकिन सूरत के साथ अकील के परिवार का संबंध कई पीढ़ियों पुराना है. बोहरा समुदाय के सदस्य, जो सूरत में कई संपत्तियों के मालिक हैं. नानाबावा शहर में बहुत प्रसिद्ध और सम्मानित शख्स थे. बताया जाता है कि अकील अपने पड़ोसियों के प्रति हमेशा गर्मजोशी से पेश आते थे. अकील के पिता अब्दुल्ला अभी भी इस नुकसान से उबर नहीं पाए हैं. 
‘भावनाओं को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, “मेरे बेटे और उसके परिवार के बारे में मेरी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. कुछ दिन पहले ही, हम सभी ने बकरीद मनाई. मैंने उसे लंदन के लिए वापसी की उड़ान के लिए अहमदाबाद में छोड़ा. उनकी यात्रा छोटी थी, लेकिन उनके साथ बिताए पल मेरे लिए यादगार बन गई और हमेशा रहेगी.”
‘विदेश में रहने के बावजूद अकील अपनी जड़ों से जुड़े रहे’
परिवार के एक मित्र राशिद ने बताया, “वे हमेशा गर्मजोशी से भरे, सौम्य और मिलनसार थे. विदेश में रहने के बावजूद, वह अपनी जड़ों से जुड़े रहे.” नानाबावा दशकों से ब्रिटेन में रहते थे. करीब 15 साल पहले अब्दुल्ला सूरत लौट आए थे, जबकि उनके चार बेटे और उनकी मां ग्लूसेस्टर में ही रह गए थे. एक पड़ोसी ने बताया कि चारों भाई – सभी ब्रिटिश नागरिक – अक्सर अपने पिता से मिलने सूरत आते थे.”
सूरत के हरिपुरा इलाके में कब्रिस्तान के बाहर जब नमाज-ए-जनाजा के लिए भीड़ उमड़ी, तो शोक मनाने वालों में मौलवी, सामाजिक कार्यकर्ता, रिश्तेदार, दोस्त और समुदाय के सदस्य शामिल थे. 
 

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