सूर्य देव की उपासना, कपड़े, अनाज, धन व भोजन का दान करने का शुभ दिन आज

by Carbonmedia
()

भास्कर न्यूज | जालंधर हिंदू धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व है। सूर्य भगवान के राशि बदलने को संक्रांति कहते हैं। शिव शक्ति मां बगलामुखी धाम के मुख्य पंडित विजय शास्त्री ने बताया कि 15 जून को सुबह 6:44 मिनट पर सूर्य भगवान वृष राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य का राशि परिवर्तन होने से इस दिन आषाढ़ मास का संक्रांति पर्व है। पुराणों के मुताबिक मिथुन संक्रांति पर गंगा जल से नहाने के बाद उगते हुए सूरज को जल चढ़ाने और जरूरतमंद लोगों को दान देने की परंपरा है। ऐसा करने से मिलने वाला पुण्य लंबे समय तक रहता है। इस दिन श्राद्ध करने से पितरों का तृप्ति भी मिलती है। शास्त्रों में सूर्य को सभी ग्रहों का पिता माना गया है। सूर्य देव के शुभ होने पर व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य भी बदल जाता है। इस दिन स्नान-दान और सूर्य भगवान को अर्घ्य देने का विधान ग्रंथों में विधिवत बताया गया है। हर संक्रांति का अपना महत्व होता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य पूजा कर के अर्घ्य देने से शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं। परिवार में किसी भी सदस्य पर कोई मुसीबत या रोग नहीं होता। सूर्य की संक्रांति पर पितरों की संतुष्टि के लिए श्राद्ध करने का भी विधान ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन किए गए स्नान-दान से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता। सूर्य भगवान को दे अर्घ्य सूर्य भगवान की पूजा के लिए तांबे की थाली और तांबे की गड़वी का इस्तेमाल करें। थाली में लाल चंदन, लाल फूल और घी का दीपक रखें। दीपक तांबे या मिट्‌टी का हो सकता है। अर्घ्य देते समय गड़वी के पानी में लाल चंदन मिलाएं और लाल फूल भी डालें। ऊँ घृणि सूर्याय नमः मंत्र बोलते हुए अर्घ्य दें और प्रणाम करें। अर्घ्य वाले पानी को जमीन पर न गिरने दें। किसी तांबे के बर्तन में ही अर्घ्य गिराएं। फिर उस पानी को किसी ऐसे पेड़-पौधे में डाल दें। जहां किसी का पैर न लगें।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment