सोनीपत नगर निगम में प्रापर्टी आईडी घोटाले का खुलासा:दो चार्जशीट, रिश्वत मांगने पर एक क्लर्क को सीट से हटाया गया

by Carbonmedia
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सोनीपत नगर निगम में प्रापर्टी आईडी से जुड़ी गड़बडिय़ों को लेकर लगातार आ रही शिकायतों के बाद अब प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। नगर निगम कमिश्नर हर्षित कुमार के निर्देश पर भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों पर एक के बाद एक कार्रवाई की जा रही है। प्रापर्टी आईडी को गलत ढंग से किसी और के नाम पर दर्ज करने और गड़बडिय़ां ठीक करने के बदले रिश्वत मांगने जैसे मामलों में तीन क्लर्कों पर कार्रवाई की गई है। गलत प्रापर्टी आईडी के लिए दो क्लर्कों को चार्जशीट नगर निगम कमिश्नर हर्षित कुमार ने क्लर्क सुनील हुड्डा और सोनू को गंभीर गड़बड़ी के लिए चार्जशीट किया है। दोनों पर आरोप है कि इन्होंने किसी व्यक्ति की प्रापर्टी आइडी को किसी अन्य के नाम पर दर्ज कर दिया। यह मामला औचक जांच के दौरान सामने आया, जिसके बाद कार्रवाई की गई। रिश्वत मांगने पर क्लर्क अजय को शोकॉज नोटिस प्रापर्टी आईडी में गलती को ठीक करने के बदले पैसे मांगने के आरोप में क्लर्क अजय के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई थी। इस पर निगम आयुक्त ने उसे कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है और तत्काल प्रभाव से उसकी मौजूदा सीट से हटाकर स्थापना शाखा में नियुक्त कर दिया गया है। पिछले महीने भी एक क्लर्क हुआ था सस्पेंड यह पहला मामला नहीं है। पिछले महीने भी क्लर्क हरिओम को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था। वह एक पीड़ित से 15 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहा था। पीड़ित ने हिडन कैमरे से उसका वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर दिया था, जिसके बाद मामले की जांच संयुक्त निगम आयुक्त को सौंपी गई थी और दोषी पाए जाने पर क्लर्क को सस्पेंड कर दिया गया था। भ्रष्टाचार पर सख्त हुआ नगर निगम प्रशासन नगर निगम प्रशासन लगातार प्रापर्टी आईडी से संबंधित गड़बडिय़ों पर नजर बनाए हुए है। नगर निगम कमिश्नर हर्षित कुमार ने पहले ही सभी क्लर्कों का तबादला कर दिया था, लेकिन कुछ क्लर्क आपसी सेटिंग कर भ्रष्टाचार जारी रखे हुए थे। अब भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए निगम प्रशासन ने एक बार फिर सख्ती दिखाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि लापरवाही और गड़बडिय़ों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जनता की परेशानी दूर करने के लिए लगाए जा रहे कैंप प्रशासन ने लोगों की समस्याएं हल करने के लिए प्रापर्टी आईडी में सुधार के लिए विशेष कैंप लगाने शुरू किए हैं। इन कैंपों में आमजन अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं और गड़बडिय़ों का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए सतत निगरानी रखी जा रही है। नगर निगम कमिश्नर हर्षित कुमार का बयान नगर निगम कमिश्नर हर्षित कुमार ने स्पष्ट कहा है कि प्रापर्टी आईडी की गलतियों को लेकर की जा रही लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में कोई भी कर्मचारी नागरिकों के अधिकारों से खिलवाड़ न कर सके। पूर खेल समझिए, कैसे किया जाता है गड़बड़झाला… निगम ने बना रखी हेल्प डेस्क, फ्री होता है काम: सोनीपत नगर निगम में प्रॉपर्टी आईडी में किसी प्रकार की कोई समस्या या परेशानी आती है तो उसको ठीक करने के लिए ऑनलाइन ऑब्जेक्शन लगवाने होते हैं। इसके लिए निगम में हेल्प डेस्क बनाई गई है, जहां सारे काम फ्री होते हैं। प्रॉपर्टी आईडी में अलग-अलग प्रकार के विकार को ठीक कराने को लेकर प्रशासन की ओर से 2 दिन से लेकर 15 दिन के भीतर ठीक होने का नियम बनाया गया है। यह पूरी तरह से ऑनलाइन प्रक्रिया रहती है। इस पर अधिकारियों की भी निगरानी रहती है। फर्जी आईडी तैयार होती हैं प्रॉपर्टी आईडी में सुधार के लिए आवेदन की प्रक्रिया के तहत पहले फाइल मेकर के पास जाती है, जो दस्तावेज जांच कर उसे चेकर को भेजता है। चेकर नियमों के अनुसार अंतिम निर्णय लेता है। परंतु निगम में इस प्रक्रिया को ताक पर रखकर फाइलों को बिना पर्याप्त दस्तावेजों के पास किया गया। जिससे फर्जी आईडी तैयार कर दूसरे के नाम से संपत्तियां चढ़ाई गई। इस तरह किया जाता है परेशान: लोगों की प्रॉपर्टी आईडी पर बार-बार अलग-अलग कारण बताकर रिजेक्ट किया जाता है। यह इसलिए किया जाता है, क्योंकि व्यक्ति अपना काम का छोड़कर निगम के जब चक्कर काटेगा तो परेशान होगा। परेशान व्यक्ति पैसे देकर अपना काम करवाने के लिए मजबूर होगा। हालात यह भी हैं कि प्रॉपर्टी आईडी किसी और के नाम भी चढा दी जाती है। किसी भी विवादित मामले में एक पक्ष से मोटी रिश्वत लेकर आईडी को उसके नाम कर दिया जाता है। बाद में दूसरा पक्ष धक्के खाकर थक जाता है। लेकिन कोई समाधान नहीं होता। पहले बनी आईडी भी जांच का विषय: सीट पर बैठे हुए यह क्लर्क के तार दूर-दूर तक जुड़े हुए हैं। जिस प्रकार से दो क्लर्क नगर निगम द्वारा बनाई गई लॉगिन आईडी का दुरुपयोग कर रहे थे और जिसके चलते मोटे पैसे लेकर किसी के भी नाम किसी की प्रॉपर्टी कर देते हैं। अब यह जांच का विषय है कि इसमें अन्य और कितने नाम शामिल है। कितने लोगों की प्रॉपर्टी आईडी को पैसे लेकर ठीक किया गया। स्थानीय लोग हर बार ये शिकायत करते हैं कि नगर निगम में दलाल सक्रिय रहते हैं। इतना ही नगर निगम के सरल केंद्र में दलाल मौजूद रहते हैं।प्रॉपर्टी आईडी ठीक करवाने के लिए दलालों के माध्यम से ही पैसे लिए जाते हैं। लगातार कमिश्नर के एक्शन के बाद हडकंप मचा हुआ है। इसलिए दलाल चौकन्ना होकर काम कर रहे हैं।

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