सोनीपत में नहर में डूबे पिता-पुत्र के शव अलग-अलग जगहों से बरामद किए गए हैं। यह हादसा वीरवार को हुआ था, जब दोनों पानी भरने के लिए नहर किनारे पहुंचे थे। बेटे के नहाते समय डूबने पर पिता ने उसे बचाने के लिए छलांग लगाई थी, लेकिन दोनों तेज बहाव में बह गए। करीबन 32 घंटे बाद शुक्रवार शाम को पिता सतबीर का शव खरखौदा रोड के पास नहर में तैरता मिला। पिता के शव मिलने के 9 घंटे बाद शनिवार को सुबह करीब 4 बजे बेटे जतिन का शव भी मोई हुड्डा गांव के पास हेड से बरामद किया गया। पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल हॉस्पिटल गोहाना भेज दिया। कैसे हुआ हादसा गोहाना के गांव सरगथल के रहने वाले 45 वर्षीय सतबीर वीरवार को अपने 14 वर्षीय बेटे जतिन के साथ जेएलएन नहर किनारे पानी भरने आए थे। नहर के पास लगे मीठे पानी के नलकूप से गांव के लोग घर के उपयोग के लिए पानी भरते हैं, क्योंकि गांव का पानी पीने योग्य नहीं है। सुबह करीब 10:30 बजे सतबीर और जतिन पानी भरने आए थे। उसी दौरान जतिन ने नहाने की इच्छा जताई। नहर में कूदा बच्चा, बचाने गया पिता भी डूबा सतबीर ने जतिन को कम गहराई वाली दूसरी नहर में नहाने का इशारा किया, लेकिन बच्चा गलती से मुख्य नहर में कूद गया। जो लगभग 10 से 12 फीट गहरी है और जिसमें तेज बहाव था। बेटे को डूबता देख सतबीर ने बिना देर किए छलांग लगा दी, लेकिन पानी के तेज बहाव में दोनों बह गए। कुछ ही पलों में दोनों पानी में गायब हो गए। जहां अब दोनों पिता -पुत्र के शव को अलग-अलग जगह से नहर में तैरता हुआ बरामद किया गया है पत्नी का आखरी सहारा हुआ खत्म जानकारी के मुताबिक पिता सतबीर और जतिन पानी लाने के कई चक्कर कर चुके थे। आखरी चक्कर मौत का कारण बना। सतबीर की पत्नी को मालूम नहीं था कि आज के बाद बेटे और पति सतबीर से कभी बात नहीं हो पाएगी। जतिन की मां को ताउम्र मलाल रहेगा कि आखरी बार भी पति और बेटे से बात नहीं कर पाई। आंखों के आंसू सूख नहीं पा रहें और मां बार-बार बेसुध होकर यही बात पुकार रही कि पानी लेकर पति और उसका बेटा घर कब आएंगे। सच जानकर भी जतिन की मां को विश्वास नहीं हो रहा कि आज के बाद कभी पति और बेटे से मिल नहीं पाएगी। इस हादसे ने हर किसी को झकझोर करके रख दिया। परिवार भी काफी गरीब है। बचाने की कोशिश असफल रही घटना के प्रत्यक्षदर्शी धर्मबीर ने बताया कि पास ही खड़े एक गांव के लड़के ने जतिन को बचाने का प्रयास किया। लेकिन नहर के तेज बहाव के कारण वह खुद को ही सुरक्षित बाहर निकालने में जुट गया। देखते ही देखते पिता और पुत्र दोनों पानी में लापता हो गए। इकलौता बेटा था जतिन, घर के बूझे दो चिराग स्थानीय लोगों ने बताया कि जतिन परिवार में इकलौता बेटा था और उसकी एक बहन है। जतिन 9वीं कक्षा में पढ़ता था और उसके पिता सतबीर मोबाइल की दुकान चलाते थे। उनके परिवार का एकमात्र कमाने वाला भी सतबीर ही था। हादसे के बाद मां और बेटी अकेले रह गई हैं और घर में मातम पसरा हुआ है। परिवार में सतबीर और बेटे जतिन की मौत के बाद दो चिराग एक साथ बुझ गए। नहर किनारे नहीं कोई सुरक्षा, हर साल होता है हादसा स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि जेएलएन नहर के दोनों ओर कोई भी सुरक्षा इंतजाम नहीं है। हर साल गर्मियों में बच्चे यहां डूबते हैं और जान गंवाते हैं। ग्रामीणों ने नहर के किनारों पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने की अपील की है ताकि भविष्य में इस तरह की दर्दनाक घटनाएं रोकी जा सकें। ग्रामीणों ने की आर्थिक मदद की मांग
पिता-पुत्र की मौत के बाद ग्रामीणों को कहना है कि परिवार बेहद गरीब है और न ही आय का कोई साधन है। कमाने खाने के लिए कोई जमीन भी नहीं है।सरकार से मांग की है कि सतबीर के चले जाने के बाद पत्नी और बेटी के गुजारे के लिए सरकार की तरफ से आर्थिक सहयोग मिले। गांव के लोगों का कहना है कि सतबीर शरीफ आदमी था। उसका किसी के साथ कोई विवाद भी कभी नहीं रहा। गांव के लोगों ने कहा है कि स्थानीय जनप्रतिनिधी के माध्यम से सरकार तक बात पहुंचाई जाएगी।
सोनीपत नहर में तैरते मिले पिता-पुत्र के शव:बेटे को बचाने कूदा था पिता; पानी भरने गए थे, ग्रामीणों ने आर्थिक मदद की मांग की
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