सोनीपत नगर निगम में भ्रष्टाचार के गंभीर मामले में क्लर्क हरिओम को सस्पेंड कर दिया गया है। प्रॉपर्टी आईडी ठीक करने के नाम पर 15 हजार रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में कार्रवाई की गई है। हरिओम लम्बे समय से फरार चल रहा था और जांच में सहयोग नहीं कर रहा था। नगर निगम कमिश्नर की सख्ती के चलते अब मामले की जांच तेज कर दी गई है। नगर निगम कमिश्नर हर्षित कुमार ने भ्रष्टाचार के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए क्लर्क हरिओम को निलंबित कर दिया है। हरिओम ने एक व्यक्ति से प्रॉपर्टी आईडी सुधारने के बदले 15 हजार रुपए की रिश्वत ली थी। मामले की भनक लगते ही आरोपी बिना बताए कार्यालय से गायब हो गया और जांच में सहयोग नहीं कर रहा था। दैनिक भास्कर डिजिटल रिपोर्टर ने आरोपी को एक्सपोज किया और खबर प्रमुखता से दिखाई। जांच में लगातार टालमटोल, वीडियो नहीं मिलने का दिया बहाना हरिओम को नगर निगम की ओर से तीन बार नोटिस जारी किए गए, लेकिन उसने पेश होने के बजाय यह कहकर टालमटोल की कि उसे रिश्वत की वीडियो नहीं मिली है। जबकि वीडियो उसे वॉट्सऐप पर भेजी जा चुकी थी। अब अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि उसे हर हाल में जांच में शामिल होना पड़ेगा। नगर निगम कमिश्नर की भ्रष्टाचार पर सख्त चेतावनी कमिश्नर हर्षित कुमार पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने ज्वॉइनिंग के समय ही कर्मचारियों को चेतावनी दी थी कि किसी प्रकार की गड़बड़ी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी। इस मामले में भी जांच जॉइंट कमिश्नर मीतू धनखड़ को सौंपी गई थी। नगर निगम में रिश्वत से कैसे हुआ काम? सिलसिलेवार पढ़िए… सोनीपत के मोहन नगर के रहने वाले विनोद और रोहित ने बताया कि मोहन नगर में ही उनके 211 गज के प्लॉट की प्रॉपर्टी आईडी पड़ोसी की जमीन में दर्शाई गई है। इसे लेकर वह और उसका भतीजा रोहित 2 महीने से अफसरों के दरवाजे पर धक्के खाता रहा। चपरासी के कहने पर उन्होंने निगम के क्लर्क हरिओम से बातचीत की। हरिओम डिप्टी मेयर मंजीत गहलावत के कार्यालय में कमरा नंबर 8 में कार्यरत रहा है। 7 मई को उनसे डिप्टी मेयर के कमरे में बुलाकर 15 हजार की रिश्वत ली गई। उसने इसकी चोरी छुपे कैमरे से वीडियो बना ली। दो महीने काटे चक्कर, रिश्वत दी तो एक दिन में ठीक प्रॉपर्टी आईडी की समस्या को 1 दिन में ही ठीक कर दिया। इससे पहले पीड़ित व्यक्ति को कागजात में कमियां बताकर 2 माह से चक्कर कटवाए जा रहे थे। सीधे रुपए तो नहीं मांगे जा रहे थे, लेकिन कभी यह कागज लेकर आओ और कभी यहां साइन नहीं है, इस तरह से परेशान किया जा रहा था। इससे व्यक्ति परेशान हो गया था। उसने क्लर्क हरिओम से संपर्क किया तो उसे कहा गया- लालच छोड़कर अपना काम करवा लो भाई…। मुझे नहीं चाहिए, आगे देने हैं। हरिओम ने डिप्टी मेयर मंजीत गहलावत के कमरे में बैठकर यह रिश्वत ली गई। पीड़ित व्यक्ति ने क्लर्क के रिश्वत लेते की वीडियो बना ली और निगम कमिश्नर को भेज दी। 3 पॉइंट्स में जानिए क्लर्क ने कैसे ली रिश्वत… दलालों का कब्जा सेक्टर-7 निवासी सतीश के अनुसार, नगर निगम में जानबूझकर प्रॉपर्टी आईडी बार-बार रिजेक्ट की जाती है, ताकि लोग थक-हार कर पैसों के बदले काम करवाने को मजबूर हों। सरल केंद्र सहित कई स्थानों पर दलाल खुलेआम सक्रिय हैं, जिससे आम नागरिकों को बार-बार निगम के चक्कर काटने पड़ते हैं। आरोपी के खिलाफ जांच होगी तेज, अन्य की भूमिका भी जांच के घेरे में अब कमिश्नर द्वारा क्लर्क हरिओम के खिलाफ कार्रवाई के साथ-साथ इस मामले में अन्य कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि इस पूरे नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल है। यहां जानिए क्या कहता है नगर निगम का नियम… निगम ने बना रखी हेल्प डेस्क, फ्री होता है काम सोनीपत नगर निगम में प्रॉपर्टी आईडी में किसी प्रकार की कोई समस्या या परेशानी आती है तो उसको ठीक करने के लिए ऑनलाइन ऑब्जेक्शन लगवाने होते हैं। इसके लिए निगम में हेल्प डेस्क बनाई गई है, जहां सारे काम फ्री होते हैं। प्रॉपर्टी आईडी में अलग-अलग प्रकार के विकार को ठीक कराने को लेकर प्रशासन की ओर से 2 दिन से लेकर 15 दिन के भीतर ठीक होने का नियम बनाया गया है। यह पूरी तरह से ऑनलाइन प्रक्रिया रहती है। इस पर अधिकारियों की भी निगरानी रहती है। इस तरह किया जाता है परेशान लोगों की प्रॉपर्टी आईडी पर बार-बार अलग-अलग कारण बताकर रिजेक्ट किया जाता है। यह इसलिए किया जाता है, क्योंकि व्यक्ति अपना काम का छोड़कर निगम के जब चक्कर काटेगा तो परेशान होगा। परेशान व्यक्ति पैसे देकर अपना काम करवाने के लिए मजबूर होगा।
सोनीपत निगम का रिश्वतखोर क्लर्क सस्पेंड:डिप्टी मेयरऑफिस में लिए थे 15 हजार; जांच में दोषी, रिश्वत से प्रॉपर्टी आईडी 1 दिन में ठीक हुई
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