सोनीपत बैग बेचने वाले के बेटे ने NEET किया क्लियर:यशिका शर्मा ने भी किया कमाल; जिले के कई होनहारों ने नाम किया रोशन

by Carbonmedia
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नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने शनिवार को NEET-UG 2025 का रिजल्ट जारी किया, जिसके बाद सोनीपत जिले के कई होनहार बच्चों ने जिले का नाम रोशन किया है। एक तरफ जहां बैग बेचने वाले पिता के बेटे संयम वधवा ने ऑल इंडिया 1228वीं रैंक हासिल की है। वहीं डॉक्टर दंपती की बेटी यशिका शर्मा ने ऑल इंडिया 1063वीं रैंक प्राप्त कर अपने माता-पिता का सपना पूरा किया है। इन दोनों छात्रों की सफलता से न केवल उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है, बल्कि समाज को भी एक नई प्रेरणा मिली है। शास्त्री कॉलोनी के रहने वाले कुश ने ऑल इंडिया 2466 रैंक हासिल किया है। जानिए अलग-अलग स्टूडेंट्स की सफलता की कहानी… सोनीपत के महलाना रोड पर रहने वाली यशिका शर्मा ने छोटी सी उम्र में ही अपने दंपती माता-पिता को देखकर डॉक्टर बनने की जिद की थी और माता-पिता ने उसे कहा था कि बेटा इसके लिए बहुत ज्यादा पढ़ाई करनी पड़ेगी। जैसे जैसे बड़ी होती गई तो अपने माता-पिता के क्लिनिक में जाकर उनको मिलने वाले सम्मान से काफी प्रेरित होती थी। उन्होंने अपनी दसवीं की पढ़ाई सोनीपत के जानकीदास से स्कूल से साल 2022 में और 12वीं की पढ़ाई दिल्ली से की है। डॉक्टर बनने के सपने ने उसको पढ़ाई के प्रति लगन को कम नहीं होने दिया। अकादमिक उपलब्धियों में रही अव्वल यशिका शर्मा ने दसवीं कक्षा में जिला टॉप किया था। 12वीं कक्षा में वह दूसरे स्थान पर रही। यशिका ने बताया कि उनकी माता डॉक्टर प्रीति गौतम और पिता अरविंद गौतम हमेशा उनकी प्रेरणा रहे हैं। यशिका ने बताया कि वह लगातार पढ़ाई करने के उपरांत खुद को रिलैक्स करने के लिए अक्सर वे स्केच बना लेती है। उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ स्केच बनाने का काफी शौक है। हालांकि उनके पिता ने यह भी बताया कि उसे डांस का भी बहुत ज्यादा शौक है। लेकिन इन दोनों एग्जामिनेशन को लेकर उसने अपने डांस को दूर रखा। यशिका शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपना लक्ष्य पहले से ही निर्धारित किया हुआ था और इसी वजह से उन्होंने अपने लक्ष्य को हमेशा अपने जहां में रखा और करीबन 12 से 14 घंटे तक वह पढ़ाई करती रही। सोशल मीडिया से बनाई दूरी, हेल्थ पर रखा ध्यान यशिका ने बताया कि वह सोशल मीडिया से दूर थी। उसने केवल वॉट्सऐप क्लास को लेकर प्रयोग किया है। उन्होंने यह भी बताया कि वह घर से बाहर भी नहीं जाती थी और बाहर का खाना खाने के लिए कई बार जब उनको कहा जाता तो वह मना कर देती। क्योंकि उनका कहना है कि उस दौरान जो लक्ष्य उन्होंने निर्धारित किया है, बाहर का खाना खाने से अगर बीमार पड़ गई तो लक्ष्य अधूरा रह जाएगा। इसी वजह से उसने अपने लक्ष्य से कभी नजर नहीं हटाई। गरीबों की सेवा करना चाहती है यशिका यशिका का कहना है कि वह अपने डॉक्टरी पेशा के जरिए गरीब और कमजोर लोगों इलाज करना चाहती है। यह एक ऐसा पेशा है जिसमें लोगों की जान बचाई जाती है। उन्होंने कहा है कि उनके माता-पिता भी अक्सर लोगों की मदद करते हैं और उन्हीं से यह प्रेरणा उन्हें मिली है। इलाज के अभाव में लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। वह अपने पेशे के साथ ईमानदारी और सकारात्मक सोच के साथ काम करना चाहती है। यशिका की माता डॉक्टर प्रीति गौतम का कहना है कि उनके लिए यह है बेहद खुशी का पल है कि आज उनकी बेटी ने नीट की परीक्षा पास की है। उनकी बेटी की 3 साल की मेहनत है और आज वह रंग लाई है। उनकी बेटी ने 12वीं के बाद पहले ही प्रयास में यह परीक्षा पास कर ली है। बेटियों के नाम यशिका का संदेश यशिका का कहना है कि सभी माता-पिता को अपनी बेटियों पर विश्वास रखना चाहिए। बेटियां अपने माता-पिता से बहुत ज्यादा अटैच होती है। अपने माता-पिता के लिए प्राउड करवाने के लिए वह कुछ भी कर सकती हैं। ग्रामीण स्तर पर भी बेटियों को विश्वास के साथ बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा है कि सभी बेटियां देश का नाम रोशन करती हैं।यशिका का कहना है की काउंसलिंग के बाद उसे एमबीबीएस का कॉलेज मिल जाएगा। उसके बाद साढ़े 5 साल का एमबीबीएस का कोर्स रहेगा। बैग बेचने वाले के बेटे ने भी किया कमाल वहीं साधारण परिवार के बेटे संयम ने भी कमाल कर दिखाया है। सोनीपत के अशोक नगर के रहने वाले संयम वधवा ने ऑल इंडिया 1228 रैंक हासिल किया है। उन्होंने अपने दसवीं की पढ़ाई वैदिक कर स्कूल से की है और वही 12वीं दिल्ली से पास की है। से के पिता कच्चे क्वार्टर बाजार में बैग बेचने का काम करते हैं। उनका पूरा परिवार एक जॉइंट फैमिली में रहता है। छोटी उम्र में लिया बड़ा फैसला संयम ने बताया कि वह 6 से 8 घंटे पढ़ाई करते रहे हैं और उन्होंने अपनी दसवीं की पढ़ाई के उपरांत निर्णय किया था कि उन्हें डॉक्टर बनना है और उसके लिए ही तैयारी करनी है। संयम को क्रिकेट खेलने का बड़ा ज्यादा शौक है और अक्सर सप्ताह में वह दो से तीन दिन खेलने के लिए चले जाते हैं। लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए किए हुए निर्धारित समय में कभी कटौती नहीं की। परिवार ने भी कभी पढ़ाई का दबाव नहीं बनाया। माता टीचर, पिता का छोटा व्यवसाय, फिर भी बड़ा सपना उनकी मां ममता स्कूली टीचर है। उनके पिता राकेश वधवा कच्चे क्वार्टर बाजार में पुश्तैनी कारोबार कर रहे हैं और दुकान बेचकर गुजारा करते हैं। संयम अपने परिवार में बड़ा बेटा है और उसका छोटा भाई आठवीं कक्षा में पढ़ता है। दादी-दादा ने पोते को मिठाई खिला दी बधाई संयम की मां ममता का कहना है कि उनके बेटे की पढ़ाई के प्रति एक लगन हमेशा रही है उन्होंने पढ़ाई को कभी नेगलेक्ट नहीं किया। उनकी मां ने यह भी कहा है कि अक्सर वह सोशल मीडिया पर भी कभी-कभी रील्स देखता रहता है। लेकिन वह अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटका। उसने साबित करके दिखा दिया कि लक्ष्य मजबूत हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है और संयम ने उसे बखूबी पूरा करते हुए परिवार का नाम रोशन किया है और परिवार में खुशी की लहर है खास तौर पर दादा और दादी की आंखों में काफी खुशी नजर आई। उन्होंने अपने पोते को मिठाई खिलाकर बधाई दी है। शास्त्री नगर के रहने कुश को मिला 2466 रैंक सोनीपत के शास्त्री कॉलोनी के रहने वाले कुश ने ऑल इंडिया 2466 रैंक हासिल किया है। नीट में उनके 588 मार्क्स आए हैं। परिवार में परिवार में खुशी की लहर है और बचपन से ही उसने डॉक्टर बनने का सपना देखा था। 11 से 12 घंटे पढ़ाई करता रहा है और कुश ने अपनी उपलब्धि पर माता-पिता और गुरुजनों को श्रेय दिया है।

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