सोनीपत में चार गांव की सामूहिक पंचायत हुई:शराब ठेका हटाने की मांग; जहरीली शराब से दो मौतों का आरोप, 50 लाख मुआवजे की मांग

by Carbonmedia
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सोनीपत जिले के ताजपुर तिहाड़ खुर्द गांव में देसी शराब पीने से दो लोगों की संदिग्ध मौत के बाद ग्रामीणों में भारी रोष है। गांव में दो मौतों के पीछे ग्रामीणों ने शराब जहरीली और मिलावटी होने का आरोप लगाया है। शराब को लेकर ताजपुर तिहाड़ खुर्द गांव में चार गांव की संयुक्त पंचायत आयोजित की गई। जिसमें जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर गंभीर चिंता जताई गई और गांव से शराब के ठेके हटाने की मांग उठाई गई। पंचायत में सरपंच, जिला परिषद सदस्य और ग्रामीणों ने प्रशासन पर अनदेखी के आरोप लगाए। वहीं परिजनों को 50-50 लाख रू मुआवजे की मांग के साथ कई बडे ऐलान किए गए हैं। गांव ताजपुर तिहाड़ खुर्द के मुख्य चौक पर हुई पंचायत में ताजपुर तिहाड़ खुर्द, तिहाड़ कलां, खेड़ी दहिया और बाघडू गांव के सरपंचों और ग्रामीणों ने भाग लिया। पंचायत में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया कि चारों गांवों में एक भी शराब का ठेका नहीं रहने दिया जाएगा। यदि प्रशासन ठेके नहीं हटाता, तो धरना और रोड जाम जैसे आंदोलन किए जाएंगे। वहीं पंचायत में सरकार की आबकारी नीति काे लेकर भी विरोध जाहिर किया और सरकार-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की गई। सरपंचों का प्रशासन पर गंभीर आरोप पंचायत में सरपंच प्रतिनिधि सुमेर सिंह दहिया, तिहाड़ कलां के सरपंच पवन, बाघडू के प्रवीण और खेड़ी दहिया के सरपंच ने एक स्वर में आरोप लगाया कि गांवों में शराब के ठेकों के खिलाफ पूर्व में भी कई बार शिकायत दी गई, लेकिन ठेके हटाने की बजाय प्रशासन ने उन्हें गांव के ही दूसरे कोनों में शिफ्ट कर दिया और यह कहा कि नया ठेका दूसरे गांव की सीमा में आता है। वहीं जिला परिषद वाइज चेयरमैन कल्पना मोनू बाघडू ने भी ठेके हटवाने की मांग की है। जहरीली शराब से मौत का आरोप, पुलिस कार्रवाई पर भी सवाल सुमेर सिंह दहिया ने पंचायत में कहा कि जहरीली शराब के कारण गांव के दो लोगों की मौत हुई है। दोनों के शव नीले पड़े हुए थे और मुंह से झाग निकल रही थी। FIR में देरी और शिकायत से भी छेड़छाड़ के आरोप लगाते हुए कहा गया कि शुरुआत में पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया, लेकिन अधिकारियों के दबाव के बाद कार्रवाई की गई। “शराब से खुद को बचाना होगा” – सरपंच प्रतिनिधि की अपील सुमेर सिंह ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि शराब के खिलाफ समाज को खुद जागरूक होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार की आबकारी नीति केवल राजस्व पर केंद्रित है, लोगों की जान की कोई कीमत नहीं है। “थारी जान का सरकार के खाते में कोई मोल नहीं है”, कहते हुए उन्होंने लोगों से शराब से दूरी बनाने की अपील की। शराब के ठेकों को लेकर विशेष चिंता ग्रामीणों ने बताया कि गांव में चार शराब के ठेके हैं, जिनमें से एक स्कूल के सामने स्थित है। इससे बहन-बेटियों को शाम को बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि ठेकों की आड़ में मिलावटी और जहरीली शराब बिक रही है, जिससे जीवन खतरे में है। सरपंच बनने के बाद भी नहीं हटे ठेके सुमेर सिंह ने बताया कि सरपंच बनने के बाद उन्होंने गांव से शराब का ठेका हटवाने के लिए रेजोल्यूशन भेजा था। कुछ समय बाद ठेका 200 मीटर दूर शिफ्ट कर दिया गया और कहा गया कि वह दूसरे गांव की सीमा में आता है। इसी तरह बाघडू गांव के सरपंच ने भी 4-5 गांवों से ठेका हटाने की मांग की थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। मामला क्या था ताजपुर तिहाड़ खुर्द गांव में तीन दिन पहले दो ग्रामीणों की देसी शराब पीने के बाद संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। दोनों के शवों पर नीले निशान थे और मुंह से झाग निकल रही थी, जिससे जहरीली शराब की आशंका जताई गई। इसके बाद एक्साइज विभाग ने गांव के दो शराब ठेकों से सैंपल लिए, जिनमें मौके पर ग्रामीणों ने आरोप लगाएं कि कुछ बोतलों की सील टूटी हुई पाई गई। पंचायत में रखी गई मांग जहरीली शराब से मौत के शिकार परिवारों को ₹50 लाख मुआवजा दिया जाए। चारों गांवों से सभी शराब के ठेके हटाए जाएं। ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई हो। स्कूल के पास खुले शराब के ठेके को तुरंत हटाया जाए। शराब की मिलावट की जांच करके दोषियों को सजा दी जाए। दोबारा खुले ठेकों पर भी कार्रवाई की जाए।

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