सोनीपत में जिला उपायुक्त (डीसी) के पर्सनल असिस्टेंट (पीए) शशांक को 20 जून को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किए जाने के बाद जिले के प्रशासनिक तंत्र में फैले भ्रष्टाचार की गहराई उजागर हो रही है। शशांक के आईफोन 14 की जांच में गूगल पे और फोन पे से हुए संदिग्ध ट्रांजैक्शन के मिले डिजिटल सबूतों ने कई कर्मचारियों तक पहुंचाने में मदद की है। शशांक के अलावा जांच एजेंसी की नजर शशांक से जुड़े हुए तमाम कर्मचारियों के खाते पर भी है। इनमें सरकारी कर्मचारियों और निजी व्यक्तियों से जुड़ी बड़ी रकम की लेनदेन सामने आई है। जांच एजेंसियां अब आय से अधिक संपत्ति, संदिग्ध गहनों और ट्रांजैक्शन की तह तक जाने में जुट गई हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष जांच टीम (SIT) भी अलग-अलग एंगल से जांच कर रही है। डीसी के कहने पर करता था कलेक्शन: एडवोकेट राजेश शिकायतकर्ता जितेंद्र के एडवोकेट राजेश दहिया द्वारा आरोप लगाते हुए कहा गया है कि आरोपी शशांक जिला उपायुक्त के कहने पर ही सभी कार्यालयों की रिश्वत कलेक्शन करता था। वह लंबे समय से डीसी के पीए के रूप में कार्यरत रहा है। विजिलेंस द्वारा उसके घर पर की गई रेड के दौरान चार लाख रुपए कीमत का हीरा जड़ा नेकलेस बरामद हुआ, जिसे लेकर अभी तक कोई बिल प्रस्तुत नहीं किया गया है। ना ही इस विषय में शशांक ने कोई जानकारी दी है। वह जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। वहीं, लगातार एक के बाद एक रिश्वत की कडिय़ा जुड़ती जा रही हैं। डीसी कार्यालय के सरकारी और गैर सरकारी लोगों द्वारा शशांक के खाते में यू-पीआई के माध्यम से कुल 76 लाख रुपए की ट्रांजैक्शन हुई है। ऐसे में शशांक के साथ-साथ अलग-अलग ट्रांजैक्शन करने वाले कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है। इनमें कई कर्मचारी ऐसे हैं जो काम के बदले जमकर भ्रष्टाचार कर रहे थे। उनके खातों की भी पूरी डिटेल खंगाली जाएगी। सीएम से अपील, सोनीपत डीसी को जांच में किया जाए शामिल
एडवोकेट राजेश का कहना है कि प्रदेश के सीएम जीरो टोलरेंस की नीति पर काम कर रहे हैं और ऐसे में नायब सिंह सैनी सरकार लगातार प्रदेश में अलग-अलग जगह पर भ्रष्टाचार करने वाले लोगों पर एक्शन ले रही है। वही सोनीपत में भ्रष्टाचार के बहुत बड़ा गिरोह पर शिकंजा कसने का काम किया है। एडवोकेट राजेश का कहना है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को तत्कालीन डीसी मनोज यादव को भी जाँच में शामिल करने के आदेश देने चाहिए। अगर डीसी का कोई दोष नहीं है तो उनको सामने आकर अपना पक्ष रखना चाहिए। डीसी जिले का मालिक होता है। अगर उसके नीचे बैठे हुए कर्मचारी इस प्रकार से जमकर भ्रष्टाचार करते हो और सरकार को बदनाम करने की कोशिश करते हो तो ऐसे कर्मचारी और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। जिसमें डीसी का महत्वपूर्ण रोल होता है। भ्रष्टाचार की कहानी, चार पॉइंट में पढ़िए… 1. डीसी कार्यालय से की जाती थी ‘कलेक्शन’, आरोपी नहीं दे रहा सहयोग
शिकायतकर्ता के वकील का आरोप है कि शशांक जिला उपायुक्त के कहने पर कार्यालयों से रिश्वत की वसूली करता था। वह लंबे समय से डीसी के निजी सहायक के रूप में तैनात था। विजिलेंस की रेड में मिले ₹4 लाख के हीरा जड़े नेकलेस का अभी तक बिल नहीं दिया गया है। शशांक इस मामले में जांच एजेंसियों से सहयोग नहीं कर रहा है। 2. सरकारी और गैर सरकारी व्यक्तियों से मिले 76 लाख रुपए
शशांक के खाते में यू-पीआई के माध्यम से डीसी ऑफिस से जुड़े सरकारी और गैर सरकारी व्यक्तियों द्वारा ₹76 लाख की ट्रांजैक्शन की गई है। यह लेनदेन अलग-अलग समय पर विभिन्न कर्मचारियों और संपर्कों द्वारा की गई, जिनमें कई बार मोटी रकम का आदान-प्रदान हुआ है। 3. हर ट्रांजैक्शन पर शक, कर्मचारियों पर भी गिर सकती है गाज
अब जांच एजेंसियां उन सभी कर्मचारियों की सूची तैयार कर रही हैं, जिन्होंने शशांक के खातों में नियमित रूप से ट्रांजैक्शन की। ये वो कर्मचारी हैं जो अपने काम के बदले रिश्वत देने में लिप्त रहे हैं। ऐसे में भ्रष्टाचार में लिप्त अन्य कर्मचारियों पर भी कार्रवाई तय मानी जा रही है। 4. खातों की होगी विस्तृत जांच, बन रही कर्मचारियों की सूची ट्रांजैक्शन करने वाले सभी कर्मचारियों और गैर-सरकारी व्यक्तियों के बैंक खातों की पूरी डिटेल निकाली जाएगी। हर एक लेनदेन की फोरेंसिक जांच की जाएगी ताकि यह साबित किया जा सके कि पैसे किन कारणों से दिए गए। इस प्रक्रिया के तहत पूछताछ और साक्ष्य जुटाने के लिए एक-एक व्यक्ति को तलब किया जाएगा। जानें क्या था, शशांक की गिरफ्तारी का पूरा मामला… ACB के मुताबिक, DC का सहायक सोनीपत उपायुक्त कार्यालय में तैनात कर्मचारी जितेन्द्र को राई तहसील में रजिस्ट्री क्लर्क के रूप में ट्रांसफर कराने के नाम पर रिश्वत मांग रहा था। आरोपी की पहचान शशांक शर्मा के रूप में हुई है। 5 लाख रुपए की डिमांड कर रहा था आरोपी कार्रवाई पूरी होने के बाद टीम को लीड कर रहे रोहतक एसीबी के DSP सोमबीर ने बताया है कि डीसी ऑफिस में कार्यरत जितेंद्र कुमार ने शिकायत दी थी कि डीसी का पीए शशांक शर्मा राई तहसील में रजिस्ट्री क्लर्क लगवाने के नाम पर 5 लाख रुपए की डिमांड कर रहा था। डेढ़ लाख रुपए एडवांस ले चुका था DSP ने बताया- आरोपी शशांक पीड़ित से डेढ़ लाख रुपए एडवांस ले चुका था। इसके बाद पीड़ित की शिकायत का संज्ञान लिया गया। शिकायतकर्ता को डिमांड की रकम लेकर पीए के पास भेजा गया था। वहां जब शिकायतकर्ता ने रकम पीए के हाथ में दी, उसके थोड़ी देर बाद ही टीम मौके पर पहुंच गई। आरोपी को रंगेहाथों पकड़ा, कैश बरामद किया ACB के DSP ने बताया कि शाशांक को रंगेहाथों पकड़ा गया है। जब उसके कैबिन की तलाशी ली गई तो अलमारी से 3 लाख 50 हजार रुपए बरामद किए गए। मौके से शशांक को हिरासत में ले लिया गया था। घर से भी कैश बरामद अधिकारी ने बताया कि इसके बाद टीम शशांक के अशोक विहार गली नंबर-6 स्थित आवास पर पहुंच गई। टीम ने वहां भी तलाशी ली और पीए के घर से कैश और कुछ आभूषण मिले। कैश करीब 5 लाख 75 हजार रुपए है।
सोनीपत में डीसी के पीए शशांक का रिश्वत कांड मामला:4 लाख के नेकलेस का बिल नहीं पेश कर पाया; कई सरकारी कर्मचारी रडार पर
1