सोनीपत में सड़क एक्सीडेंट में किसान की मौत:बिना पट्टी ऊंचा ब्रेकर बना मौत का कारण; परिवार में इकलौता कमाने वाला था

by Carbonmedia
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सोनीपत में सड़क दुर्घटना में एक बाइक सवार की मौत का मामला सामने आया है।सड़क सुरक्षा की लापरवाही एक बार फिर जानलेवा साबित हुई। सोनीपत रोड पर गांव बड़ौता के नजदीक बने ऊंचे ब्रेकर के कारण संतुलन बिगड गया। हादसे में बाइक सवार 40 वर्षीय किसान मुकेश की मौके पर ही मौत हो गई। परिजनों में मातम पसर गया है। मौके पर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए नागरिक हॉस्पिटल गोहाना भेज दिया है। पुलिस मामले में जांच कर रही है। खेत के लिए दवाई लेने निकला था किसान जानकारी के मुताबिक मुकेश (40) मूल रूप से बिधल गांव का रहने वाला था। वह सोमवार को अपने खेत में खड़ी धान की फसल के लिए गोहाना शहर से दवाई लेने बाइक पर निकला था। रास्ते में सड़क दुर्घटना के चलते मौत हो गई। परिवार को क्या पता था कि वह घर लौटकर कभी वापस नहीं आएगा। ब्रेकर बना मौत का कारण स्थानीय राहगीर ने बताया कि जैसे ही मुकेश की बाइक सोनीपत रोड पर गांव बड़ौता के पास बने ऊंचे ब्रेकर पर चढ़ी, वह संतुलन खो बैठा और उछलकर डिवाइडर से टकरा गया। सिर के बल सड़क पर गिरने से उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया। राहगीरों ने बताया कि यह ब्रेकर काफी ऊंचा और चौड़ा है, जिस कारण यहां अक्सर हादसे होते रहते हैं। ब्रेकर पर सफेद पट्टी तक नहीं बनाई गई, जो एक बड़ी लापरवाही है। पुलिस मौके पर पहुंची राहगीरों ने तुरंत डायल 112 पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी। सिटी थाना प्रभारी लाल सिंह अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि मृतक की पहचान मुकेश के रूप में हुई है और हादसे की जानकारी परिजनों को दे दी गई है। परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़ मुकेश विवाहित था और तीन बच्चों का पिता था। उसकी 15 साल की बेटी और 12 व 8 साल के दो बेटे हैं। पिता पहले ही गुजर चुके हैं, ऐसे में परिवार की जिम्मेदारी अब पूरी तरह उसकी पत्नी और बूढ़ी मां पर आ गई है। मुकेश ही घर का इकलौता कमाने वाला था और खेती से ही परिवार का गुजारा चलता था। उसकी मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। ग्रामीणों का आक्रोश हादसे को देखने वालों और स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। ग्रामीणों का कहना है कि ऊंचे ब्रेकर और उस पर चिन्ह न होने से आए दिन हादसे होते हैं। अगर समय रहते इस ओर ध्यान दिया जाता तो एक किसान की जान बच सकती थी।

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