उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण के विरोध में गुरुवार को गुरुग्राम के सोहना में बिजली कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। 33 केवी कार्यालय पर कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। यूनियन प्रधान प्रेमपाल ने बताया कि आगरा में बिजली के निजीकरण से पावर कॉर्पोरेशन को हर साल करीब 1 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। अलोकतांत्रिक और तानाशाही आदेश उन्होंने इस आदेश को अलोकतांत्रिक और तानाशाही बताया। प्रेमपाल ने यूपी के मुख्यमंत्री से अपील की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ऊर्जा निगम के कर्मचारियों की प्रशंसा करते रहे हैं, लेकिन अब उन्हीं कर्मचारियों को अलोकतांत्रिक तरीके से दबाया जा रहा है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि निजीकरण प्रदेश, कर्मचारियों और उपभोक्ताओं के हित में नहीं है। फैसला वापिस लेने की मांग उन्होंने कहा कि जब तक निजीकरण का फैसला वापस नहीं होगा, विरोध जारी रहेगा। कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उनका आरोप है कि सरकार दमन नीति अपना रही है। प्रदर्शन में कर्मचारी नेता सतबीर प्रधान, विजय अजीत सिंह और ओम प्रकाश भी मौजूद थे।
सोहना में बिजली कर्मचारियों का प्रदर्शन:सरकार के खिलाफ नारेबाजी, निजीकरण से पावर कॉर्पोरेशन को एक हजार करोड़ का नुकसान
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