शहर की सड़कों पर बेतरतीब तरीके से बनाए गए ऊंचे और असंतुलित स्पीड ब्रेकर अब लोगों के लिए खतरा बन चुके हैं। इनका उद्देश्य भले ही ट्रैफिक की रफ्तार को कंट्रोल करना हो, लेकिन जिस तरह से ये बनाए जा रहे हैं, उससे ये ब्रेकर अब ‘व्हीकल ब्रेकर’ और ‘बॉडी ब्रेकर’ का रूप ले चुके हैं। कहीं ऊंचाई जरूरत से ज्यादा है, तो कहीं चौड़ाई का कोई हिसाब नहीं। कुछ अचानक बीच सड़क पर उभर आते हैं और कोई इतने बड़े होते हैं कि छोटे वाहन सीधे उछल जाते हैं। इंडियन रोड कांग्रेस (आईआरसी) की गाइडलाइंस का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। इसके कारण हर दिन शहर के अस्पतालों में एक्सीडेंट, गिरने, फ्रैक्चर, कमर और गर्दन दर्द से जुड़े मरीज पहुंच रहे हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन ब्रेकरों से पैदा हो रहे झटके लोगों की मसल्स, हड्डियों और रीढ़ की सेहत पर गंभीर असर डाल रहे हैं। यदि आपको अपना अखबार दैनिक भास्कर मिलने में कोई परेशानी आ रही है या अखबार लगवाना है तो कृपया इस नंबर 7007657762 पर संपर्क करें। ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. रजनीश गर्ग का कहना है कि उनके पास अनियमित ब्रेकरों से चोट लगने के मामले आते हैं। कई बार ये चोटें मामूली नहीं होतीं कमर दर्द, गर्दन में खिंचाव, एल्बो इंजरी और यहां तक कि हड्डियों में फ्रेक्चर तक हो जाते हैं। टू-व्हीलर सवारों के साथ-साथ फोर-व्हीलर चालकों को भी यह परेशानी झेलनी पड़ रही है। कुछ मामलों में फ्रेक्चर वाले हिस्से में रॉड डालनी पड़ी है। वहीं डॉ. धीरेन बस्सी का कहना है कि ऊंचे और असंतुलित स्पीड ब्रेकर से गिरने या झटका लगने के बाद कंधे की हड्डी टूटने, कमर या सर्वाइकल दर्द के केस आ रहे हैं। इंडियन रोड कांग्रेस (आईआरसी) के मुताबिक स्पीड ब्रेकर का कोई नियम ही नहीं है। इस तरह नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। तय गाइडलाइन के मुताबिक जहां एक्सीडेंट की आशंका हो, वहां रंबल स्ट्रिप या प्लास्टिक हंप लगाया जाता है। साथ में कैट आईज और चेतावनी बोर्ड जरूरी हैं, लेकिन गली-गली में स्पीड ब्रेकर बने हुए है। नगर निगम को बिना अनुमति बनाए गए ब्रेकरों को तुरंत हटाना चाहिए। हर ब्रेकर के साथ चेतावनी बोर्ड, कैट आई और रंबल स्ट्रिप जरूरी है, ताकि स्पीड कंट्रोल हो। गली-मोहल्लों में मनमर्जी से ब्रेकर बनवाने वालों पर नगर निगम कार्रवाई कर सकता है। स्पीड ब्रेकर नहीं, सेफ्टी ब्रेकर होने चाहिए, वरना हर झटका एक नया मेडिकल केस बनता रहेगा। -राहुल वर्मा, ट्रैफिक एक्सपर्ट केस 1 : 40 साल के पुरुष का कंधा टूटा : एक 40 साल के पुरुष अचानक बाइक से गिर पड़े। वजह स्पीड ब्रेकर की ऊंचाई इतनी ज्यादा थी कि बाइक का संतुलन बिगड़ गया और वे जमीन पर गिर गए। हादसे में उनके शोल्डर में फ्रैक्चर था, ऑपरेशन करना पड़ा। केस 2 : महिला को हुआ कमर में दर्द : एक और मामला सामने आया जिसमें एक महिला को लगातार कमर दर्द हो रहा था। दर्द असहनीय होने पर डॉक्टर से जांच करवाई तो सामने आया कि तेज रफ्तार स्कूटी से जाते वक्त एक ऊंचे स्पीड ब्रेकर पर जोरदार झटका लगा था। इसके बाद से ही समस्या शुरू हुई। हल्का डिस्क स्लिप निकला। फोर व्हीलर चालकों को भी नुकसान स्पीड नहीं, सेफ्टी ब्रेकर होने चाहिए, वरना हर झटका मेडिकल केस बनेगा कई बार रॉड तक लगानी पड़ती
स्पीड ब्रेकर से हादसे…कमर-गर्दन में चोट, फ्रैक्चर भी हो रहे
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