शुभेंदु शुक्ला | अमृतसर स्वच्छता सर्वेक्षण में नंबर वन इंदौर शहर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव बुधवार को नगर निगम के दफ्तर पहुंचे। यहां उन्होंने मेयर जतिंदर मोती भाटिया के अलावा निगम के अफसरों से इंदौर को सबसे साफ-सुथरा शहर बनाने की कार्यप्रणाली साझा की। भार्गव ने बताया कि सफाई को लेकर किसी भी शहर में पब्लिक का सपोर्ट जरूरी हैं। सड़कों या किसी प्वाइंट पर कूड़ा फेंक रहे हैं तो सीसीटीवी के जरिए चालान जरूरी है। यदि चालान कम है तो अमृतसर के मेयर एमआईसी में रिवैल्यूएशन कर 5 हजार रुपए तक जुर्माना निर्धारित कर सकते हैं। उन्होंने अमृतसर के कुछ शहरों में जाकर एनॉलसिस किया कि दुकानों के बाहर कूड़ा फेंका गया है। इसके लिए जरूरी है कि कचरा फेंकने वाले की जिम्मेदारी दुकान मालिक खुद उठाएं। इंदौर में रोज 3 टाइम सफाई होती है। लोग खुद अपने कचरे को 6 अलग-अलग हिस्से में सेग्रीगेट करके गाड़ी में डालते हैं। कॉलोनी का कचरा खुद लोग उठाते और अपने कैंपस में प्रोसेस करते हैं। ऐसे प्रयासों से अमृतसर की कॉलोनियां भी जीरो वेस्ट हो सकती है। इसमें निगम का कोई संसाधन नहीं लगेगा। केवल हमें तैयारियां करनी है। इंदौर में 5 वार्डों को जीरो वेस्ट घोषित किया जा चुका है। कूड़े की प्रोसेसिंग कॉलोनियों में होती है। सबसे बड़ा चैलेंज रिसोर्सेस (संशाधन) का होता है। मगर पब्लिक को साथ जोड़ लिया जाए तो यह चुनौती छोटी हो जाती है। सफाई के मुद्दे पर दैनिक भास्कर ने इंदौर के मेयर पुष्पमित्र भार्गव से खास बातचीत की। अमृतसर में अकसर स्टॉफ शॉर्टेज का मुद्दा सफाई में रोड़ा बताया जाता है, जिस पर उन्होंने कहा कि वह 2022 से इंदौर में मेयर हैं। यह देश भर का चैलेंज है, इंदौर का भी। लेकिन इतना बड़ा भी नहीं है। बाकी स्टॉफ आउटसोर्स से लेकर शॉर्टेज की समस्या का बड़ी आसानी से हल किया जा सकता है। शहर को सफाई में टॉप पर कैसे ला सकते हैं, इसके लिए पूरी प्लानिंग के साथ खुद 18 घंटे काम कर रहे हैं। 7 दिन में कौन सा क्या काम करना है, यह निर्धारित किया हुआ है। रविवार को पब्लिक- समाजसेवी या किसी संगठनों के बुलाने पर जाने का कार्यक्रम निर्धारित है, जबकि बाकी के 6 दिन शहर के विकास और सफाई को लेकर। शहर तभी आगे टॉपर आएगा जब जनता का समर्थन- सहयोग प्राप्त हो। पब्लिक को अपना बिहैवियर बदलना होगा। हर कामों की सफलता के लिए मॉनिटरिंग टीम बनाई गई है। मीटिंग में जो चीजें शहर के बेहतरी के लिए डिस्कस की जाती हैं उन्हें तुरंत लागू भी कराया जाता है। निगम अफसरों से बिढ़या तालमेल होना चाहिए। मेयर भार्गव ने कहा कि हेरिटेज स्ट्रीट को जिस तरह से सुंदर बनाया है, वह देखने व सीखने लायक है। बाकी गुरुनगरी के खाने का तो कोई हिसाब ही नहीं है। अमृतसर में जो हेरिटेज स्ट्रीट है, वहां एक जैसे सिमेट्रिक बोर्ड लगे हुए हैं। दुकानों के नाम एक से हैं। अपने यहां 3 स्ट्रीट्स एक जैसे कर दिए है। हेरिटेज को किस तरह से साफ सुथरा बनाया गया यह भी सीखा है। वहीं स्ट्रीट डॉग्स के सवाल कहा कि यह देश भर का चैलेंज है। सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर है डॉग को उठाकर स्टरलाइज करके वापस वहीं छोड़ना होता है। कोर्ट में एक रिव्यू पिटिशन फाइल की है कि नंबर ऑफ डॉग लिमिट करने की परमिशन दी जाए। मेयर भार्गव ने कहा कि चालान काटते समय किसी भी तरह का पॉलिटिकल इंटरफेयरेंस जीरो रहे। भार्गव ने खास तौर पर इस बात पर फोकस किया कि जिस दुकान के बाहर कचरा लग रहा हो। भले ही कचरा कोई भी फेंक रहा हो, दुकान मालिक संग मीटिंग करें कि यह आपका कचरा है। इसे साफ करना सुनिश्चित करें। ऐसा करके भी कोई मॉडल क्रिएट कर सकते हैं। इंदौर में करीब 35 लाख की जनसंख्या और 85 वार्ड है। एक वार्ड की संख्या मिनिमम 25 तो अधिकतम 50 हजार है। इसे 22 जोन में डिवाइड किया है। जिसमें 4 वार्ड आते हैं। 3 टाइम सफाई करते हैं। सुबह कॉलोनियों की डोर-टू-डोर उठाता है फिर डंपिंग ग्राउंड में गीला-सूखा कूड़ा ले जाकर प्रोसेसिंग कराई जाती है। इंदौर के नंबर वन पर आने का हमारे यहां सेग्रीगेशन और सोर्स है। लोग खुद अपने कचरे को 6 अलग-अलग हिस्से में सेग्रीगेट करके गाड़ी में डालते हैं। एक गीला कचरा, सूखा कचरा। सूखे में दो हैं, प्लास्टिक-नॉन प्लास्टिक। सीएनडी वेस्ट बड़ी गाड़ियां अलग से उठाती हैं। हजार्डियस वेस्ट कांच-बल्ब, दवाइयों की बोतल और सेनेटरी वेस्ट सेनेटरी पैड और इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट। जिन घरों में ये अलग-अलग नहीं करता है, उसका कचरा नहीं लेते। जैसे-जैसे लोगों के घरों में एकत्रित होकर सड़ने लगता है। लोग खुद सेग्रीगेट करने लगते हैं। पहले दिक्कत आती है, लेकिन धीरे-धीरे समझने लगते हैं। साढ़े पांच सौ एमटी गीला कचरा निकलता है, उससे 17 हजार टन बायो सीएनजी बना रहे हैं। यह अवंतिका कंपनी को बचे रहे हैं। सूखे कचरे में जो प्लास्टिक है, रिसाइकिल के लिए भेजते हैं बाकी सीमेंट फैक्टरी को देते हैं। इंदौर के मेयर भार्गव ने कहा कि सड़कों पर जो लोग कचरा फेंकते हैं उनका एड्रेस कचरे में से निकालकर चालान काटते हैं। सामान्यत: हर शहरों में कचरा कलेक्शन प्वाइंट बना होता है। लोगों की आदत बन जाती है कि उन्हीं प्वाइंट पर कचरा फेंकते हैं। ऐसे जो प्वाइंट हैं, वहां कैमरे लगाकर चालान की कार्रवाई करेंगे तो उसका डर 7 दिन में बनने लगेगा। जितने सेनेटरी इंस्पेक्टर हैं, वह सब हर माह कम से कम 5 लाख के चालान का टारगेट लें। डर पैदा करना जरूरी है कि लोग सड़कों पर कूड़ा न फेंकें। इसके बाद अगला काम मशीनरी का है। गीले कचरे से बायो सीएनजी बना लेते हैं। सूख कचरा सीमेंट फैक्टरी को दे देते हैं। सभी कचरे से बॉयोकॉल बना रहे हैं। इसका काम शुरू हो गया है। शहर में जितने ग्रीन वेस्ट निकलते हैं। एक बायोकॉल बनाने का प्लांट लग सकता है। इसे नेक्स्ट लेवल पर ले जाने का काम किया है। जितना बड़ा कचरा है, इसके लिए प्राइवेट एजेंसी लगानी पड़ेगी। घर से उठने वाले कचरों के अलावा कोई दूसरा कचरा उनको देना है, जैसे हम डिलीवरी कंपनियों से ऑर्डर करते हैं। जो इसके लिए एजेंसी लगाई हुई है। यदि घर की टेबल-कुर्सी- सो फा खराब हो गई है तो ऐप में लिखना होगा चार्ज ऑनलाइन पे करना होगा। गाड़ी आएगी और ले जाएगी। ऑन डिमांड काम कर सकते हैं।
स्वच्छता सर्वे में नंबर 1 शहर इंदौर के मेयर पहुंचे अमृतसर, मेयर और निगम अफसरों से साझा की सफाई प्रबंध सुधारने की कार्यप्रणाली
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