Swami Sahajanand Saraswati Death Anniversary: अंग्रेजों के समय में किसान आंदोलन के नायक रहे स्वामी सहजानंद सरस्वती की गुरुवार (26 जून) को 75 वीं पुण्यतिथि पटना के बिहटा स्थित श्री सीताराम आश्रम ट्रस्ट में मनाई गई. यह वही आश्रम है जहां स्वामी सहजानंद सरस्वती 1927 में बिहटा में आए थे और यहीं से किसान आंदोलन की शुरूआत की थी.
उस वक्त से अपनी मृत्यु की तिथि 26 जून 1950 तक स्वामी सहजानंद इसी आश्रम में रहे थे. उस जगह को एक ट्रस्ट के रूप में सीता राम आश्रम बनाया गया है. उनकी पुण्यतिथि के मौके पर बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, मंत्री विजय चौधरी सहित अध्यक्ष कैलाश चंद्र झा और ट्रस्ट के सचिव डॉ० सत्यजीत सिंह सहित सैकड़ों लोग उपस्थित हुए.
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने क्या कहा?
इस मौके पर पहुंचे उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, ”सहजानंद सरस्वती ने किसानों को हक दिलाने के लिए चलाए गए आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया था. उन्हीं के रास्ते पर हमारे बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह ने भी किसानों के लिए बहुत काम किए थे. हम सरकार में इस बात को रखेंगे कि बिहटा में जो एयरपोर्ट बन रहे हैं वह स्वामी सहजानंद सरस्वती के नाम से हो.”
वाल्टर हाउजर ने स्वामी सहजानंद के आंदोलन पर किया था शोध
कार्यक्रम में वाल्टर हाउजर का भी जिक्र हुआ. स्वामी सहजानंद सरस्वती के किसान आंदोलन पर शोध करने वाले अमेरिका के स्वर्गीय वाल्टर हाउजर सबसे पहले 1957 में भारत आए थे. उन्होंने स्वामी जी पर पहले पी.एच.डी 1961 में प्राप्त की थी. अमेरिका में अध्यापन कार्य के दौरान उन्होंने अपने छह छात्रों को बिहार पर शोध करने के लिए प्रेरित किया था. इन छात्रों ने बिहार के कई महत्वपूर्ण किताबें लिखी है. वाल्टर हाउजर अपने अंतिम क्षण तक स्वामी सहजानंद से जुड़े रहे.
दीघा घाट पर अस्थि कलश विसर्जन
उनका जुड़ाव पटना से इस कदर था कि उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा जाहिर किया था कि मेरा अंतिम क्रिया दफनाया नहीं जाए बल्कि अग्नि से अंतिम संस्कार किया जाए और उसके अस्थि अवशेषों को गंगा प्रभावित किया जाए. उनकी मृत्यु के बाद उनके परिजनों ने उनका अग्नि संस्कार किया था और उनकी अस्थि को रखे हुए थे जो आज सहजानंद सरस्वती की पुण्यतिथि पर के मौके पर उनके पुत्र- पुत्री और परिवार के अन्य लोग सहित उनके छात्र अमेरिका से पटना पहुंचकर दीघा घाट पर अस्थि कलश विसर्जन किया. उसके बाद बिहटा में आयोजित कार्यक्रम स्थल में भाग लिया.
‘स्वामी सहजानंद सरस्वती किसानों के लिए प्रेरणादायक’
डॉक्टर सत्यजीत ने बताया, ”स्वामी सहजानंद सरस्वती किसानों के लिए प्रेरणादायक थे और उनकी कार्यशैली पर हम लोगों को गर्व है. हमलोग उनकी जन्म तिथि और पुण्यतिथि पर हमेशा याद करते हैं. वहीं अध्यक्ष कैलाश चन्द्र झा ने कहा कि इस ट्रस्ट में स्वामी सहजानंद से जुड़ी हर चीज म्यूजियम के रूप में सजाई गई है. उनके खाने-पीने के बर्तन के साथ-साथ घड़ी, कलम, बेड, कुर्सी सभी चीजें रखी गई हैं, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.
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