स्वास्थ्य संस्थानों में बिजली, ऑक्सीजन और दवाइयों की उचित व्यवस्था के लिए एसएमओ को दिए निर्देश

by Carbonmedia
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भास्कर न्यूज| जालंधर सिविल सर्जन ने डॉ. गुरमीत लाल की देखरेख में बुधवार को सिविल सर्जन दफ्तर में समूह प्रोग्राम अधिकारी और समूह एसएमओ के साथ मीटिंग की। जिसमें सिविल सर्जन ने सभी एसएमओ को जिले के स्वास्थ्य संस्थानों में बिजली, ऑक्सीजन और दवाइयों की व्यवस्था पूरी तरह से दुरुस्त रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जरूरतमंद मरीजों का समय पर इलाज हमारी प्राथमिकता है, उन्होंने सभी एसएमओ को मरीजों के प्रति संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण रवैया बनाए रखने और स्वास्थ्य संस्थानों में आवश्यक दवाइयों के स्टॉक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन सभी व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर पर्यवेक्षण सुनिश्चित किया जाए और अस्पताल में हर मरीज को जरूरत के अनुसार हर दवा उपलब्ध करवाई जाए और इसकी रोजाना निगरानी की जाए। सिविल सर्जन ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को बरसात के मौसम में होने वाली बीमारियों जैसे कि टीबी की रोकथाम, मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया की रोकथाम के बारे में आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि डेंगू की रोकथाम के लिए अब गांव स्तर पर, शहरी क्षेत्रों में वीएचएसएनसी और महिला आरोग्य समिति के साथ समन्वय स्थापित किया जाए और हर शुक्रवार को डेंगू से जंग अभियान के तहत लोगों को जागरूक किया जाए। डीएमसी डॉ. जसविंदर सिंह ने पीपीटी के माध्यम से आयुष्मान भारत-मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना की जानकारी दी और इस योजना के तहत जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने को कहा। सिविल सर्जन ने कहा कि गर्भवती महिलाओं की शत-प्रतिशत प्रसव पूर्व जांच और सभी आवश्यक चिकित्सीय परीक्षण सुनिश्चित किए जाएं। इस मौके पर सहायक सिविल सर्जन डॉ. ज्योति फूकेला, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. राकेश चोपड़ा, डॉ. बलजीत कौर रूबि, डॉ. आदित्यपाल समेत अन्य मौजूद रहे। 1 अगस्त से स्तनपान सप्ताह सिविल सर्जन डॉ. गुरमीत लाल ने कहा कि 1 अगस्त से 7 अगस्त 2025 तक सभी स्वास्थ्य केंद्रों में अंतरराष्ट्रीय स्तनपान सप्ताह मनाया जाए। इस दौरान माताओं और परिवारों को स्तनपान के लाभों के बारे में जागरूक किया जाए और हर स्वास्थ्य केंद्र पर स्तनपान कॉर्नर स्थापित करके माताओं को एकांत और आरामदायक वातावरण दिया जाए। उन्होंने कहा कि स्तनपान नवजात शिशुओं के पोषण, बीमारियों की रोकथाम और मां के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

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