यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को मौत की सजा से बचाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सोमवार (14 जुलाई, 2025) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में केंद्र सरकार एक सीमा तक ही दखल दे सकती है. विदेश मंत्रालय ने औपचारिक और अनौपचारिक, दोनों तरीकों से सजा को टालने का अनुरोध किया है, लेकिन यमन सरकार ने कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है.
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार ने यमन के शेख से भी बात की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. यमन सरकार पर इसका कोई असर नजर नहीं आ रहा है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि अनौपचारिक रूप से ऐसी जानकारी मिली है कि फांसी टाल दी जाएगी, लेकिन हमें नहीं पता कि यह तरीका काम करेगा या नहीं. उन्होंने कहा कि यह ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां सरकार निर्धारित सीमा से परे जाकर कुछ कर सके.
जज ने उनसे पूछा कि क्या ब्लड मनी की व्यवस्था की गई है. अटॉर्नी जनरल ने इस पर कहा कि पीड़ित परिवार से बात की गई थी, लेकिन उनका कहना है कि ये सम्मान की बात है इसलिए वह इसको स्वीकार नहीं करेंगे. हमें नहीं पता कि ज्यादा पैसा दिए जाने से उनके फैसले में कोई बदलाव आएगा या नहीं, लेकिन फिलहाल तो स्थिति स्थिर है.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुक्रवार (18 जुलाई, 2025) के लिए टाल दी है. कोर्ट ने सरकार और याचिकाकर्ता से कहा कि वह अगली तारीख को उसे स्थिति से अवगत कराएं. केरल की रहने वाली निमिषा पर हत्या का दोष सिद्ध हुआ है, उसे 16 जुलाई को फांसी होनी है. याचिका में भारत सरकार के दखल की मांग की गई है, जिस पर कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था.
निपुण सहगल के इनपुट के साथ
‘हमने यमन के शेख से बात की और पीड़ित परिवार से भी वे…’, भारतीय नर्स की फांसी रुकवाने के लिए क्या-क्या किया, सरकार ने SC को बताया
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