हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के गृह जिले की बड़सर विधानसभा क्षेत्र में एक विवाद सामने आया। 75 वर्षीय अमरो देवी की मृत्यु के बाद उनके शव को जलाने को लेकर दो पक्षों में तनाव हो गया। जिसके बाद पुलिस और प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा। जानकारी के अनुसार अमरो देवी पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं और उनका इलाज एम्स बिलासपुर में चल रहा था। उनकी मृत्यु के बाद जब शव को श्मशान घाट ले जाया गया, तो वहां विवाद शुरू हो गया। एक पक्ष ने शव को जलाने से रोक दिया। दूसरे पक्ष के श्मशान घाट में जलभराव दूसरे पक्ष का श्मशान घाट भारी बरसात के कारण पानी से भर गया था। इस वजह से वहां अंतिम संस्कार करना मुश्किल हो रहा था। जब लोग शव को दूसरे पक्ष के श्मशान घाट पर ले जाने लगे, तब विवाद उत्पन्न हो गया। पुलिस प्रशासन और कुछ बुद्धिजीवियों के हस्तक्षेप से मामला शांत हुआ। इसके बाद हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार संपन्न किया गया। इस मामले में बड़सर पुलिस, प्रधान ननांवा और प्रधान कसाई की अहम भूमिका रही। प्रशासन को श्मशान घाट निर्माण का प्रस्ताव भेजा कडसाई पंचायत के प्रधान राम रतन और ननावां के प्रधान रतन चंद शर्मा ने पुलिस और प्रशासन के साथ मिलकर स्थिति को संभाला। प्रधान राम रतन ने बताया कि श्मशान घाट के निर्माण के लिए जमीन की आवश्यकता है। इसके लिए प्रशासन को प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन अभी तक जमीन उपलब्ध नहीं हो पाई है। बारिश के कारण जहां शव जलाए जाते थे, वहां पानी भर गया था। इस कारण लोग शव को वहां जलाने से हिचक रहे थे, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ। डीएसपी बड़सर लालमन शर्मा ने बताया कि शव जलाने को लेकर दो पक्षों में हुए विवाद को सुलझा लिया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में किसी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।
हमीरपुर में महिला का शव जलाने पर विवाद:बारिश से श्मशान घाट में भरा पानी, दूसरे में ले जाने पर अंतिम संस्कार से रोका
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