‘हम अब पांचवीं पीढ़ी के युद्धों के लिए तैयार हैं’, बोले सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी

by Carbonmedia
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सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमवार (5 अगस्त, 2025) को कहा कि भारतीय सशस्त्र बल पांचवीं पीढ़ी के युद्धों के लिए पूरी तरह तैयार हैं, जो प्रत्यक्ष संघर्ष के बजाय रणनीतिक चाल और मनोवैज्ञानिक दबदबे पर आधारित होते हैं.
मद्रास आईआईटी में एक कार्यक्रम के दौरान सेना प्रमुख ने यह बात कही. उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि भविष्य के संघर्षों में पारंपरिक ताकत और आधुनिक क्षमताओं के मिश्रण की आवश्यकता होगी, जहां सैनिकों को रोबोट के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना होगा.
सेना प्रमुख ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को एक ‘ऐतिहासिक, खुफिया सूचना पर आधारित प्रतिक्रिया बताया, जिसने भारत के आतंकवाद-रोधी सिद्धांत को पुनः परिभाषित किया.’ उन्होंने कहा कि इसने भारत की ‘सटीक, दंडात्मक और समन्वित कार्रवाई’ करने की क्षमता को प्रदर्शित किया है, जिससे पाकिस्तान को 88 घंटों के अंदर युद्ध विराम की मांग करने पर मजबूर होना पड़ा.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में उन्होंने कहा कि 88 घंटे का यह अभियान ‘पैमाने, सीमा, गहराई और रणनीतिक प्रभाव की दृष्टि से अभूतपूर्व’ था. एक प्रेस बयान के अनुसार, जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमवार को रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी-मद्रास में एक शोध प्रकोष्ठ ‘अग्निशोध’ का उद्घाटन किया. वह दो दिन की चेन्नई यात्रा पर हैं.

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर को मील का पत्थर करार दिया और कहा कि यह एक ऑपरेशन इंटेलिजेंस-बेस्ड प्रक्रिया थी, जिसने भारत की आतंकवाद-विरोधी डॉक्ट्रिन को पुनर्परिभाषित किया. सेना प्रमुख ने सेनाओं की पारंपरिक ताकत और आधुनिक क्षमताओं को एक-साथ आने की जरूरत पर भी जोर दिया.

डिफेंस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में भारतीय सेना ने मद्रास आईआईटी के साथ मिलकर अग्निशोध इंडियन आर्मी रिसर्च सेल की स्थापना की है. अग्निशोध विशेष रूप से आधुनिकीकरण और टेक्नोलॉजी इनकॉर्पोरेशन को आगे बढ़ाता है. ये दिखाता है कि सेना रियल टाइम ऑपरेशनल उपयोगों से कैसे शैक्षणिक अनुसंधान को सहज रूप से जोड़ना चाहती है.
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने स्वदेशीकरण से सशक्तिकरण के तहत आत्मनिर्भरता के प्रति भारतीय सेना की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए विभिन्न राष्ट्रीय तकनीकी मिशनों के अंतर्गत सहयोगों का उल्लेख किया.

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