हरियाणा के युवक की अमेरिका में मौत:कैलिफोर्निया की खाई में गिरा ट्राला, परिवार का था इकलौता बेटा, 3 साल पहले गया था डंकी के रास्ते

by Carbonmedia
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हरियाणा में करनाल के मंचुरी गांव के युवक अमेरिका के कैलिफोर्निया में सड़क हादसे में मौत हो गई। युवक वहां पर ड्राइवरी का काम करता था। कल शाम को वह ट्राला में लोड लेकर वॉशिंगटन से कैलिफोर्निया आ रहा था, इसी दौरान ट्राले का संतुलन बिगड़ गया और खाई में जा गिरा।
जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। परिवार को सुबह अमेरिका में रह रहे मृतक के दोस्तों ने इसकी जानकारी परिवार को दी। जिसके बाद माता व बहन का रो-रोक कर बुरा हाल है। युवक का शव भारत लाने के लिए परिवार के लोगों ने सरकार व प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। परिवार का था इकलौता बेटा
मृतक की पहचान गांव मंचूरी के पूर्व सरपंच सरदार हीरा सिंह के पुत्र गुरुमहक सिद्धू (26) के रूप में हुई है। गुरुमहक परिवार का इकलौता बेटा था। जो तीन साल पहले ही डंकी के रास्ते अमेरिका गया था। हीरा सिंह ने अपने बेटे को अमेरिका भेजने के लिए करीब 35 लाख रुपए खर्च किए थे, ये पैसा भी उन्होंने रिश्तेदारों से कर्ज उठकर दिया था।
अमेरिका जाने के बाद पहले गुरुमहक ने स्टोर पर काम किया था। करीब 1 साल पहले ही उसने अमेरिका में ड्राइविंग लाइसेंस बनाया और तब से ट्राला चालने लगा था। अब वह कैलिफोर्निया में ही किराए का माकान लेकर दोस्तों के साथ रह रहा था। उन्होंने ही आज सुबह परिवार को इस हादसे की सूचना दी।
अब अकेले रह गए माता पिता
गुरुमहक सिद्धू के परिजन सरपंच सुभाष ने बताया कि अभी कुछ समय पहले ही मंचूरी के पूर्व सरपंच सरदार हीरा सिंह अपनी पत्नी को लेकर कुरूक्षेत्र में चले गए। इससे पहले वह गांव में ही रहते थे। यहीं पर उन्होंने अपनी छोटी बेटी हरनुरू की शादी की थी। गुरुमहक उनका इकलौता बेटा था जो उसकी मौत के बाद अब माता पिता अकेले रह गए।
पिता करते थे खेती किसानी का काम
सुभाष ने बताया कि दो साल पहले तक हीरा सिंह खुद ही अपनी खेती करते थे, लेकिन बेटे अमेरिका जाने के बाद व बेटी की शादी करने के बाद उन्होंने खेती छोड़ दी। शादी के बाद भी गुरुमहक की छोटी बहन हरनुरू अपने पति के साथ कनाड़ा में शिफ्ट हो गए थे। अब कुरूक्षेत्र में ही हीरा सिंह व उसकी पत्नी अपने घर में रह रहे है।
सरकार से लगाई मदद की गुहार
गुरुमहक के पिता हीरा ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि कर्ज लेने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। बेटे के शव को भारत लाने में मदद की जाए। ताकि अपने अंतिम बार हम अपने बेटे का चेहरा देखकर उसका अपने हाथों से अंतिम संस्कार कर सकें।

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