हरियाणा-दिल्ली यमुना जल विवाद पर केंद्र का मंथन:दिल्ली में मीटिंग चल रही; CM सैनी के साथ केंद्रीय जल मंत्री मनोहर लाल भी मौजूद

by Carbonmedia
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हरियाणा और दिल्ली के साथ यमुना के इंटर स्टेट जल विवाद को लेकर केंद्र ने पहल शुरू की है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री आर पाटिल की मध्यस्थता में दोनों राज्यों के बीच मंथन शुरू हो गया है। इसको लेकर आज दिल्ली में मीटिंग भी चल रही है। इस मीटिंग की मध्यस्थता केंद्रीय जल शक्ति कर रहे हैं। मीटिंग में उनके अलावा केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्‌टर और हरियाणा के सीएम नायब सैनी भी मौजूद हैं। मीटिंग में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को भी शामिल होना था, लेकिन वह किसी कारण से शामिल नहीं हो पाई। दरअसल, अभी तक यमुना की पानी को लेकर दिल्ली और हरियाणा के बीच हमेशा से विवाद रहा है। इसकी वजह यह भी थी कि दिल्ली में अभी तक आम आदमी पार्टी (AAP) की थी, लेकिन अब यहां बीजेपी सत्ता में आई है। चूंकि हरियाणा में भी बीजेपी की सरकार है तो केंद्र चाहता है कि दिल्ली और हरियाणा के इंटर स्टेट मुद्दे सुलझा लिए जाएं। क्या है दिल्ली-हरियाणा के बीच यमुना जल विवाद दिल्ली और हरियाणा के बीच यमुना जल को लेकर विवाद कोई नया नहीं है, बल्कि सदियों पुराना है। यह विवाद केवल दो राज्यों से जुड़ा नहीं है, बल्कि पांच राज्यों से जुड़ा है। दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश। 1954 में यमुना जल समझौता हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच हुआ था, जिसमें हरियाणा को यमुना के जल का 77 प्रतिशत हिस्सा और उत्तर प्रदेश को 23 प्रतिशत तय किया गया था। लेकिन उस समय तीन राज्यों का जिक्र नहीं किया गया था। बाद में दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश ने भी दावा ठोका और विवाद गहराया। 1993 में दिल्ली और हरियाणा के बीच हुआ जल समझौता 1993 में दिल्ली और हरियाणा के बीच जल समझौता हुआ, जिसमें मुनक नगर के जरिए दिल्ली को पानी देने पर सहमति बनी। फिर 1994 में पांच राज्यों के बीच यमुना के जल को लेकर समझौता हुआ, जिसमें सभी राज्यों को उनके हिस्सा का पानी दिया जाता है। लेकिन उस समझौते में दिल्ली को सबसे अधिक फायदा हुआ। समझौते के अनुसार दिल्ली को जब भी पानी की जरूरत होगी, उसे पूरा किया जाएगा। दिल्ली पानी के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर दिल्ली पानी के लिए हमेशा से दूसरे राज्यों पर निर्भर रहा है। उसके पास खुद के कोई ठोस जल स्त्रोत नहीं हैं। दिल्ली, हरियाणा द्वारा छोड़े जाने वाले यमुना के जल पर ज्यादा निर्भर है, लेकिन गर्मी की शुरुआत होते ही दिल्ली का आरोप रहता है कि हरियाणा कम पानी छोड़ रहा है, जबकि हरियाणा सरकार का कहना है कि उसकी ओर से पर्याप्त पानी छोड़े जाते हैं, लेकिन दिल्ली में पानी बर्बादी जल संकट के लिए जिम्मेदार है।

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