पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा पुलिस के 2 अधिकारियों की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने जून 2019 से डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (DSP) पद पर पिछली तारीख से प्रमोशन की मांग की थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिना किसी पक्षपात, धोखाधड़ी या शक्ति के दुरुपयोग के कर्मचारियों को पिछली तारीख से पदोन्नति का कोई कानूनी अधिकार नहीं होता। जस्टिस जगमोहन बंसल ने आदेश में कहा कि प्रमोशन सेवा की शर्तों का हिस्सा होते हुए भी अधिकार नहीं है और यह संवैधानिक प्रावधान (अनुच्छेद 16) के तहत नियमों के अनुसार दी जाती है। जब तक पक्षपात, धोखाधड़ी या शक्ति के दुरुपयोग को साबित नहीं किया जाता, तब तक पिछली तारीख से प्रमोशन नहीं दी जा सकती। याची बोले- प्रमोशन में जानबूझकर देरी की गई
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि 2019 में प्रमोशन में देरी जानबूझ कर की गई, जिससे 2020 बैच में अधिक अधिकारियों के शामिल होने से उनके भविष्य में आई.पी. एस. बनने की संभावना प्रभावित होगी। उन्होंने जून 2019 से पदोन्नति की मांग की थी। सरकार ने ये दी दलील
राज्य सरकार ने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं से जूनियर किसी भी अधिकारी को उनसे पहले प्रमोशन नहीं किया गया है। और देरी एक प्रक्रिया के कारण हुई, न कि किसी दुर्भावना से। अदालत ने राज्य की दलील को स्वीकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।
हरियाणा पुलिस के 2 अफसरों की याचिका खारिज:जून 2019 से DSP प्रमोशन की मांग थी; कोर्ट बोला- प्रमोशन अधिकार नहीं
3