हरियाणा में गैर-मान्यता वाले खेल संघों में फंस रहे खिलाड़ी:लाखों खर्च कर श्रीलंका भेजे, मेडल भी जीते, सरकार से नहीं मिलेगी कोई सुविधा

by Carbonmedia
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हरियाणा के एक ओलिंपिक संघ ने 19 बॉक्सरों से लाखों रुपए खर्च करवाकर श्रीलंका में चैंपियनशिप करवा दी। इनको बाकायदा मेडल भी दिलवा दिए। मेडल जीतने की खुशी में खिलाड़ी डीजे पर भी नाचे, लेकिन बाद में पता चला कि इस ओलिंपिक संघ के पास तो मान्यता ही नहीं है। प्रदेश के इन 19 युवा बॉक्सरों में अधिकतर लड़कियां शामिल थीं। इन्होंने 10 से 23 मई 2025 तक श्रीलंका में भारतीय एमेच्योर बॉक्सिंग फेडरेशन के बैनर तले एशियन चैंपियनशिप खेली। 19 में से 17 खिलाड़ियों ने मेडल भी जीते हैं। बिना मान्यता वाले इस संघ से जुड़े बॉक्सरों को अब न तो हरियाणा सरकार से कोई कैश अवॉर्ड नहीं मिलेगा। सरकारी नौकरी के लिए भी उनका ग्रेडेशन नहीं बनेगा। श्रीलंका में चैंपियनशिप में रजत पदक विजेता बॉक्सर हिमांशी पंघाल के पिता ने कहा- मुझे नहीं पता कि मेरी बेटी जिस खेल संघ से जुड़ी है वह मान्यता प्राप्त है या नहीं। इन्हीं इसके प्रभावों की जानकारी नहीं है। बेटी रोहतक में प्रेक्टिस करती है। टूर्नामेंट में शामिल होने से उसका उत्साह बढ़ा है। टेक्निकल चीजों की उन्हें जानकारी नहीं है।- विकास पंघाल जानिए श्रीलंका में हुई चैंपियनशिप में कौन से बॉक्सर गए… श्रीलंका में करवाई चैंपियनशिप, हरियाणा-राजस्थान और दिल्ली के बॉक्सर गए
श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में आयोजित ASBC चैम्पियनशिप में 19 भारतीय बॉक्सरों का एक दल खेलने गया। इसमें 17 हरियाणवी, एक राजस्थान और एक दिल्ली से महिला बॉक्सर शामिल थी। भारतीय एमेच्योर बॉक्सिंग फेडरेशन ने इन्हें खेलने के लिए वहां पर भेजा था। इसके मुख्य कोच फरीदाबाद के राजीव गोदारा रहे। भारतीय एमेच्योर बॉक्सिंग फेडरेशन के पास इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन की मान्यता नहीं है। 17 बॉक्सर लाए मेडल
भारत के 19 बॉक्सरों ने इसमें हिस्सा लिया। इसमें 17 प्रतिभागियों ने अपने-अपने वर्ग में मेडल जीते। इसमें एक ने स्वर्ण पदक, 10 ने रजत और 6 ने कांस्य पदक जीता। अंडर 22 महिला वर्ग में भारतीय प्रतिभागी माही सिवाच ने स्वर्ण पदक जीता है। वहीं अंडर 22 महिला वर्ग में शिवानी और पुरुष वर्ग में शुभम कोई पदक नहीं ला पाए। 5 सवाल-जवाब से जानें गैर मान्यता प्राप्त संघ से जुड़े खिलाड़ियों का फ्यूचर क्या? सवाल- क्या गैर मान्यता प्राप्त संघ से खेलने पर सरकार की खेल नीति का फायदा मिलेगा? जवाब- नहीं। ऐसे संघ से खेलने वाले किसी भी खिलाड़ी को न तो नौकरी मिलेगी और न ही किसी तरह का कैश प्राइज। न ही ये खिलाड़ी खुद को खेल नीति के तहत फायदा लेने के लिए रजिस्टर्ड करवा सकते हैं। सवाल- अगर कोई गैर मान्यता प्राप्त संघ से खेलता है तो उसका फ्यूचर क्या होगा? जवाब- ऐसे संघों से खेलने पर जिनके पास सरकारी मान्यता नहीं है, उन प्लेयर का फ्यूचर सिक्योर नहीं है। आगे चलकर वे ओलिंपिक में भाग नहीं ले सकते। नेशनल गेम्स का हिस्सा नहीं बन सकते। प्राइवेट चैंपियनशिप खेलकर पैसा जरूर कमा सकते हैं। सवाल- अगर कोई इन खेल संघ को छोड़कर मान्यता प्राप्त संघ से जुड़ता चाहे तो कैसे जुड़ सकता है? जवाब- कोई भी खिलाड़ी गैर मान्यता प्राप्त खेल संघ को छोड़कर मान्यता प्राप्त खेल संघ से जुड़ सकता है। लेकिन इसके लिए उसे फिर से ट्रायल देना होगा। इस ट्रायल में पास होता है तब मान्यता प्राप्त संघ उसे अपने साथ जोड़ेगा, अन्यथा नहीं। सवाल- गैर मान्यता प्राप्त संघ से खेलने पर सबसे बड़ा क्या नुकसान हो सकता है? जवाब- गैर मान्यता प्राप्त संघ से खेलने पर उस खिलाड़ी को सरकार से मान्यता नहीं मिलती। दूसरा अगर वो मान्यता प्राप्त संघ से जुड़ता है तो फिर से उसे अपना करियर जीरो से शुरू करना पड़ेगा। सवाल- अगर कोई खिलाड़ी गैर मान्यता प्राप्त संघ से नेशनल लेवल तक खेलता है तो मान्यता प्राप्त संघ में ट्रायल पास करने पर नेशनल ही खेलेगा? जवाब- नहीं। उसे फिर से डिस्ट्रिक्ट लेवल से शुरुआत करनी होगी। उसे फिर से डिस्ट्रिक्ट लेवल के सभी ट्रायल पास करने होंगे। इसके बाद उसके सर्टिफिकेट चेक होंगे। उम्र के हिसाब से एंट्री मिलेगी। अगर कोई इंटरनेशनल लेवल की प्राइवेट चैंपियनशिप खेल चुका हो तो उसे मान्यता प्राप्त संघ से जुड़ने पर निचले पायदान यानी नेशनल से शुरुआत करनी पड़ेगी। वो भी उस खेल संघ के नियम के अनुसार। अब जानें गैर मान्यता और मान्यता प्राप्त संघ में फर्क क्या है
गैर मान्यता प्राप्त संघ की हरियाणा सरकार के खेल विभाग से रजिस्ट्रेशन नहीं हुई होती है। कोई भी अपने तौर पर संघ बना सकता है, लेकिन इसके बारे में खिलाड़ियों को बताना जरूरी होता है। खिलाड़ियों से धोखा नहीं कर सकते। सरकार की तरफ से आयोजित चैंपियनशिप में भाग नहीं ले सकते और न ही इनके खिलाड़ियों को खेल नीति के तरह सरकारी नौकरी या कैश अवॉर्ड का फायदा मिलता है। जबकि मान्यता प्राप्त खेल संघ से जुड़े खिलाड़ी को सरकार की खेल नीतियों का फायदा मिलता है। नौकरी मिलती है। कैश प्राइस मिलता है। खिलाड़ियों को कैसे फंसाते हैं गैर मान्यता प्राप्त संघ कोच और प्राइवेट खेल एकेडमियों के साथ सेटिंग
गैर मान्यता प्राप्त खेल संघ खिलाड़ियों को बिना पूरी सच्चाई बताए कोच और प्राइवेट एकेडमियों के जरिए फंसाते हैं। कोचों और एकेडमियों को लालच देकर इनके प्लेयर के ट्रायल लिए जाते हैं। ट्रायल के बाद सिलेक्शन प्रोसेस होता है। गैर मान्यता प्राप्त संघों को खिलाड़ियों से मिलने वाली फीस के रूप में कमाई होती है। सभी संघों की फीस अलग-अलग होती है। पूरी प्रक्रिया मान्यता प्राप्त खेल संघ वाली ताकि शक न हो
गैर मान्यता प्राप्त खेल संघ खिलाड़ियों की सिलेक्शन से लेकर रजिस्ट्रेशन तक की पूरी प्रक्रिया वही अपनाते हैं जो मान्यता प्राप्त खेल संघ अपनाते हैं। गैर मान्यता प्राप्त संघ पहले डिस्ट्रिक टूर्नामेंट करवाते हैं। इनमें ट्रायल के लिए खिलाड़ियों को बुलाया जाता है। ट्रायल में पास होने पर इनका रजिस्ट्रेशन होता है और इसके बाद सर्टिफिकेट लेकर कोचिंग के लिए खेल संघ में शामिल कर लिया जाता है। यही सेम प्रक्रिया मान्यता प्राप्त खेल संघों की भी रहती है। हरियाणा में इस समय करीब 4 हजार बॉक्सर प्रेक्टिस कर रहे
हरियाणा में इस समय मान्यता प्राप्त खेल संघों से करीब 4 हजार बॉक्सर जुड़े हैं और प्रेक्टिस कर रहे हैं। ये खेल संघ अपनी निगरानी में देश के नामी कोच के जरिए इन खिलाड़ियों को तैयार करते हैं। कई तरह की चैंपियनशिप में कंपीटिशन के बाद इनका सिलेक्शन नेशनल और फिर इंटरनेशनल कंपीटिशन के लिए होता है। 500-600 बॉक्सर गैर मान्यता प्राप्त संघ से जुड़े
युवाओं में बॉक्सिंग के क्रेज को देखते हुए हरियाणा में कई खेल संघ खड़े हो गए हैं। इनको सरकार से मान्यता नहीं मिली है। ऐसे खेल संघों से हरियाणा के अलग-अलग जिलों के खिलाड़ी जुड़े हुए हैं। इनमें से अधिकतर खिलाड़ियों समेत उनके पेरेंट्स तक नहीं जानते कि आने वाले समय में उनके बच्चों का फ्यूचर क्या होगा।

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