हरियाणा में बच्ची के इलाज के लिए गिड़गिड़ाए माता-पिता:टब में डूबी, 2 जिलों के अस्पतालों में वेंटिलेटर के लिए भटके, गोद में दम तोड़ा

by Carbonmedia
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सोनीपत के सिविल अस्पताल से लेकर PGI रोहतक तक के डॉक्टर पानी में डूबी 1 साल की बच्ची को बचाने के लिए वेंटिलेटर प्रोवाइड नहीं करवा पाए। 9 घंटे से भी ज्यादा वक्त तक बच्ची को गोद में लेकर मां डॉक्टरों के सामने गिड़गिड़ाती रही और आखिरकार बच्ची ने दम तोड़ दिया। हरियाणा के हेल्थ सिस्टम की ये कहानी सोनीपत के गांव रायपुर से शुरू होती है। यहां किराये पर रह रहे MP के छतरपुर के परिवार की बच्ची 31 मई को टब में डूब गई। दोपहर 12 बजे के करीब बच्ची को लेकर परिवार के लोग सबसे पहले सोनीपत के सिविल अस्पताल में पहुंचे। मां नोनी और पिता पवन ने बताया कि जब बच्ची को लाया गया तो उसकी सांसें चल रही थीं। यहां वे बच्ची को एडमिट करने के लिए कहते रहे, लेकिन डॉक्टरों ने उनकी बात ही नहीं सुनी। उनको यहां वेंटिलेटर नहीं मिला और रोहतक PGI के लिए रेफर कर दिया। दोपहर 2 बजे वे रोहतक PGI पहुंचे। यहां भी डॉक्टरों ने कहा कि किसी बड़े डॉक्टर की सिफारिश डलवाओ तब जाकर वेंटिलेटर मिल पाएगा। यहां भी बच्ची गीले कपड़ों में स्ट्रेचर पर पड़ी रही। जब रात 9 बजे डॉक्टर देखने आए तो कहा कि बच्ची की मौत हो गई है। सिलसिलेवार ढंग से पढ़ें पूरा मामला और परिवार ने क्या आरोप लगाए… टब में नहाती बहन के साथ खेलती हुई डूबी प्राशिता
सोनीपत के रायपुर गांव में राज मिस्त्री का काम करने वाला पवन अपनी पत्नी नोनी, 3 साल की बड़ी बेटी सोनम, 1 साल की बेटी प्राशिता और माता-पिता के साथ किराये के मकान में रह रहा था। 31 मई को दोपहर 11.30 बजे बड़ी बेटी सोनम घर के आंगन में रखे टब में नहा रही थी। इस दौरान प्राशिता भी उसके साथ खेलते हुए चली गई और जैसे ही डब के अंदर की तरफ झुकी तो उसमें गिर गई। डूबने के कारण वे बेसुध हो गई। सोनीपत से रोहतक रेफर किया
पिता पवन ने बताया कि घटना के वक्त वह और उसकी पत्नी ऊपर कमरे में थे और सोचा की बच्चे नीचे दादा-दादी के पास होंगे। जैसे ही बेटी के डूबने का पता चला तो वे तुरंत उसे मकान मालिक सुरेंद्र गौतम की मदद से साढ़े 12 बजे सोनीपत अस्पताल लाए। बच्ची को जब सोनीपत के सिविल अस्पताल में लेकर पहुंचे तो यहां पर डॉक्टर अपने केबिन में बैठकर हंस रहे थे। मैंने कहा कि मेरी बच्ची को बचा लो तो किसी ने बात नहीं सुनी। मां नोनी ने बताया कि यहां पर किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। मैं कई बार डॉक्टरों के पास गई, लेकिन वो मजे से बैठे रहे। बहुत जोर डाला तो उन्होंने कहा कि यहां वेंटिलेटर की सुविधा नहीं है और एक घंटे बाद बच्ची को रोहतक PGI के लिए रेफर कर दिया। हमारा एक घंटा यहीं पर खराब कर दिया। दूसरे बच्चे को ICU में ले गए
पवन ने बताया कि वे एम्बुलेंस से बच्ची को लेकर PGI रोहतक पहुंचे। इस बीच भी उनको 1 घंटा लग गया। यहां बच्ची को स्ट्रेचर पर लेटा दिया गया, मगर कोई डॉक्टर उसे देखने तक नहीं आया। 1 घंटे तक मेरी बच्ची गीले कपड़ों में स्ट्रेचर पर पड़ी रही। मां नोनी ने कहा कि मैं गरीब हूं तो इसमें मेरा और मेरी बच्ची का क्या कसूर। मैंने डॉक्टर को बहुत बोला, लेकिन किसी ने नहीं सुना। ये बताओ मेरी बच्ची को ICU में लेकर क्यों नहीं गए, जो बच्चा उसके बाद लाया गया था, उसे तुरंत ICU में ले गए। ये फर्क है गरीब और अमीर में। जब मैं डॉक्टरों के आगे रोने लगी तो एक डॉक्टर ने कहा कि वेंटिलेटर चाहिए और बच्ची को ICU में भर्ती करवाना है तो किसी बड़े डॉक्टर की सिफारिश लगवाओ, एक मिनट में काम हो जाएगा। समाजसेवी देवेंद्र ने कहा कि सिफारिश की बात पर उन्होंने एक डॉक्टर का नंबर निकाला जिसका नाम ध्रुव था। उनसे बात कि तो उन्होंने कहा कि डॉक्टर कुंदन मित्तल चाइल्ड विभाग के HOD हैं, उनसे बात करो। जब डॉक्टर कुंदन मित्तल से बात हुई तो जवाब मिला कि वेंटिलेटर तो ध्रुव चौधरी के पास भी है, वो क्यों नहीं देते। इसके कुछ देर बाद डॉ. कुंदन ने रिपोर्ट मांगी। इसके बाद बच्ची की देखरेख कर रहे डॉ. लखन से कहा कि बच्ची की हालत खराब है, इसका इलाज शुरू करें। कुछ देर बाद स्ट्रेचर मंगवाया गया, लेकिन स्टाफ ने नहीं सुना। करीब 1 घंटे बाद स्टाफ ने बताया कि बच्ची मर चुकी है। 8 बजकर 40 मिनट तक बच्ची की सांस चल रही थी। समाजसेवी बोला- मैंने CPR दी तो सांसें लौटीं, डॉक्टर तमाशा देखते रहे
समाजसेवी देवेंद्र गौतम ने कहा कि बच्ची का पिता पवन उनके पास काम करता है। इनकी छोटी बेटी के डूबने का पता चला तो उसे तुरंत सोनीपत सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे। मैंने यहां बच्ची को CPR दी तो सांसें लौट आईं, लेकिन वेंटिलेटर नहीं मिला। यहां डॉक्टर तमाशा देखते रहे। बच्ची की छाती दबाते रहे, उसके मुंह से ब्लड तक निकल रहा था। हमने डॉक्टरों की लापरवाही को लेकर सोनीपत सेक्टर 27 थाने में शिकायत दे दी है। सिविल हास्पिटल सोनीपत में 6 वेंटिलेटर
सिविल अस्पताल सोनीपत में कागजों में 4 से 6 वेंटिलेटर हैं, लेकिन सभी एडल्ट के लिए हैं। सोनीपत अस्पताल की CMO डॉक्टर ज्योत्सना ने बताया कि एडल्ट वेंटिलेटर भी ICU में होता है। हमारा ICU भी पूरी तरह फंक्शनिंग नहीं है, क्योंकि स्टाफ की कमी है। पेडिएट्रिक यानी एक साल की उम्र के बच्चों के लिए वेंटिलेटर की सुविधा नहीं है। रेफर भी इसलिए किया गया, लेकिन पब्लिक को इतनी जानकारी नहीं होती। CMO ने कहा- पीकू की सुविधा नहीं
सोनीपत हास्पिटल की CMO डॉक्टर ज्योत्सना ने कहा उनके यहां पीकू की सुविधा नहीं। एडल्ट के लिए तो वेंटिलेटर सुविधा है और नवजन्मे बच्चों के लिए भी, लेकिन पीकू की जरूरत 1 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए पड़ती है। इसलिए बच्ची को रेफर किया गया होगा। वैसे मुझे बच्ची के केस की डिटेल पता नहीं है। जब किसी के साथ घटना हो जाती है तो किसी न किसी के कंधे पर बंदूक तो रखी जाती है, लेकिन डॉक्टर हमेशा मरीज को बचाने की कोशिश करते हैं। अब एक तरफ से देखा जाए तो बच्ची जब टब में डूब गई तो माता-पिता की भी तो गलती है। PGI के डॉक्टर बोले- ब्रेन डेड आया था पेशेंट, कोई लापरवाही नहीं हुई
PGI के डॉयरेक्टर डॉक्टर सिंघल ने बताया कि जो बच्ची सोनीपत से आई थी वह पहले से ही ब्रेन डेड थी। बच्ची को पंपिंग सिस्टम के साथ धड़कन लाने का प्रयास किया जा रहा था। बच्ची की कभी धड़कन आ रही थी कभी जा रही थी। डॉक्टर पूरी मॉनिटरिंग कर रहे थे। जैसे ही वेंटिलेटर उपलब्ध हुआ तो बच्ची को उस पर रखने की तैयारी कर रहे थे कि तभी बच्ची की दोबारा धड़कन चली गई। जब काफी प्रयास करने के बाद भी धड़कन नहीं आई तो उसे मृत घोषित किया गया था। डॉक्टरों की तरफ से कोई लापरवाही नहीं बरती गई।

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