हरियाणा में सोशो-इकॉनॉमिक नंबरों को लेकर सुरजेवाला नाराज:बोले- 30 हजार कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा; खट्टर-नायब सैनी सरकार ने युवाओं की जिंदगी बर्बाद की

by Carbonmedia
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव और सांसद रणदीप सुरजेवाला ने हरियाणा में सोशो- इकोनामिक नंबरों को लेकर बीजेपी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि खट्टर-नायब सैनी सरकारों ने युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर दी है। उनकी गलत नीतियों के कारण 30,000 पक्के कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटकी हुई है। ‘सोशो-इकॉनॉमिक नंबरों’ के ‘लॉलीपॉप’ से वोट तो लूटे, पर युवाओं के भविष्य की भ्रूणहत्या की। सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा के युवा अब ‘सरकारी नौकरी की आस’ छोड़ दें, भाजपा मस्त, भविष्य पस्त। न पर्ची – न खर्ची’’ का षडयंत्रकारी व झूठा नारा देकर तथा ‘मेरिट पर नौकरी लगाने की डींगें भरकर’ भाजपा ने बड़ी-बड़ी बातें कीं व लेकिन युवाओं के लिए कुछ नहीं किया। बीजेपी ने वादा कर वोट लिए और कुछ नहीं किया सुरजेवाला ने कहा, 11 जून, 2019 को ‘‘सोशो इकॉनॉमिक आधार’’ पर नौकरी में 10 नंबर देने का झांसा देकर नीति बनाई, खूब वाहवाही लूटी और हरियाणा के युवाओं को ‘मेरिट पर नौकरी’ के सब्जबाग तक दिखाकर साल 2019 और 2024 में सत्ता हथिया ली। वादा किया कि ग्रुप सी व ग्रुप डी की पारदर्शी भर्तियों के लिए साल में दो बार CET का पेपर करवाएंगे और उसी से नौकरी लगाएंगे। पर हुआ क्या? सोशो इकॉनॉमिक आधार व नंबर देने की नीति ‘‘असंवैधानिक’’ ठहराई गई और खारिज कर दी गई। पांच साल में 10 बार (साल में दो बार) CET एग्जाम करवाने की बजाय, साल 2021 से 2025 के बीच केवल एक बार ही CET Exam करवाया, वह भी 5/6 नवंबर, 2022 को। इस सीईटी एग्जाम को भी अदालत ने गलत पाकर खारिज कर दिया। 30000 नौकरियों पर खतरा ​​​​​​​पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले पर उन्होंने कहा कि 24 अप्रैल, 2025 को दिए हाईकोर्ट के निर्णय के बाद साल 2019 के बाद लगे 30,000 से अधिक सरकारी कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में आ गई हैं। अदालत का फैसला आए 48 घंटे से ज्यादा बीत गए, पर मुख्यमंत्री, श्री नायब सैनी घबराए हुए कर्मचारियों को आश्वस्त करने हेतु एक शब्द नहीं बोल रहे। पूरी सरकार ऐसे चुप है जैसे उन्हें सांप सूंघ गया हो। 2019 से 2025 तक की भर्ती वाले युवा संशय में ​​​​​​​साल 2019 से साल 2025 के बीच भर्ती हुए सभी पक्के कर्मचारियों की नौकरियां संशय के घेरे में हैं, क्योंकि सोशो-इकॉनॉमिक के नंबर काटने के बाद बनाई गई नई मेरिट लिस्ट में चयन नहीं हुआ, तो फिर इन सारे कर्मचारियों को ‘‘एडहॉक’’, यानी कच्चे कर्मचारी माना जाएगा। तो फिर 5 से 6 साल की पक्की नौकरी तो खत्म हो गई, प्रमोशन के लिए यह सर्विस गिनी ही नहीं जाएगी। इंक्रीमेंट, डियरनेस अलाउंस व पेंशन, सबके सब पर उल्टा प्रभाव पड़ेगा। कसूर करें मनोहर लाल खट्टर व नायब सैनी और भुगतें बेकसूर युवा कर्मचारी। पक्के कर्मचारी एडहॉक बन जाएंगे ​​​​​​​जब हजारों पक्के कर्मचारी सालों की पक्की नौकरी के बाद ‘‘एडहॉक’’ कर्मचारी बन जाएंगे, तो ये तब तक पक्के नहीं हो सकते, जब तक काडर में रैगुलर पोस्ट नहीं आएगी। अगर इस प्रक्रिया में कुछ साल और लग गए, तो फिर उनकी सालों की सर्विस, प्रमोशन, इंक्रीमेंट, अलाउंस और पेंशन का क्या होगा?अगर नायब सैनी और उनकी सरकार ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले को चुनौती दी, तो फिर वो हजारों पक्के कर्मचारी, जो किसी वजह से रिवाईज़्ड मेरिट लिस्ट में नहीं आ पाए और उन्हें हाईकोर्ट द्वारा रैगुलर पोस्ट आने तक एडहॉक कर्मचारी बनाकर रखने का निर्देश दिया है, उनका क्या होगा? सुरजेवाला बोले- सरकार नई पोस्टें गठित करे ​​​​​​​एक ही हल है, नायब सैनी इस प्रक्रिया में हटने वाले सभी हजारों कर्मचारियों के लिए नई पोस्टें गठन कर दें ताकि सबकी पक्की नौकरी बची रहे। सरकार इसके लिए वित्त विभाग से मंजूरी दे, बजट आवंटन कर दे। परंतु नायब सैनी इस बारे एक शब्द भी नहीं बोल रहे और उल्टा पूरे मामले को अपील के चक्कर में उलझाने की कवायद कर रहे हैं। जब ‘सुकृति मलिक’ के केस की सरकार की अपील को सुप्रीम कोर्ट पहले ही खारिज कर चुकी है (जिसमें भी सोशो-इकॉनॉमिक नंबरों को खारिज किया था), तो फिर पूरे मामले को मुख्यमंत्री दोबारा सुप्रीम कोर्ट में उलझाकर युवाओं का शोषण करने की बात क्यों कर रहे हैं?

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