हरियाणा में BPL परिवारों को अब महंगा मिलेगा सरसों तेल:250 प्रतिशत बढ़ाई दरें, दो लीटर तेल के लिए 40 ₹ की बजाए 100₹ देने होगें

by Carbonmedia
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हरियाणा में सरकार द्वारा बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) परिवारों को दी जाने वाली रसोई राहत, अब बोझ में तब्दील होती नजर आ रही है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के नए निर्देशों के तहत अब बीपीएल परिवारों को हर महीने मिलने वाला दो लीटर सरसों का तेल 40 रुपए के बजाय 100 रुपए में मिलेगा। इस फैसले से जिले के करीब 2.65लाख गरीब परिवारों को सीधा असर झेलना पड़ेगा। यह आदेश जुलाई माह में मिलने वाले सरसों के तेल पर लागू रहेगा।
250 प्रतिशत बढ़ी दरें, गरीबों पर महंगाई की मार अब तक बीपीएल कार्डधारकों को दो लीटर सरसों का तेल सिर्फ 40 रुपए में मिलता था, जिससे उनकी रसोई का बोझ कुछ हद तक कम होता था। लेकिन अब दाे लीटर तेल की मात्रा के लिए 100 रुपए चुकाने होंगे। यह बढ़ोतरी करीब 250 प्रतिशत की है, जिससे गरीब परिवारों में रोष है और उन्हें पहले से ही बढ़ती महंगाई के बीच अब रसोई की चिंता और सताने लगी है। हर महीने चार लाख लीटर तेल का वितरण सोनीपत जिले में कुल 471 राशन डिपो हैं, जिनके माध्यम से बीपीएल परिवारों को राशन वितरित किया जाता है। हर महीने इन डिपो से करीब चार लाख लीटर सरसों तेल का वितरण किया जाता है। नई दरें लागू होने से इस वितरण प्रणाली पर भी असर पड़ने की आशंका है, क्योंकि कई परिवार इतने पैसे न होने के कारण तेल लेने से पीछे हट सकते हैं। बढ़ोतरी होने की वजह खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने तेल की दरें बढ़ाने की वजह इसके बाजार भाव में हुई तेजी को बताया है। जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक विशाल सहरावत ने कहा कि, “मार्केट रेट सरसों का काफी हाई है। इसी कारण विभाग द्वारा दरें बढ़ाई गई हैं। उपभोक्ताओं को परेशानी न हो, इसके लिए विभाग पूरी तरह सतर्क है।” डिपो धारकों ने भी जताई चिंता राशन डिपो धारक त्रिलोक जैन ने कहा कि मुख्यालय से मिले निर्देश के तहत दरों में बदलाव किया गया है। लेकिन इससे उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। उन्होंने माना कि गरीब परिवार पहले ही महंगाई से जूझ रहे हैं और अब यह राहत योजना भी उन्हें सस्ती नहीं रह गई है। बीपीएल परिवारों में बढ़ती नाराजगी इस अचानक बढ़ोतरी ने बीपीएल कार्डधारकों को नाराज कर दिया है। जो परिवार महीने भर के लिए 40 रुपए में तेल पाकर राहत महसूस करते थे, अब उन्हें 100 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। कई उपभोक्ताओं का कहना है कि सरकार को इस तरह की सब्सिडी योजना को बंद नहीं करना चाहिए था, बल्कि गरीबों को राहत देने के लिए और विकल्प तलाशने चाहिए थे।

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