हरियाणा के हिसार स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) में नए कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा की नियुक्ति पर फिर बवाल मच गया है। दरअसल 11 महीने पहले जिस वीसी को अयोग्य मानकर हरियाणा सरकार ने हटाया था उसे दोबारा बैकडोर से एंट्री दे दी गई है। बिना कोई अधिसूचना या विज्ञापन जारी किए बिना बैकडोर से पुराने वीसी की फिर ज्वॉइनिंग होने से मामला फिर सुर्खियों में आ गया है। ऐसे में यूनिवर्सिटी के ही पूर्व प्रोफेसर डॉक्टर जगबीर रावत ने सरकार को अवमानना के लिए लीगल नोटिस भेजा है। डॉक्टर जगबीर रावत ने तुरंत विज्ञापन जारी करने की मांग की है। नोटिस में कहा गया है कि माननीय उच्च न्यायालय ने 22 अगस्त 2024 के अपने निर्णय के माध्यम से कुलपति की नियुक्ति को रद्द कर दिया था और विश्वविद्यालय को कानून के अनुसार एक नई और पारदर्शी चयन प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया, जिसमें यह भी शामिल था कि विश्वविद्यालय के लिए यह आवश्यक था कि वह पद रिक्त होने के तुरंत बाद विज्ञापन की प्रक्रिया शुरू कर दे। पूर्व प्रोफेसर की ओर से भेजे गए नोटिस के 3 अहम बिंदू… 1. पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की माननीय खंडपीठ ने कुलपति की नियुक्ति के संबंध में यूनिवर्सिटी से एनआईसी रिकॉर्ड मांगा था कि नियुक्ति प्रक्रिया वैधानिक प्रक्रिया के अनुरूप थी या नहीं। विश्वविद्यालय आवश्यक एनआईसी डेटा प्रस्तुत करने में विफल रहा, जो उसके जानबूझकर गैर-अनुपालन को और पुष्ट करता है। 2. आज तक, माननीय उच्च न्यायालय के स्पष्ट और बाध्यकारी निर्देशों के बावजूद, और निर्णय के बाद से एक महत्वपूर्ण अवधि बीत जाने के बावजूद, विश्वविद्यालय जानबूझकर और जानबूझकर कुलपति के पद का विज्ञापन करने में विफल रहा है, जिससे न्यायिक आदेशों की अवहेलना हुई है और न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न हुई है। 3. कुलाधिपति और हरियाणा सरकार के नियंत्रण और पर्यवेक्षण के तहत विश्वविद्यालय की ओर से ऐसा आचरण न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 12 के तहत अदालत की अवमानना के बराबर है। जहां माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सार्वजनिक कार्यालयों में नियुक्तियों में पारदर्शिता और वैधानिक प्रक्रिया के अनुपालन की आवश्यकता पर जोर दिया था मगर जानबूझकर कानून का उल्लंघन किया गया। विश्वविद्यालय ने कहा- नियमों के हिसाब से की गई नियुक्त प्रबंधन बोर्ड की ओर से 1 और 2 अगस्त 2025 को चंडीगढ़ में आयोजित उच्चस्तरीय 33वीं बैठक में सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय के अनुपालन में, वेटरनरी फार्माकोलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं प्रधान वैज्ञानिक (सेवानिवृत्त) व पूर्व कुलपति, लुवास, प्रो. डॉ. विनोद कुमार वर्मा को लुवास का कुलपति नियुक्त किया गया है। ज्वॉइनिंग के बाद कुलपति डॉ. वर्मा ने क्या कहा… शोध व नवाचार को बढ़ाया दूंगा : कुलपति ने कहा मेरी प्राथमिकता विश्वविद्यालय को देश की शीर्ष पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों में शामिल करने की होगी। उन्होंने बताया कि वह एक टीम भावना के साथ कार्य करते हुए विश्वविद्यालय को शोध, नवाचार और उत्कृष्टता का केंद्र बनाएंगे। इसके तहत विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार, शैक्षणिक एवं प्रशासनिक डिजिटलीकरण, उन्नत शोध परियोजनाओं को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग स्थापित करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। किसानों-पुश पालकों की आय दोगुनी करेंगे : डॉ. वर्मा ने कहा कि पशुपालकों और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर समर्पित प्रयास किए जाएंगे। हर्बल उत्पादों के माध्यम से पशुओं के उपचार के लिए नई दवाओं के विकास पर विश्वविद्यालय में विशेष अनुसंधान किया जाएगा। इन दवाओं का उद्देश्य पशुओं में दवा-प्रतिरोधक क्षमता को कम करना और सुरक्षित, दीर्घकालिक उपचार सुनिश्चित करना होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी इस विषय को प्राथमिकता दे रहा है और लुवास इसमें अग्रणी भूमिका निभाएगा। विश्वविद्यालय के नए कैंपस का निर्माण : कुलपति ने कहा कि नए कैंपस का जल्दी निर्माण कार्य प्राथमिकता के आधार पर तेजी से पूर्ण कराया जाएगा। उन्होंने सभी शिक्षकों, कर्मचारियों, छात्रों और शोधार्थियों से अपील की कि वे मिलकर विश्वविद्यालय को एक वैश्विक स्तर का अग्रणी संस्थान बनाने में योगदान दें। वह विश्वविद्यालय केवातावरण को और भी अधिक सकारात्मक, समावेशी तथा विकासोन्मुख बनाएंगे।
हरियाणा में VC की नियुक्ति पर बवाल:बिना विज्ञापन फिर उसी कुलपति की नियुक्ति की जिस सरकार ने हटाया, अवमानना को नोटिस भेजा
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