हरियाणा HCS अश्वनी कुमार का जबरन रिटायरमेंट:नोटिफिकेशन जारी; महाराष्ट्र की कंपनी को गलत तरीके से 50 लाख पेमेंट करने पर कार्रवाई

by Carbonmedia
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हरियाणा सरकार ने सहकारी चीनी मिल, सोनीपत के प्रबंध निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान प्रक्रियात्मक उल्लंघन और अधिकार के दुरुपयोग के निष्कर्षों के बाद एचसीएस अधिकारी अश्विनी कुमार की जबरन रिटायरमेंट के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दी है। यह कार्रवाई 12 जून, 2020 को मेसर्स के बाउवेट इंजीनियरिंग लिमिटेड, सतारा, महाराष्ट्र को लगभग 50 लाख रुपए के कंट्रोवर्सियल पेमेंट से हुई है, जबकि शुगरफेड के एमडी ने अनसेटिस्फेक्ट्री वर्क के कारण पेमेंट रोके रखने के लिए टेलीफोन और रिटन ऑर्डर दिए थे। अश्वनी कुमार पर ये लगे आरोप… 1. आधिकारिक पावर का दुरुपयोग किया हरियाणा सिविल सेवा (दंड और अपील) नियमों के नियम 7 के तहत फरवरी 2023 में जारी आरोप पत्र में कहा गया है, “यह काम न केवल आधिकारिक क्षमता के दुरुपयोग को दर्शाता है, बल्कि उनके द्वारा, यानी अश्विनी कुमार द्वारा एक निजी आपूर्तिकर्ता फर्म को अनुचित वित्तीय लाभ, पक्षपात को भी दर्शाता है। 2. केमिस्ट को पेमेंट की पावर दी आगे आरोप यह भी है कि आनंद सिंह के आधिकारिक तौर पर चीफ अकाउंट ऑफिसर का पदभार संभालने के बावजूद, कुमार ने तत्कालीन मुख्य केमिस्ट बीएस हुड्डा को आरटीजीएस भुगतान सहित वित्तीय मामलों को संभालने की अनुमति दी। उन्होंने कथित तौर पर हुड्डा से ये जिम्मेदारी वापस लेने के शुगरफेड के एमडी के निर्देशों की भी अनदेखी की। क्या बोले अश्वनी कुमार अपने बचाव में, कुमार ने दावा किया है कि उन्होंने सोनीपत के डीसी कार्यालय से भुगतान रोकने के मौखिक निर्देश प्राप्त हुए थे, लेकिन कोई लिखित निर्देश नहीं दिए गए। उन्होंने कहा कि मूल राशि “सद्भावनापूर्वक और ब्याज से बचने के लिए चुकाई गई थी, क्योंकि फर्म ब्याज छोड़ने के लिए सहमत हो गई थी। रिटायर्ड IAS की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने की जांच रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी कृष्ण लाल मन्हास की अध्यक्षता में विभागीय जांच में यह निष्कर्ष निकला कि कुमार ने सीनियर अफसरों की सलाह के विरुद्ध काम किया और अनियमित रूप से हुड्डा को वित्तीय जिम्मेदारी सौंपीं। जांच अधिकारी ने कहा, यह तब किया गया जब लेखा शाखा में प्रशिक्षित और अनुभवी कर्मचारी उस समय मौजूद थे। जांच और साक्ष्यों की समीक्षा के बाद, सक्षम प्राधिकारी ने जबरन रिटायरमेंट का बड़ा दंड लगाने का निर्णय लिया। हरियाणा लोक सेवा आयोग ने 23 जुलाई, 2025 के अपने पत्र में इस फैसले का समर्थन किया है।

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