‘हर हिंदुस्तानी तक पहुंचने के लिए सालों से जूझ रहा’:आमिर खान बोले- हर भारतीय तक सस्ती फिल्में पहुंचाना मेरा सपना था, अब थिएटर जनता की जेब में

by Carbonmedia
()

आमिर खान ने 29 अगस्त को फिल्म ‘सितारे जमीन पर’ को यूट्यूब पर रिलीज करने का ऐलान किया। 1 अगस्त से उनकी ये फिल्म आमिर खान टॉकीज पर मात्र 100 रुपए में उपलब्ध रहेगी। दैनिक भास्कर से खास बातचीत में आमिर ने इस आइडिया के बारे में खुलकर बात की है। उन्होंने ये बताया कि कैसे यूट्यूब के लिए उन्हें सिनेमा हॉल का पे पर व्यू कॉन्सेप्ट का ख्याल आया। वो इसके बारे में 15 साल से सोच रहे थे। इस बीच में क्या चुनौतियां रहीं और कैसे उन्होंने एक-एक करके सारी कड़ियां जोड़ी हैं। अब जब उनका सपना पूरा हो रहा है, तो वो चाहते हैं कि लोग किफायती दाम में अपनी फैमिली, पड़ोसी या पूरे गांव के साथ बैठकर फिल्म देखें। ‘सितारे जमीन पर’ कॉमेडी के साथ बेहद ही संजीदा मुद्दे पर बात करती है। इसकी सफलता को आप कैसे देखते हैं? इस फिल्म के जरिए आप जो मैसेज देना चाहते थे, क्या वो मकसद पूरा हुआ? इस फिल्म को बहुत प्यार और इज्जत मिली है। थिएटर में देश में, दुनिया भर में इस फिल्म को काफी पसंद किया गया है। इस बात की मुझे, आर एस प्रसन्ना, जेनेलिया और पूरी कास्ट क्रू को बहुत खुशी है। लेकिन सच्चाई ये है कि हमारे देश में बहुत कम सिनेमा हॉल है। जब कोई भी फिल्म सफल होती है, तो उस हमारे देश की आबादी के हिसाब से 2-3 फीसदी ही लोग देख पाते हैं। ये बात मैं ‘पुष्पा’, ‘एनिमल’, ‘दंगल’, ‘गदर-2’ जैसी सबसे बड़ी कामयाब फिल्म के लिए कह रहा हूं। ऐसे में देश की 97 फीसदी आबादी ने अब तक ये फिल्में नहीं देखी हैं। उन्होंने फिल्म के बारे में सुना होगा। उन्हें पता होगा कि ये कामयाब फिल्म है और लोगों को बहुत पसंद आई। वो फिल्म देखना चाहते हैं लेकिन फिल्म उन तक पहुंच नहीं पाई है। इसकी वजह है कि देश भर में बहुत सारे इलाके हैं, जहां थिएटर दूर है। इसके अलावा भी कई वजहें होती हैं। इन्हीं सब वजहों से मैंने एक कोशिश की है। मेरी कोशिश है कि मेरी फिल्म हर हिंदुस्तानी तक पहुंचे। हर हिंदुस्तानी एक किफायती दाम में मेरी फिल्म देख पाए। ये मेरा सपना है। करीब 15 साल पहले मुझे ये एहसास हुआ था कि हम थिएटर के जरिए अपने देश के ज्यादातर आबादी तक नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में और कोई जरिया हमें ढूंढना होगा। मैं 15 साल से इस बात से जूझ रहा हूं कि किस तरह हम अपने देश के ऑडियंस के पास किफायती तरीके से पहुंच पाएंगे। मुझे देश के कोने-कोने तक पहुंचाना है। जब मैं इन सारे सवालों से जूझ रहा था, तब हमारे आस-पास कुछ चीजें बदलीं। इनकी वजह से आज मुझे लगता है कि हम उस दिशा में कदम के लिए तैयार हैं। उसमें सबसे पहला बदलाव आया, जब हमारी सरकार ने 2016 में यूपीआई लॉन्च किया। आज हर कोई इसे इस्तेमाल कर रहा है। इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट के मामले में हिंदुस्तान इस वक्त नंबर वन देश है। जब आप डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पर आते हैं, तो सबसे पहले इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट की जरूरत पड़ती है। ऐसे में मेरे सपने के लिए जो सबसे बड़ा चैलेंज था, वो सरकार की वजह से सॉल्व हो गई। इसके बाद इंटरनेट की जरूरत होती है। पिछले कुछ सालों में इंटरनेट तक सबकी पहुंच बनी है और आने वाले दिनों में इसमें इजाफा ही होना है। इसके अलावा स्मार्टफोन, स्मार्ट टीवी और स्मार्ट डिवाइस बहुत सारे लोगों के पास है। अब मेरे लिए ये सब करना मुमकिन था। फिर मैंने सोचा कि मेरे एक्सपेरिमेंट के लिए कौन सा प्लेटफॉर्म सबसे सही होगा। तब मुझे लगा कि यूट्यूब वो प्लेटफॉर्म है क्योंकि यूट्यूब हर जगह है। लगभग हर इंसान की यूट्यूब तक पहुंच है। देश और दुनिया में अपने मनोरंजन के लिए जो लोग यूट्यूब चुनते हैं, उनकी तादाद बहुत ज्यादा है। बतौर क्रिएटिव पर्सन मेरा जो सपना है कि मेरी फिल्म हर हिंदुस्तानी तक पहुंचे, वो यूपीआई, इंटरनेट और यूट्यूब तीनों के मिश्रण से मुमकिन है। मेरा सिनेमा हर हिंदुस्तानी तक पहुंचे और आसानी से पहुंचे। वो अपने वक्त पर अपनी जगह चुनकर किफायती दाम में देख पाए। मेरे जो सपना था, मुझे लगा रहा अब जाकर पूरा हुआ है। यूट्यूब एक फ्री प्लेटफॉर्म है। आपको क्या लगता है कि ऑडियंस यूट्यूब पर पैसा भुगतान कर कंटेंट देखना पसंद करेगी? देखिए, पिछले सौ सालों में हम जो भी सिनेमा देखते आए हैं, वो हमेशा पे पर व्यू में देखते आए हैं। इसका मतलब है कि हम थिएटर जाते हैं। एक दफा पैसे देते हैं और एक दफा फिल्म देखते हैं। सिनेमाघरों में हम सदियों से यही मॉडल फॉलो करते आ रहे हैं। सिनेमा का यही मॉडल मैं यूट्यूब पर ला रहा हूं। आप एक दफा पेमेंट कर फिल्म देख सकते हैं। यहां पर आप पूरी फैमिली के साथ फिल्म देख सकते हैं ताकि फिल्म का खर्च और कम हो जाए। ये एक ऐसा कॉन्सेप्ट है, जिसमें 100 लोग या पूरा गांव पूरा गांव एक साथ फिल्म देख सकता है। हम अगर 100 रुपए में वीडियो ऑन डिमांड दे रहे हैं, तो उसे चार लोग देख रहे हैं तो प्रत्येक व्यक्ति 25 रुपए का खर्च आएगा। मेरी कोशिश ये है कि मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों तक किफायती दाम में पहुंचूं और वो अपनी मनपसंद फिल्म या शो देख पाएं। आज हम फिल्म के साथ इसमें पहल कर रहे हैं लेकिन आप इसमें शॉर्ट्स डाल सकते हैं। आप इस पर सीरीज, आधे घंटे का शो, शॉर्ट स्टोरी डाल सकते हैं। यहां पर क्रिएटर हर चीज का दाम तय कर सकता है। वो डिसाइड कर सकता है कि उसके कितने पैसे लगे हैं, वो अपने वीडियो कितना कमाना चाहता है और क्या चार्ज करना चाहता है। पिछले कुछ सालों में साथ बैठकर फिल्म देखने वाले कॉन्सेप्ट में कमी आई है। ऐसे में आपका कैलकुलेशन कितना फिट बैठता है? देखिए, ये हर आदमी को खुद तय करना पड़ेगा। अगर मुझे अकेले ही कंटेंट देखना है तो मैं अकेले ही देखूंगा। हमने जो फिल्म बनाई है, वो फैमिली फिल्म है। मैं चाहता हूं कि लोग एक साथ फिल्में बैठकर देखे। मैं चाहूंगा कि आप अपने बच्चों के साथ बैठकर देखें। मैं चाहता हूं कि फैमिली साथ बैठकर देखे बल्कि मैं तो चाहूंगा कि आप अपने पड़ोसी को भी बुलाए। अगर गांव में किसी के पास एक स्मार्ट टीवी है, तो उस पर पूर गांव साथ बैठकर फिल्म देख सकता है। मैं इस चीज को बहुत बढ़ावा देता हूं। और जितना ज्यादा लोग साथ बैठकर देखेंगे, उनके लिए उतना किफायती हो जाएगा। मैं आपको बताऊं कि दो-तीन महीने पहले मैंने आमिर खान टॉकीज यूट्यूब पर शुरू किया। ये नाम मैंने सोचकर रखा था क्योंकि मुझे पता था कि कुछ समय बाद सही समय पर ये फिल्म इस टॉकीज पर आएगी। मैंने इसे एक नाम भी दिया है, जनता का थिएटर। मैंने जो आमिर खान टॉकीज बनाया है, वो आपकी जेब में, दीवार पर और आपके टेबल पर हो सकता है। मैं चाहता हूं कि हर हिंदुस्तानी को लगे कि ये मेरा थिएटर है और जो चाहे वो देख सकते हैं। आमिर खान टॉकीज पर फ्री कंटेंट भी है। इसमें ‘सितारे जमीन पर’ भी है। यहां पर आमिर खान प्रोडक्शन की पुरानी फिल्में भी हैं। यहां पर मेरे अब्बा जान की भी जो पुरानी फिल्में है, वो भी देखने मिलेंगी। आप चुन सकते हैं कि आपको क्या देखना है। अगर फ्री कंटेंट देखना चाहते हैं तो वो भी देख सकते हैं। हाल ही में आपकी फिल्म ‘अंदाज अपना-अपना’ को री रिलीज किया गया था। आमिर खान प्रोडक्शन की किस फिल्म को आप री रिलीज करना चाहेंगे? देखिए, लगान का 25 साल पूरे होने जा रहा है। अगले साल लगान 25 साल मुकम्मल करेगी। अगले साल हम जरूर कुछ करें ये सोच रहे हैं। जो ऑडियंस लगान को इतना पसंद करती है, उनको भी सेलिब्रेट करने का मौका मिला। उस दौरान हम जरूर सोचेंगे कि हम थिएटर में आए। आप अपनी पिछली कुछ फिल्मों में मेंटर के रूप में ही नजर आए हैं। क्या ये प्लानिंग है या बस इत्तेफाक? ये बिल्कुल इत्तेफाक है। मुझे जो कहानी पसंद आई, वो मैंने कीं। हालांकि, ‘सितारे जमीन पर’ में मैं मेंटर नहीं हूं बल्कि मैं फिल्म में मौजूद 10 सितारों से सीखता हूं। इस फिल्म में वो मेरे मेंटर हैं।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment