हिसार जिले के हांसी से लगभग 13 किलोमीटर दूर स्थित कुम्भा गांव इन दिनों जल संकट का नहीं, बल्कि जलभराव के अभिशाप का सामना कर रहा है। मौके पर बेहद चिंताजनक तस्वीरें और प्रशासन की चुप्पी को बेनकाब करने वाली थी। ओवरफ्लो के कगार पर प्रमुख ड्रेन गांव के चारों ओर फैले हजारों एकड़ खेत तालाबों में तब्दील हो चुके हैं। खेतों से होकर गुजरने वाली प्रमुख ड्रेन ओवरफ्लो होने के कगार पर है। जिससे पानी की निकासी रुक गई है और हरियाली की जगह सिर्फ जलराशि दिखाई दे रही है। डीजल फूंकते किसान, फिर भी राहत नहीं स्थानीय किसान संजय का कहना है कि वे हजारों रुपए का डीज़ल खर्च करके इंजनों के जरिए पानी निकालने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन जल निकासी की कोई समुचित व्यवस्था न होने के कारण उनके प्रयास भी असफल होते जा रहे हैं। खेतों में चार फीट से भी ज्यादा पानी भरा हुआ है। पशुओं के लिए चारा तक नहीं बचा वहीं बुजुर्ग किसान सूबे सिंह ने बताया कि धान और गेहूं की बात ही छोड़िए, अब तो पशुओं के लिए चारा तक नहीं बचा और अगर यही हालात रहे, तो रबी की फसल की तैयारी भी नहीं कर पाएंगे, इन पानी ने तबाह कर दिया। प्रशासन की बेरुखी पर उठे सवाल गांव कुम्भा के रघुबीर का आरोप है कि प्रशासन ने क्षेत्र को नजरअंदाज कर दिया है। पूरा क्षेत्र धान और कपास की फसल से भर गया था। मगर पानी भरने से सब तबाह हो गया। अब सब कुछ ऊपर वाले के मेहर पर है। ड्रेन ओवरफ्लो है और अगर एक सेंटीमीटर भी बारिश हुई तो ड्रेन टूट जाएगी। न कोई सर्वे, न कोई राहत टीम और न ही कोई इंजीनियर हालात का जायजा लेने पहुंचा है। शायद हम हांसी क्षेत्र के उस कोने में रहते हैं, जहां अधिकारियों की नजरें कभी नहीं पड़तीं। स्थायी समाधान और मुआवजे की मांग ग्रामीणों की मांग है कि जल निकासी के लिए अतिशीघ्र पंप लगवाए जाए, ड्रेन की सफाई और गहराई करवाई जाए और बर्बाद फसल का उचित मुआवजा दिया जाए। कुम्भा गांव की यह स्थिति न केवल कृषि संकट का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि प्राकृतिक आपदा और प्रशासनिक लापरवाही मिलकर कैसे किसानों को दोहरी मार झेलने पर मजबूर कर रही है। अगर प्रशासन ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो यह संकट पूरे क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है।
हांसी के कुम्भा में जलभराव का संकट:हजारों एकड़ खेत तालाब में तब्दील, किसानों की फसलें बर्बाद, मुआवजे की मांग
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