हाईकोर्ट की चंडीगढ़ प्रशासन को दिव्यांग बेटी पेंशन पर फटकार:याचिका खारिज, पीड़िता को पेंशन समेत 25 हजार देने के आदेश

by Carbonmedia
()

70 प्रतिशत दिव्यांग बेटी को सिर्फ शादीशुदा होने की वजह से फैमिली पेंशन से वंचित करने पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को फटकार लगाई है। अदालत ने साफ कहा कि ऐसी दिव्यांग बेटी, जो खुद कमाने में असमर्थ हो और जिसकी शादी उसके पिता की मौत के बाद हुई हो, उसे पेंशन से वंचित करना नियमों के खिलाफ है। कोर्ट ने न सिर्फ प्रशासन की याचिका को खारिज किया, बल्कि आदेश दिया कि पूनम को फैमिली पेंशन तत्काल जारी की जाए। साथ ही बकाया राशि पर 9% ब्याज भी दिया जाए और यूटी प्रशासन को 25,000 की लागत भी अदा करनी होगी। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस एचएस ग्रेवाल की खंडपीठ ने कहा कि दिव्यांग बेटी को पेंशन देने से इनकार करना दुर्भाग्यपूर्ण और असंवेदनशील रवैया है। पीड़िता पूनम के पति भी 100 प्रतिशत दिव्यांग हैं, ऐसे में उनके आय को आधार बनाकर पेंशन रोकना गलत है। अदालत ने कहा, “महज शादी हो जाने से बेटी का हक खत्म नहीं होता। विकलांगता और आजीविका चलाने में असमर्थता ही मुख्य आधार है। साफ किया – शादी के बावजूद मिलेगी पेंशन पीठ ने पंजाब सिविल सर्विस नियमों के नियम 6.17 के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि यदि कोई बेटा या बेटी मानसिक या शारीरिक रूप से इस हद तक दिव्यांग है कि वह कमाने में असमर्थ है, तो उसे 25 वर्ष से अधिक उम्र होने और विवाह के बावजूद फैमिली पेंशन का अधिकार प्राप्त है। पूनम के पिता 30 जून 1999 को सेवानिवृत्त हुए थे और उनका निधन अक्टूबर 2014 में हुआ। पूनम ने सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ फैमिली पेंशन के लिए आवेदन किया, लेकिन अकाउंट्स ऑफिसर ने उसके पति की आय का हवाला देते हुए उसे अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने इस फैसले को “यांत्रिक और सोच-विचार रहित” बताया।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment