पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दाैरान कहा कि अगर कोई पत्नी ग्रेजुएट है तो सिर्फ इसी वजह से उसे गुज़ारा भत्ता से वंचित नहीं किया जा सकता, जब तक उसकी आमदनी नहीं है और वह लाभ की नौकरी में नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि पति की कमाई और जिम्मेदारियों को देखते हुए भी पत्नी और नाबालिग बच्ची के हक को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जस्टिस जस गुरप्रीत सिंह पुरी ने यह फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि यदि पत्नी की आमदनी पति से बहुत अधिक न हो, और वह कमाई नहीं कर रही है, तो उसे गुज़ारा भत्ता से इनकार नहीं किया जा सकता। बता दे यह मामला एक पति की याचिका से जुड़ा था, जिसने लुधियाना फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने CrPC की धारा 125 के तहत पत्नी और 6 साल की बच्ची को कुल 14,000 प्रति माह (पत्नी को 9,000 और बेटी को 5,000) गुज़ारा भत्ता देने का आदेश दिया था। ये कहा कोर्ट ने पति का तर्क खारिज पति ने कोर्ट में कहा कि वह एक फाइनेंस कंपनी में काम करता है और उसकी सैलरी 34,033 है। उसमें से वह कार की ईएमआई और बीमा प्रीमियम देता है, साथ ही अपने बुजुर्ग दादा-दादी का भी ख्याल रखता है। इस कारण वह 14,000 नहीं दे सकता। कोर्ट ने यह तर्क खारिज करते हुए कहा कि खर्चों का होना गुज़ारा भत्ता से बचने का कारण नहीं हो सकता। कोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट ने कहा ग्रेजुएट पत्नी को मिलेगा पूरा गुज़ारा भत्ता:पति की याचिका खारिज, लगाया 10 हजार का जुर्माना, हक नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
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