गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का सीआईए खरड़ में जेल के अंदर इंटरव्यू मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल और जस्टिस दीपक मनचंदा की बेंच ने खुद यह मामला नोट किया और सुनवाई शुरू की है। कि यह इंटरव्यू बिना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की जानकारी और मिलीभगत के संभव नहीं हो सकता। इसलिए इन अधिकारियों की भी गहराई से जांच की जाए। मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त 2025 को होगी। कोर्ट ने एसआईटी चीफ प्रबोध कुमार को निर्देश दिया है कि वे इस पूरे मामले की हर पहलू से निष्पक्ष जांच करें। खासकर यह देखा जाए कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इसमें शामिल थे या नहीं। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर एसआईटी की रिपोर्ट संतोषजनक नहीं हुई, तो यह केस किसी केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच में छोटे पुलिसकर्मियों को बलि का बकरा न बनाया जाए, क्योंकि इस तरह का इंटरव्यू बिना सीनियर अफसरों की मंजूरी के नहीं हो सकता। डीजीपी से मांगा हलफनामा कोर्ट ने पंजाब के डीजीपी को भी आदेश दिया कि जनवरी 2024 से 15 जुलाई 2025 तक राज्य में फिरौती, जान से मारने की धमकी जैसे केसों की संख्या बताने वाला हलफनामा अगली सुनवाई से पहले दाखिल करें। कोर्ट ने एआईजी काउंटर इंटेलिजेंस ध्रुव दहिया को एसआईटी टीम में शामिल करने का आदेश दिया है। एसआईटी चीफ प्रबोध कुमार को एक महीने के अंदर फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है।
हाईकोर्ट बोला वरिष्ठ अधिकारियों की हो भूमिका की जांच:केंद्रीय एजेंसी को सौंप सकते है केस, लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू मामले में 18 अगस्त अगली सुनवाई
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