हिमाचल हाईकोर्ट में आज चीफ सेक्रेटरी प्रबोध सक्सेना के सेवा विस्तार मामले में दायर जनहित याचिका (PIL) मामले में सुनवाई होगी। राज्य सरकार को आज 5 लाख रुपए की पैनल्टी हिमाचल हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पास जमा करानी है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में सरकार को यह पैनल्टी लगाई है। दरअसल, कोर्ट ने पिछली सुनवाई सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, सरकार लोगों को न्याय न मिले, इसलिए लुकाछिपी का खेल खेल रही है। कभी रेरा के मुख्यालय को धर्मशाला तब्दील करने के बहाने, कभी नियुक्ति का मामला विचाराधीन होने की बात करते हुए रेरा अध्यक्ष-सदस्य की नियुक्ति नहीं की जा रही। कोर्ट ने 25 जून तक इनकी नियुक्ति के आदेश दिए थे। कोर्ट के आदेशों पर बीती शाम को रेरा अध्यक्ष-सदस्य की नियुक्ति कर दी गई है। चीफ जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ आज मुख्य सचिव द्वारा दायर अंतरिम राहत की एप्लिकेशन को भी सुनेगी। प्रबोध सक्सेना द्वारा मांगी गई अंतरिम राहत पर आज विचार किया जाएगा। अतुल शर्मा ने डाली PIL बता दें कि याचिकाकर्ता अतुल शर्मा ने PIL डालकर मुख्य सचिव के रूप में प्रबोध सक्सेना को 6 महीने का सेवा विस्तार देने वाले 28 मार्च 2025 के आदेश को रद्द करने की मांग कर रखी है। प्रार्थी द्वारा कोर्ट के समक्ष रखे तथ्यों के अनुसार 21 अक्टूबर 2019 को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम राउज एवेन्यू कोर्ट, नई दिल्ली ने प्रबोध सक्सेना के खिलाफ दायर CBI आरोप पत्र का संज्ञान लिया है। आपराधिक केस होने के बाद एक्सटेंशन पर सवाल याचिकाकर्ता का कहना है कि 23 जनवरी 2025 को CBI ने पत्र जारी कर इस बात की पुष्टि की है कि प्रबोध सक्सेना के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है और आपराधिक केस लंबित है। दागी होने के बावजूद 28 मार्च 2025 को भारत सरकार, कार्मिक मंत्रालय ने प्रबोध सक्सेना को 30 सितंबर 2025 तक मुख्य सचिव के रूप में छह महीने का विस्तार दे दिया। डाउटफुल इंटीग्रिटी वाले अधिकारियों की लिस्ट में नाम नहीं याचिकाकर्ता का आरोप है कि आपराधिक मुकदमा लंबित होने के बावजूद, प्रबोध सक्सेना का नाम डाउटफुल इंटीग्रिटी वाले अधिकारियों की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया, जो कि संविधान के अनुच्छेद 123 का उल्लंघन है। आरोप है कि प्रबोध सक्सेना को सेवा विस्तार को मंजूरी देते समय केंद्र सरकार के समक्ष पूरी सतर्कता रिपोर्ट नहीं रखी गई थी। नौकरशाहों को एक्सटेंशन के दुरुपयोग पर चिंता जताई याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रशासनिक सुधारों पर संसदीय समिति ने भ्रष्टाचार की जांच का सामना कर रहे नौकरशाहों को बचाने के लिए सेवा विस्तार के दुरुपयोग के बारे में चिंता जताई है। यह आरोप लगाया गया है कि मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (वित्त) के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, प्रबोध सक्सेना ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया। सरकार सेवा विस्तार देने से पहले सीवीसी, राज्य सतर्कता और डीओपीटी के साथ अनिवार्य परामर्श लेने में विफल रही, जिससे डीओपीटी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हुआ। मामले पर अगली सुनवाई 25 जून को निर्धारित की गई है।
हाईकोर्ट में CS को अंतरिम राहत पर सुनवाई:सक्सेना की एक्सटेंशन को दी गई चुनौती; सरकार को 5 लाख की पैनल्टी आज जमा करानी होगी
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