सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा है कि वह जस्टिस प्रशांत कुमार को किसी वरिष्ठ जज के साथ डिवीजन बेंच में बैठाएं. अगर उन्हें कभी सिंगल बेंच में बैठाना ज़रूरी भी हो तो कोई आपराधिक मामला न सुनने दें. एक मामले में जस्टिस प्रशांत कुमार के फैसले पर सख्त आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कहा है.
जस्टिस जे बी पारडीवाला और आर महादेवन की बेंच ने कहा है, “हमने बतौर जज अपने अब तक के कार्यकाल में इससे खराब आदेश नहीं देखा. आदेश देने वाले जज ने न्याय का मज़ाक बनाया है. हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि हाई कोर्ट तक के स्तर पर ऐसी कमी कैसे हो सकती है. कभी-कभी यह सोचना पड़ता है कि ऐसे आदेश कानून की जानकारी के अभाव में दिए जाते हैं या किसी बाहरी कारण से.”
व्यापारिक विवाद को आपराधिक मुकदमा बनाने को HC ने ठहराया था सहीसुप्रीम कोर्ट की यह नाराज़गी एक ऐसे मामले को लेकर थी एक व्यापारिक विवाद को आपराधिक मुकदमा बनाने को हाई कोर्ट ने सही ठहराया था.अपने आदेश में हाई कोर्ट के जज ने लिख दिया कि शिकायतकर्ता एक छोटी कंपनी है. सिविल मुकदमा लंबे समय तक चलता है. इस तरीके से उसे पैसा मिलने में बहुत समय लग जाएगा.
5 मई 2025 को आए इस फैसले को पढ़ते ही सुप्रीम कोर्ट ने बिना नोटिस जारी किए उसे रद्द कर दिया. जजों ने हैरानी जताते हुए कहा, “क्या हाई कोर्ट के जज यह नहीं जानते कि अपराधिक केस से पैसों की वसूली नहीं होती. उसके लिए सिविल केस ही लड़ना पड़ता है.”
सुप्रीम कोर्ट ने मामला वापस हाई कोर्ट भेज दिया है. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा गया है कि वह इसे किसी दूसरे जज के पास सुनवाई के लिए लगाएं. साथ ही, जस्टिस प्रशांत कुमार के बारे कहा गया है कि जब तक वह पद पर हैं, उन्हें कभी भी कोई आपराधिक मामला न सुनने दिया जाए.
ललिता टेक्सटाइल और शिखर केमिकल्स के बीच का था मामलामामला ललिता टेक्सटाइल और शिखर केमिकल्स के बीच 7 लाख 23 हज़ार रुपए के भुगतान को लेकर था. 2019 में की गई धागों की सप्लाई के भुगतान में से 4 लाख 59 हज़ार रुपए न मिलने पर ललिता टेक्सटाइल ने ब्याज समेत इस राशि को बकाया बताया था. ललिता टेक्सटाइल की शिकायत पर कानपुर की एसीजेएम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत केस दर्ज किया था और शिखर केमिकल्स की मालकिन कुमकुम पांडे को समन जारी किया था.
शिखर टेक्सटाइल ने सिविल मामले में आपराधिक केस दर्ज होने का विरोध करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. लेकिन हाई कोर्ट के जस्टिस प्रशांत कुमार ने इस केस को रद्द करने से मना कर दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाई कोर्ट में नए सिरे से सुनवाई होगी.
हाई कोर्ट जज के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने न्याय का मजाक बताया, चीफ जस्टिस से कहा- ‘इन्हें किसी वरिष्ठ जज के साथ बैठाएं’
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