हार्ट से लेकर किडनी फेल्योर तक का खतरा, हर साल 15 लाख लोगों की सांसें छीन लेती है यह बीमारी

by Carbonmedia
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डायबिटीज को साइलेंट किलर माना जाता है. इसके लक्षणों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. ये बीमारी चुपके से घुसती है और शरीर को खोखला करना शुरू कर देती है. जब तब ये डायग्नोज होती है, तब तक कई ऑर्गन पर असर डाल चुकी होती है. दुनियाभर में ये बढ़ा खतरा बन गई है. ये खतरा कितना बढ़ा और किस तरह शरीर को नकुसान पहुंचा सकता है. आइए जानते हैं…
दुनियाभर में खतरा
डायबिटीज दुनियाभर में खतरा बन गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे ग्लोबल हेल्थ रिस्क के ताैर पर माना है. दुनिया में 422 मिलियन लोग डायबिटीज से पीड़ित है. हर साल इस बीमारी के कारण 1.5 मिलियन लोगों की माैत हो जाती है. डायबिटीज की गंभीरता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि ये शरीर के हर ऑर्गन पर असर डालती है.
हार्ट को पहुंचता है नुकसान
डायबिटीज से होने वाली बीमारियों में कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम में प्राॅब्लम प्रमुख है. इससे हार्ट डिजीज का रिस्क बढ़ सकता है. एक रिपोर्ट की मानें तो नाॅर्मल व्य​क्ति की अपेक्षा डायबिटीज पेशेंट में हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का रिस्क दोगुना हो जाता है. बाॅडी में हाई ग्लूकोज ब्लड वेसल और नर्व को नुकसान पहुंचाता है, जिससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और पेरिफेरल आर्टरी डिजीज का खतरा पैदा हो जाता है.
किडनी पर साइलेंट अटैक
किडनी के लिए डायबिटीज को साइलेंट किलर के रूप में देखा जाता है. डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार डायबिटीज दुनियाभर में किडनी फेल्योर का प्रमुख कारण बनती है. बाॅडी में ब्लड शुगर अ​धिक होने पर ये किडनी की फिल्टर यूनिट को नुकसान पहुंचाता है. जिससे बाॅडी में से विषैले पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते. एक रिपोर्ट की मानें तो हर तीन डायबिटीज पेशेंट में से एक में क्राॅनिक किडनी डिजीज का खतरा पैदा हो सकता है. इसका समय से इलाज नहीं होने पर डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट तक की नाैबत आ सकती है.
आंखों की ​जा सकती है रोशनी
डायबिटीज का बड़ा खतरा आंखों पर भी देखने को मिलता है. इससे डायबिटिक रेटिनोपैथी का रिस्क बढ़ जाता है. जिसमें रेटिना के ब्लड वेसल डैमेज हो जाते हैं. इसके चलते आंखों से दिखना बंद हो जाता है. जल्द इस बीमारी को डायग्नोज कर लिया जाए तो इलाज संभव है. डाय​बिटीज से ग्लूकोमा ओर मोबियाबिंद का भी जो​खिम बढ़ जाता है.
डैमेज हो जाती हैं नर्व
डायबिटीज पेरिफेरल न्यूरोपैथी की वजह भी बन सकती है. इसमें नर्व डैमेज होना शुरू हो जाती हैं. इसकी शुरुआत पैरों से होती है. एक रिपोर्ट की मानें तो डायबिटीज के ​शिकार मरीजों में 50 परसेंट में नर्व डैमेज की प्राॅब्लम देखने को मिल सकती है. इसके चलते सुन्नपन, दर्द, झुनझुनापन, सेंसेशन कम होने की दिक्कत से जूझना पड़ सकता है. दिक्कत अ​धिक बढ़ने पर गंभीर इंफेक्शन या जख्म हो सकता है, जिसके चलते सर्जरी कर बाॅडी पार्ट हटाने की ​स्थिति बन सकती है.
इम्युनिटी हो जाती है कमजोर
डायबिटीज से बाॅडी की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है. इसके चलते यूटीआई,  निमोनिया और फंगल इंफेक्शन का रिस्क बढ़ जाता है. गट की नर्व डैमेज होने से डाइजे​स्टिव प्राॅब्लम भी देखने को मिल सकती है.
न्यूरो प्राॅब्लम का भी रिस्क
हाल ही में सामने आई एक रिसर्च के अनुसार डायबिटीज से न्यूरोलाॅजिकल जटिलताओं का रिस्क बढ़ गया है. इससे डिमें​शिया, अल्जाइमर जैसी प्राॅब्लम हो सकती हैं.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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