हिंदी को लेकर सरकारी आदेश रद्द किए जाने पर बोले आदित्य ठाकरे, ‘दबाव ने सत्ता पर…’

by Carbonmedia
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Maharashtra Politics: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधायक आदित्य ठाकरे ने सोमवार (30 जून) को दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार ने प्राथमिक कक्षाओं में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने पर अपना फैसला विपक्ष और नागरिक समाज के ‘‘दबाव’’ के कारण वापस ले लिया.
ठाकरे ने विधान भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, दबाव ने सत्ता पर विजय पा ली है. राज्य विधानसभा का मानसून सत्र 18 जुलाई तक जारी रहेगा. महाराष्ट्र के स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी भाषा को शामिल करने के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच रविवार को राज्य मंत्रिमंडल ने ‘त्रि-भाषा’ नीति पर सरकारी आदेश को रद्द कर दिया.
नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन की घोषणा
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को कहा कि सरकारी आदेश को वापस ले लिया गया है और उन्होंने भाषा नीति के कार्यान्वयन और आगे की राह सुझाने के लिए शिक्षाविद् नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन की भी घोषणा की.
ठाकरे ने दावा किया, सत्ता में होने के बावजूद सरकार को जनता, विपक्ष और हिंदी थोपे जाने का विरोध करने वाले अन्य लोगों के दबाव के कारण अपने ही प्रस्तावों को वापस लेना पड़ा. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ने कहा, ‘‘हम सरकार पर तब तक दबाव बनाए रखेंगे जब तक वह लिखित में कोई औपचारिक निर्णय नहीं जारी कर देती.
हमें अब इस सरकार पर भरोसा नहीं – आदित्य ठाकरे 
आदित्य ने कहा, हमें अब इस सरकार पर भरोसा नहीं रहा. मराठी लोगों की एकता को दिल्ली के सामने प्रदर्शित करना होगा. सरकार के इस फैसले की मंशा के बारे में पूछे जाने पर आदित्य ठाकरे ने आरोप लगाया, भाजपा और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना, उद्धव और (मनसे प्रमुख) राज ठाकरे के बीच किसी भी तरह के मेल-मिलाप को रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है.
लेकिन अगर वे सोचते हैं कि वे मराठी गौरव को विभाजित कर सकते हैं तो वे गलत हैं. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के नेता जयंत पाटिल ने दावा किया कि हिंदी को लागू करने के मुद्दे पर सरकार का फैसला पलटना दर्शाता है कि वह जनभावना से कितनी बेखबर है. सदन की कार्यवाही श्रद्धांजलि देने के साथ शुरू हुई, लेकिन विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया कि वह सरकार को कृषि ऋण माफी, फसलों के लिए उचित मूल्य, महंगाई, रोजगार, शिक्षा और कथित प्रशासनिक अनियमितताओं जैसे विभिन्न मुद्दों पर घेरेगा. 

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