Maharashtra Hindi Controversy: महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर जारी विवाद पर एनसीपी-एसपी के प्रमुख शरद पवार का बयान आया है. उन्होंने कहा कि हिंदी को नजरअंदाज नहीं कर सकते. इस दौरान उन्होंने हिंदी की अनिवार्य करने और आंदोलन में शामिल होने को लेकर किए गए सवाल का भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि इमसें दो मुख्य भाग है, पहली से चौथी तक हिंदी अनिवार्य करना उचित नहीं, पांचवी के बाद कर सकते हैं.
शरद पवार ने कहा कि देश में बड़ी संख्या में लोग हिंदी बोलते हैं. दूसरी कोई ऐसी भाषा नहीं, हिंदी को इग्नोर नहीं कर सकते. महाराष्ट्र में लोग हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन पहली से चौथी तक अगर उसे अनिवार्य किया, तो बच्चों पर अधिक भार पड़ेगा.
राज ठाकरे के आंदोलन को लेकर क्या बोले शरद पवार?
एनसीपी-एसपी अध्यक्ष ने कहा, “इस मुद्दे पर मैंने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की बातें सुनीं, मुंबई जाकर उनका क्या कहना है, इस पर विचार करूंगा और उनसे बात करूंगा. उन्होंने अपील की है कि सभी राजनीतिक पक्ष उनके कार्यक्रम में शामिल हों, अगर उसमें शामिल होना है, तो पहले समझना पड़ेगा कि उनका कहना क्या है?”
साथ ही उन्होंने कहा, “राज ठाकरे के आंदोलन को लेकर मैंने अभी जवाब दिया. किसी ने बुलाया, तो उसमें सहभागी हो जाए ऐसा नहीं है. उनका क्या कहना है, इस बात को समझना होगा, अगर उनका मुद्दा महत्वपूर्ण है, तो उसे समझ कर उस पर फैसला लेंगे.”
बता दें कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी वैकल्पिक भाषा के रूप में पढ़ाने का फैसला किया है. हालांकि, राज्य में इसका बड़े स्तर पर विरोध हो रहा है.
राज ठाकरे ने किया है आंदोलन का ऐलान
इसे लेकर मनसे प्रमुख ने गुरुवार को ही मुंबई में मार्च निकालने का ऐलान किया. राज ठाकरे ने 6 जुलाई को मार्च निकालने की घोषणा की है. इस बीच शिवसेना-ठाकरे गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी घोषणा की है कि वो मराठी अध्ययन केंद्र की अगुवाई में होने वाले आंदोलन में हिस्सा लेंगे. उद्धव गुट ने अन्य विरोधी दलों से भी इस मुद्दे पर साथ आने की अपील की है.
हिंदी भाषा विवाद पर शरद पवार ने साफ किया स्टैंड, राज ठाकरे के आंदोलन पर बोले- ‘पहले समझना पड़ेगा कि…’
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