हिंसक जंगली जानवरों से बचाव के लिए योगी सरकार का बड़ा कदम, इन जिलों में बनेंगे रेस्क्यू सेंटर

by Carbonmedia
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Lucknow News: उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश सरकार अब बाघ तेंदुए सियार और अन्य हिंसक जंगली जानवरों से ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठा रही है. राज्य के चार जिलों  मेरठ, पीलीभीत, महराजगंज और चित्रकूट में अत्याधुनिक रेस्क्यू सेंटर बनाए जा रहे हैं जिनमें घायल भटके या आक्रामक जंगली जानवरों को सुरक्षित रूप से पकड़ा जाएगा और इलाज के बाद जंगल में छोड़ा जाएगा 
इन रेस्क्यू सेंटरों का निर्माण 56 करोड़ रुपये की लागत से कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विस (CNDS) कर रही है. रेस्क्यू सेंटरों के संचालन में राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) सहयोग करेगी जो जरूरी मैनपावर और उपकरणों की व्यवस्था करेगी.
इस कारण बनाए जा रहे हैं रेस्क्यू सेंटरप्रदेश के मुख्य वन संरक्षक अनुराधा वेमुरी ने बताया कि इन सेंटरों का मुख्य उद्देश्य उन ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों को सुरक्षित बनाना है जो जंगलों के पास बसे हैं और जहां आए दिन हिंसक जंगली जानवर गांवों की तरफ आ जाते हैं. रेस्क्यू सेंटर जानवरों को पकड़ने उनका इलाज करने उन्हें क्वारंटीन में रखने और फिर सुरक्षित जंगल में वापस छोड़ने के लिए बनाए जा रहे हैं. इन सेंटरों में आधुनिक इलाज की सुविधा क्वारंटीन क्षेत्र वॉच टावर ट्रेनिंग हॉल और कर्मचारियों के लिए आवास जैसी सुविधाएं मौजूद होंगी. इससे रेस्क्यू ऑपरेशन भी तेज़ और सुरक्षित तरीके से किए जा सकेंगे.
वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर लगेगी लगामउत्तर प्रदेश में तराई बुंदेलखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में पिछले कुछ वर्षों में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं. खासतौर पर पीलीभीत टाइगर रिजर्व सोहागीबरवा अभ्यारण्य (महराजगंज) और रानीपुर वन्यजीव विहार (चित्रकूट) जैसे क्षेत्रों से लगे गांवों में बाघ और तेंदुए के हमले की कई घटनाएं सामने आई हैं. अकेले पीलीभीत में बीते पांच वर्षों में दर्जनों लोगों की मौत जंगली जानवरों के हमलों में हो चुकी है. इन परिस्थितियों को देखते हुए योगी सरकार ने रेस्क्यू सेंटरों की स्थापना को प्राथमिकता दी है. ये सेंटर वन विभाग को न सिर्फ इन घटनाओं से बेहतर ढंग से निपटने में मदद करेंगे बल्कि जंगली जानवरों के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएंगे.
ग्रामीण इलाको में कम होगी दहशतरेस्क्यू सेंटरों के निर्माण से ग्रामीण इलाकों में दहशत का माहौल कम होगा, और वन विभाग को भी समय रहते कार्रवाई करने में सहूलियत मिलेगी. सरकार का यह कदम वन्यजीव संरक्षण और मानव जीवन की सुरक्षा दोनों के संतुलन की दिशा में एक बड़ी पहल मानी जा रही है.
वन विभाग पहले भी मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चला चुका है लेकिन अब ये रेस्क्यू सेंटर उस अभियान को जमीनी मजबूती देंगे. विशेषज्ञ मानते हैं कि इन केंद्रों के चालू होने के बाद राज्य में वन्यजीव प्रबंधन और ग्रामीण सुरक्षा को लेकर बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.

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