Manimahesh Yatra Chamba 2025: दुनिया की कठिनतम यात्राओं में शुमार मणिमहेश यात्रा अगस्त माह में शुरू हो रही है. मणिमहेश यात्रा के लिए है हवाई सेवाओं को लेकर भी बात बन गई है. हेली टैक्सी सेवा के लिए दो कंपनियों का चयन हुआ है. मणिमहेश यात्रा में भरमौर से गौरीकुंड के लिए 6680 रुपये में आना-जाना होगा. हिमालयन हेली सर्विस और राजस एयरो स्पॉट मणिमहेश यात्रा में अपनी सेवाएं देंगी.
इस मर्तबा हेली टैक्सी सेवा के लिए कुल पांच कंपनियों ले टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया था. जिसमें दो कंपनियों का चयन किया गया है. पिछले वर्ष की तुलना में इस मर्तबा यात्रियों को हेली टैक्सी के लिए 720 रुपये कम देने होंगे. नौ अगस्त से मणिमहेश यात्रा में भरमौर से गौरीकुंड के लिए हवाई सेवाएं आरंभ हो जाएगी.
भरमौर से गौरीकुंड तक का किरायामणिमहेश मंदिर न्यास के अध्यक्ष एवं एडीएम भरमौर कुलबीर सिंह राणा ने बताया कि हिमालयन हेली टैक्सी सर्विस ने सबसे कम एक तरफा 3340 रुपये भरमौर से गौरीकुंड का किराया रखा था. इसी किराए पर राजस एयरो स्पॉट नामक कंपनी ने भी अपने हेलीकॉप्टर की सेवाएं प्रदान करने की हामी भर दी है.
मणिमहेश मंदिर न्यास की वेबसाइट के माध्यम से ही हवाई सेवा की ऑनलाइन बुकिंग होगी. न्यास ने तीन वर्षो के लिए यह टेंडर प्रक्रिया की है. उन्होंने बताया कि नौ अगस्त से दोनों कंपनियां उडानें आरंभ कर देंगी और तीन सितंबर तक यह दौर जारी रहेगा. पिछले वर्ष मणिमहेश यात्रा में हेली टैक्सी सेवा का भरमौर से गौरीकुंड के लिए एक तरफ का किराया 3700 रुपये तय किया गया था.
मणिमहेश यात्रा की तारीखमणिमहेश यात्रा 16 अगस्त से 31 अगस्त तक चलेगी. यह यात्रा हर साल जन्माष्टमी से राधाष्टमी तक आयोजित की जाती है. इस वर्ष, जन्माष्टमी 16 अगस्त को है और राधाष्टमी 31 अगस्त को होगी.
मणिमहेश यात्रा को लेकर जिला प्रशासन ने बनाई रणनीति, शौचालय की भी करनी होगी व्यवस्था मणिमहेश यात्रा 2025 के दौरान श्रद्धालुओं से यात्रा अवधि में 20 रुपये और गैर यात्रा अवधि में 100 रुपये प्रति श्रद्धालु पंजीकरण शुल्क वसूला जाएगा. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी के दिशा-निर्देशानुसार नान-बॉयोडिग्रेडेबल पैकेजिंग में खाद्य सामग्री पर और सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग पर पूर्णतया प्रतिबंध रहेगा.
मणिमहेश झील को लेकर क्या है मान्यता?मणिमहेश झील हिमाचल प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, जो भरमौर से 26 किलोमीटर दूर स्थित है. यह झील कैलाश शिखर (18,564 फीट) के तल पर 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. हर साल भादों महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को इस झील पर मेला लगता है, जिसमें हजारों तीर्थयात्री पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए यहां आते हैं.
मान्यता के मुताबिक, भगवान शिव इस मेले के मुख्य देवता हैं. वे कैलाश में निवास करते हैं. कैलाश पर शिवलिंग के आकार की एक चट्टान को भगवान शिव का स्वरूप है. कैलाश पर्वत को अजेय माना जाता है. इस चोटी पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया है, जबकि माउंट एवरेस्ट समेत इससे भी ऊंची चोटियों पर कई बार चढ़ाई की जा चुकी है. एक कहानी के अनुसार एक बार एक गद्दी ने अपनी भेड़ों के झुंड के साथ इस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की थी. माना जाता है कि वह अपनी भेड़ों के साथ पत्थर बन गया था. माना जाता है कि मुख्य चोटी के नीचे छोटी चोटियों की श्रृंखला दुर्भाग्यपूर्ण चरवाहे और उसके झुंड के अवशेष हैं.
मणिमहेश तक पहुंचने के लिए कई रास्ते हैं. लाहौल-स्पीति से तीर्थयात्री कुगती दर्रे से आते हैं. कांगड़ा और मंडी से कुछ तीर्थयात्री कवारसी या जालसू दर्रे से आते हैं. सबसे आसान रास्ता चंबा से है जो भरमौर से होकर जाता है. वर्तमान में बसें भरमौर से होकर हडसर तक जाती हैं. हडसर से आगे, तीर्थयात्रियों को मणिमहेश पहुंचने के लिए 13 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है.
हिमाचल प्रदेश में मणिमहेश यात्रा को आसान बनाएगा हेली टैक्सी, जानें कितना लगेगा किराया
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