हिमाचल प्रदेश में वन संरक्षण अधिनियम (Forest Conservation Act) में छूट को लेकर हिमाचल सरकार खटखटाएगी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा. आपदा के कारण भूमिहीन हुए लोगों को जमीन देने के लिए अधिनियम में संशोधन की मांग.
हिमाचल में मानसून में 109 लोगों की मौत हो गई है. सैकड़ों लोगों के 1000 से अधिक मकान या तो बह गए हैं या क्षतिग्रस्त हो गए हैं. कई लोग जमीनें बह जाने से भूमिहीन हो गए हैं, ताकि भूमिहीन लोगों को जमीन मुहैया करवाई जा सके.
मानसून ने बड़ी तबाही मचाई है
इसे देखते हुए हिमाचल सरकार ने FCA अधिनियम 1980 में संशोधन की मांग उठाई है. इसको लेकर हिमाचल सरकार अब सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर करने जा रही है. बागवानी एवं राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि 2023 में आई प्राकृतिक आपदा में भी हिमाचल प्रदेश के लोगों का भारी नुकसान हुआ था.
अब फिर से भी मानसून ने बड़ी तबाही मचाई है. हजारों लोग बेघर हो गए हैं, जबकि एक हजार करोड़ रुपए का नुकसान अब तक हिमाचल प्रदेश को हो चुका है. केंद्र सरकार से भी अभी तक कोई विशेष आपदा राहत पैकेज नहीं मिला है.
हिमाचल के आपदा प्रभावितों को कुछ नहीं दिया
गुजरात में आपदा प्रभावितों को 2-2 लाख दिए गए हैं, जबकि हिमाचल को कुछ नहीं दिया गया है. हिमाचल सरकार ने केंद्र से FCA में संशोधन की मांग की है, जिसको लेकर 2023 में प्रस्ताव भेजा गया था, जिस पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है.
मजबूरन राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा. कोर्ट में सरकार भूमिहीनों को वन भूमि की जमीन देने को लेकर अपना पक्ष रखेगी. जगत नेगी ने यह भी मांग उठाई कि इसके अलावा, केंद्र सरकार आपदा मैनुअल में भी संशोधन करें, जिस तरह से हिमाचल सरकार ने किया है.
मकान गिरने पर केंद्र सरकार डेढ़ लाख देती है, जो आज के समय में बेहद कम है. राज्य सरकार ने ये मुआवजा सात लाख रुपए दिया है.
हिमाचल में तबाही के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी सरकार, भूमिहीनों को भूमि देने की मांग
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