हिमाचल में मंदिर-झील के पास गंदगी फेंकी:प्रबंधक बोले-पॉलिथीन में मल, नेपकिन-डायपर, शराब-बीयर की बोतलें मिलीं; होटल न होने से टेंट में रुके थे टूरिस्ट

by Carbonmedia
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हिमाचल प्रदेश के पराशर ऋषि मंदिर और झील के आसपास भारी गंदगी मिली है। मंदिर प्रबंधकों का कहना है कि यहां आए टूरिस्टों ने यह गंदगी फेंकी है। उन्होंने कहा कि यहां होटल और होम स्टे नहीं हैं। ऐसे में टूरिस्ट टेंट लगाकर रात भर रुकते हैं। यहां 15-16 जून को मेला लगा था। जिसमें पहुंचे टूरिस्टों ने पॉलिथीन में बंद कर मल, सेनेटरी नेपकिन, बच्चों के डायपर यहां फेंक दिए। यही नहीं, मंदिर के आसपास शराब और बीयर की बोतलें तक मिलीं। जिसके बाद लोकल युवाओं का ग्रुप यहां सफाई कर रहा है। मंदिर प्रबंधकों ने प्रशासन से इस तरफ ध्यान देने को कहा है। 2 दिन मेले में 15 हजार से ज्यादा श्रद्धालु आकर रुके
मंडी में स्थित पराशर ऋषि मंदिर में 15 व 16 जून को सरानाहुली मेला था। इन 2 दिनों में यहां लगभग 15 हजार धार्मिक श्रद्धालु पहुंचे। आसपास क्षेत्रों के 20 से ज्यादा देवी-देवता भी इस मेले में शामिल होने के लिए लाए गए। सैकड़ों टूरिस्ट रात में यहीं रुके। यहां रुकने के लिए होटल और होम स्टे की सुविधा नहीं है। यहां से नजदीकी होटल 30KM दूर कटोला और 50KM दूर मंडी है। इस वजह से देशभर से आए टूरिस्ट रात में पराशर ऋषि झील के आसपास टेंट लगाकर ठहरे। इसी दौरान यह गंदगी फैलाई गई। मंदिर के सेवादार (देव दोष बताने वाले गुर) ने इस मामले में क्या कहा… गंदगी देख युवाओं ने खुद सफाई की
टूरिस्टों की फैलाई गंदगी देख गांव इछनि के धूमल ठाकुर अपनी ऋषि स्वच्छता सेना लेकर वहां पहुंचे। उनके साथ 70 युवा जुड़े हुए हैं। वे यहां लगातार सफाई में जुटे हुए हैं। धूमल का कहना है कि इससे पहले उन्होंने पराशर ऋषि झील व मंदिर के आंगन में कभी ऐसी गंदगी नहीं देखी। मंदिर और झील से 8 से 10 मीटर की दूरी पर शराब की बोलते, सेनेटरी नेपकिन, बच्चों के डायपर और मल के पैकेट मिले है।उन्होंने बताया, कुछ लोग मंदिर में पार्टियां करने आए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने दावा किया कि साल 2021 से अब तक करीब 10 लाख शराब की बोतलें पराशर ऋषि मंदिर व झील परिसर से एकत्रित कर चुके हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से यहां की गंदगी पर अंकुश लगाने की मांग की है। 13वीं शताब्दी का मंदिर, राजा बान सेन ने बनवाया
लोगों की मान्यता है कि भगवान विष्णु को पूजने वाले पराशर ऋषि ने यही पर समाधि लगाई थी। इसके बाद 13वीं शताब्दी में राजा बान सेन ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया। यह मंदिर मंडी जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर है। हवाई मार्ग से आने वाले लोगों को पहले निकटतम हवाई अड्डा कुल्लू के भुंतर पहुंचना होता है। यहां से पराशर झील लगभग 65 किलोमीटर दूर है। ट्रेन से आने वाले लोगों को पहले निकटतम रेल संपर्क जोगेंद्रनगर में नैरो गेज लाइन आना होता है। यहां से पराशर झील से लगभग 88 किलोमीटर दूर है।

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