हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के स्कूलों में आउटसोर्स आधार पर नियुक्त कंप्यूटर टीचरों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें नियमित करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस सत्येन वैध ने मनोज कुमार शर्मा व अन्यों द्वारा दायर याचिका को स्वीकारते हुए सरकार को आदेश दिए कि वह याचिकाकर्ताओं को कम से कम वर्ष 2016 से नियमित करें। कोर्ट ने कहा- याचिकाकर्ता लंबे समय से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार के अजीबोगरीब तथ्यों को नकारते हुए कहा कि राज्य सरकार की निष्क्रियता के कारण अदालत को रिट क्षेत्राधिकार का प्रयोग करना आवश्यक है। कोर्ट ने मामले से जुड़े तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए याचिका को स्वीकार किया। कंप्यूटर टीचर हिमाचल के सरकारी स्कूलों में दो दशकों से अधिक समय से पढ़ा रहे हैं। उन्हें स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा नियुक्त किया गया है। आईटी को शैक्षणिक सत्र 2000-2001 के दौरान राज्य के 234 स्कूलों में कक्षा 9 वीं से 12 वीं के छात्रों के लिए एक अतिरिक्त विषय के रूप में शुरू किया गया था। तब से कंप्यूटर टीचर सेवाएं दे रहे हैं। कोर्ट के इस फैसले से लगभग 1500 कंप्यूटर टीचरों को फायदा होगा। पीटीए, पैरा की तर्ज पर रेगुलर की गुहार याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि नई भर्ती के लिए उनके मौके कम हो गए थे क्योंकि उन्होंने 40 साल की उम्र को पार कर लिया है। प्रार्थियों ने पीटीए, ग्रामीण विद्या उपासक और पैरा शिक्षकों को तर्ज पर रेगुलर करने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं द्वारा जनवरी 2016 में याचिका दायर की गई थी। सरकार का तर्क: निजी कंपनियों के माध्यम से रखे गए वहीं सरकार ने याचिकाकर्ताओं की प्रार्थना का इस आधार पर विरोध किया कि उन्हें नियमितीकरण का कोई अधिकार नहीं है, बल्कि वे प्रचलित सेवा नियमों के संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा भरे जाने वाले पदों के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। यह कहा गया कि याचिकाकर्ता निजी कंपनियों के कर्मचारी होने के कारण राज्य सरकार द्वारा नियोजित कर्मचारियों के साथ समान नहीं हो सकते हैं।
हिमाचल हाईकोर्ट के कंप्यूटर टीचर को रेगुलर करने के आदेश:20 साल से सेवाएं दे रहे; सरकार के तर्क को अजीबोगरीब बताते हुए नकारा
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