श्री सरस्वती संस्कृत कॉलेज और दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिवस का शुभारंभ विधिवत रूप से दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पंजाब के पूर्व मंत्री शमशेर सिंह दूलो विशेष रूप से उपस्थित हुए। कथा वाचन का सौभाग्य दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज की शिष्या भागवत भास्कराचार्य साध्वी भाग्यश्री भारती को प्राप्त हुआ। उन्होंने इस अवसर पर भक्त प्रहलाद प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन करते हुए कहा कि हिरण्यकश्यप के राज्य में जहां प्रभु भक्ति पर पाबंदी थी, वहीं प्रहलाद जैसे बालक ने प्रभु प्रेम को जीवंत कर दिया। साध्वी जी ने बताया कि प्रहलाद का प्रेम केवल भक्ति नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार थी वह बार-बार प्रभु को पुकारता कि हे प्रभु, इस संसार में सच्चा कोई नहीं, बस आप ही मेरे अपने हैं। जब यह बात उसके पिता हिरण्यकश्यप को पता चली तो उन्होंने प्रहलाद को यातनाओं से गुजारने का प्रयास किया। समुद्र में फेंका गया, पत्थर बांध कर जल में डुबोया गया, उग्र गज के आगे डाला गया, यहां तक कि विषपान भी कराया गया परंतु हर बार प्रभु श्री हरि ने प्रहलाद की रक्षा की। कथा में साध्वी जी ने समझाया कि प्रेम में स्वार्थ नहीं होता, प्रेम देना जानता है, मिटना जानता है। आज का प्रेम मोह बन चुका है, जबकि प्रहलाद का प्रेम विशुद्ध और समर्पित था। उसी प्रेम से उसने अपने सहपाठियों को भी प्रभु-भक्ति से जोड़ दिया। कथा के अंतिम चरण में फूलों की होली का आयोजन किया गया। कथा पंडाल बरसाने की होली में रंग गया और श्रद्धालु भक्ति रस में झूम उठे। कार्यक्रम का समापन प्रभु की मंगल आरती से हुआ जिसमें श्री सरस्वती संस्कृत कॉलेज के समस्त सदस्य एवं सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। सम्पूर्ण वातावरण ‘नारायण-नारायण’ के जयघोष से गुंजायमान हो उठा।
हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को पूजा करने पर सताया
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