जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल किए जाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार (8 अगस्त, 2025) को सुनवाई करेगा. याचिका में आग्रह किया गया है कि कोर्ट केंद्र सरकार को केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल किए जाने को लेकर निर्देश दे.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई की बेंच के सामने सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने मामला रखा और अनुरोध किया कि मामले को 8 अगस्त को सुने जाने वाले मुकदमों की लिस्ट नहीं हटाया जाए, सीजेआई गवई ने उनका यह अनुरोध स्वीकार कर लिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलेसाल 2023 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी और कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म के सरकार के फैसले को सही माना था. साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाकर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था.
कोर्ट ने यह भी कहा था कि जम्मू-कश्मीर को जल्द से जल्द राज्य दर्जा दिया जाना चाहिए. सरकार ने भी कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि इस पर वह विचार करेगी, लेकिन याचिकाकर्ता का कहना है कि अभी तक इस पर सरकार की तरफ से न तो कोई फैसला लिया गया और न ही कोई कदम उठाया गया गया है.
याचिकाकर्ता ने कहा- 11 महीने से राज्य दर्जा बहाली के लिए कुछ नहीं किया गयायाचिकाकर्ता जहूर अहमद भट और खुर्शीद अहमद मलिक हैं. जहूर अहमद एक टीचर हैं, जबकि खुर्शीद अहमद मलिक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उनका कहना है कि सरकार की ओर से आश्वासन दिए जाने के बावजूद पिछले 11 महीनों में राज्य दर्जे की बहाली को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य दर्जा बहाल नहीं किया जाना संघवाद की मूल विशेषता का उल्लंघन है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है.
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव शांतिपूर्वक हो चुके हैं, जिससे पता चलता है कि राज्य का दर्जा बहाल करने में कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा चिंताओं, हिंसा या किसी अन्य तरह की कोई बाधा नहीं है, जो राज्य का दर्जा बहाल करने में कोई परेशानी उत्पन्न करे.
’11 महीने बीत गए सरकार ने कुछ नहीं किया’, जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल किए जाने की मांग वाली याचिका सुनेगा सुप्रीम कोर्ट
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