श्रीहरिकोटा से भारत और अमेरिका की साझेदारी से बना दुनिया का पहला डुअल-बैंड रडार सैटेलाइट NISAR बुधवार (30 जुलाई 2025) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया. इसकी शुरुआत 2014 में पीएम मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की मुलाकात से हुई थी.
इस मिशन की नींव तब रखी गई थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की सितंबर 2014 में वॉशिंगटन डीसी में पहली द्विपक्षीय मुलाकात हुई थी. उसी बैठक में अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया और NISAR मिशन पर औपचारिक सहमति बनी.
बराक ओबामा और पीएम मोदी ने कही थी ये बात
ओबामा ने कहा था, ‘भारत और अमेरिका मिलकर विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में नई ऊंचाईयां छू सकते हैं.’ वहीं पीएम मोदी ने कहा था, ‘अंतरिक्ष सहयोग हमारे रणनीतिक रिश्तों की नई दिशा तय करेगा.’ अब 30 जुलाई को साझा तकनीक, साझा विजन के साथ इसका सफल लॉन्च हुआ.
इसमें NASA ने L-बैंड रडार और वैज्ञानिक पेलोड तैयार किया तो वहीं ISRO ने S-बैंड रडार, सैटेलाइट बस, GSLV-F16 लॉन्च वाहन और लॉन्च सेवाएं प्रदान कीं. दोनों एजेंसियां 13 टाइम जोन और 14,500 किमी की दूरी पार कर सालों से इस पर मिलकर काम कर रही थीं.
क्यों खास है NISAR?
बता दें कि NISAR हर 12 दिन में सेंटीमीटर स्तर तक धरती की सतह की मैपिंग करेगा. साथ ही जलवायु परिवर्तन, भूकंप, हिमस्खलन, कृषि, और वनों के हालात पर नजर रखेगा. इसके अलावा यह डेटा वैज्ञानिक, किसान, नीति-निर्माता, आपदा एजेंसियां, सभी के लिए सार्वजनिक होगा.
NISAR सिर्फ एक सैटेलाइट नहीं, बल्कि भारत-अमेरिका के बीच वैज्ञानिक सहयोग, रणनीतिक भरोसे और भविष्यदृष्टि का प्रतीक है. आज का यह सफल लॉन्च, 2014 में पीएम मोदी और USA की ओर से शुरू की गई साझेदारी की प्रत्यक्ष सफलता है, जो अब धरती से लेकर अंतरिक्ष तक अपना प्रभाव दिखा रही है.
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11 साल पहले ओबामा और PM मोदी की वो बैठक, जिसने रखी थी NISAR की नींव; 2014 की रणनीति अब लाई रंग
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