अजय राज मीणा | रेवाड़ी सरकारी योजनाओं को किस तरह लापरवाही की भेंट चढ़ाया जाता है, इसका जीता-जागता उदाहरण रेवाड़ी में सामने आया है। करीब 13 साल पहले सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत एससी वर्ग की गरीब छात्राओं को स्कूल आने-जाने की सुविधा देने के लिए लगभग 7.50 लाख की लागत से 250 करीब 20 इंची साइकिलें खरीदी गई थीं। लेकिन, इन साइकिलों को बांटने की बजाय शहर के सरकारी बॉयज स्कूल में रखे रखे कबाड़ बना दिया गया। आज, 13 साल बाद ये साइकिलें जंग की भेंट चढ़ चुकी हैं और हैरानी की बात तो यह है कि इनका विभाग के पास रिकॉर्ड भी नहीं मिल रहा है। बता दें, ये साइकिलें जिन छात्राओं को मिलनी थी, वे तो अब शादी होने के बाद ससुराल भी जा चुकी हैं। हालांकि, ये अब बांटने के काबिल भी नहीं बची, तो किसी कबाड़ी को ही बेचनी पड़ेंगी। दैनिक भास्कर की टीम मामले की पड़ताल करने के लिए सरकारी बॉयज स्कूल में गई और वहां छात्रों तथा शिक्षकों से पूछताछ की गई तो उन्होंने उस कमरे का रास्ता बताया, जहां इन साइकिलों को रखा गया है। टीम ने दरवाजा खोला तो सामने बंटने के लिए आई साइकिंलें कबाड़ नजर आईं। कई रिटायर अधिकारियों, वर्तमान अधिकारियों, शिक्षकों तथा छात्रों से बातचीत की तो पता चला कि इन साइकिलों को विभाग ने 2011-12 में करीब खरीदा था, जो एससी वर्ग की छात्राओं को मिलनी थी, मगर तत्कालीन अधिकारियों ने इन्हें वितरित ही नहीं किया, जिसके चलते वर्षों से यह उसी कैमरे में रखी हुई हैं। सूचना है कि इनको लेकर स्कूल ने एक-दो बार निदेशालय को लिखा भी था, मगर निदेशालय की ओर से भी शिक्षकों के मुताबिक, कोई जवाब ही नहीं आया, जिसके चलते साइकिलें रखी हुई हैं। इसके अलावा कुछ साइकिलें गर्ल्स स्कूल में भी रखी हुईं हैं, जिनके ऊपर कबाड़ डाल दिया है, जो नीचे छिप गई हैं। इन साइकिलों की हालात इतनी ज्यादा खराब हो चुकी है कि एक तरफ तो लोहा जंग की भेंट चढ़ चुका है और वहीं दूसरी तरफ इनके टायर व ट्यूब भी गल गए हैं। करीब 13 साल से एक बंद कमरे में यह साइकिलें लगातार धूल फांक रहीं हैं। साइकिलों की रिंग में से ग्रीस भी अब लगभग सूख चुका है। लेकिन सवाल अब यही है कि इतने दिन बीतने के बावजूद विभाग ने अभी तक इनकी सुध क्यों नहीं ली। क्यों एक कमरे में बंद करके रख दिया गया। अधिकारी भी पल्ला झाड़ रहे : इसको लेकर जिला शिक्षा अधिकारी सुभाष चंद्र यादव से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि ये साइकिलें सर्व शिक्षा अभियान की हैं और उनके पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसलिए, इस बारे में सर्व शिक्षा अभियान के अधिकारियों से बात की जानी चाहिए। दूसरी तरफ, जब डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर (डीपीसी) राजेन्द्र शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने भी रिकॉर्ड देखकर ही कुछ बताने की बात कही। बीईओ राजेश वर्मा से भी पूछा गया, मगर उन्हें भी इनकी जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड चेक किया जाएगा, उसके बाद ही कुछ बताया जा सकता है।
13 साल पहले छात्राओं के लिए आईं साइकिलें बांटी नहीं, खड़ी-खड़ी हुई कबाड़… अब रिकॉर्ड भी गायब
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