एक ही क्लास में जहां नर्सरी के बच्चों को फ्री प्ले और आकारों की पहचान करनी सिखाई जाती है तो वहीं दूसरी तरफ तीसरी से पांचवीं क्लास के बच्चों को जुलाई का सिलेबस पढ़ाया जा रहा है। ये स्थिति है लुधियाना के सरकारी प्राइमरी स्कूलों की जहां एक ही अध्यापक नर्सरी, एलकेजी, यूकेजी, पहली से लेकर पांचवीं तक के स्टूडेंट्स को पढ़ा रहे हैं। वर्तमान में लुधियाना के 128 स्कूल हैं जहां सिंगल टीचर हैं और 11 स्कूलों में कोई रेगुलर तैनाती नहीं है लेकिन डेपुटेशन पर 1 अध्यापक है। सरकारी स्कूलों में स्थिति बेहतर नहीं हो रही बल्कि खराब हो रही है। नवंबर, 2024 में 16 ब्लॉक में ही 80 ऐसे स्कूल थे जहां सिंगल टीचर थे और कुल 122 स्कूल सिंगल टीचर के सहारे थे। अब 19 में से 17 ब्लॉक में 139 स्कूल एक ही अध्यापक के सहारे चल रहे हैं। इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 15 से लेकर 100 से भी ज्यादा है। इन स्कूलों में एनरोलमेंट ड्राइव, मिड डे मील, विभाग की डाक और अन्य निर्देशों का काम भी अध्यापकों को अकेले ही संभालना होता है। दैनिक भास्कर की टीम द्वारा विभिन्न सिंगल टीचर स्कूलों का दौरा किया गया। जहां मौके पर विभिन्न समस्याओं के बारे में पता चला। हालांकि इन स्कूलों में अध्यापक कुछ कहना नहीं चाहते। बच्चों को चोट लगने का भी डर बना रहता है 2024 से सिंगल टीचर के तौर पर काम कर रही एक अध्यापिका ने बताया कि दो क्लास में बच्चों को बैठाना पड़ता है। क्योंकि बच्चों की संख्या ज्यादा है। नर्सरी के बच्चों को हमेशा अपने सामने रखना होता है। एक क्लास में गैर-मौजूद होने पर बच्चों को चोट लगने का डर भी रहता है। माछीवाड़ा ब्लॉक में सबसे ज्यादा कमी माछीवाड़ा-1 ब्लॉक में सबसे ज्यादा 21 स्कूलों में सिंगल टीचर हैं। जबकि एक स्कूल में अध्यापक नहीं है और यहां डेपुटेशन पर टीचर की तैनाती की गई है। इसी ब्लॉक के जस्सोवाल स्कूल में भी एक ही टीचर जिम्मेदारी निभा रही हैं। सभी क्लासेस को एक ही जगह पर बैठा कर उनके सिलेबस को पढ़ाया जा रहा था। बच्चों को अलग-अलग बैंच पर क्लास के अनुसार बैठाया जाता ब्लॉक सिंगल टीचर स्कूल कोई टीचर नहीं डेहलों-1 3 कोई नहीं डेहलों-2 13 कोई नहीं दोराहा 4 कोई नहीं जगराओं 4 कोई नहीं खन्ना-1 9 1 खन्ना-2 5 1 मांगट-1 3 कोई नहीं मांगट-2 2 कोई नहीं मांगट-3 13 2 पक्खोवाल 4 2 सिधवां बेट-1 12 कोई नहीं सिधवां बेट-2 10 कोई नहीं सुधार 2 कोई नहीं रायकोट 4 कोई नहीं माछीवाड़ा-1 21 1 माछीवाड़ा-2 11 4 समराला 8 कोई नहीं मेंहदीपुर स्कूल में एक अध्यापिका ही सभी क्लासेस को पढ़ा रही थीं। बच्चों को अलग-अलग बैंच पर क्लास के अनुसार बैठाया गया था। प्री-प्राइमरी के लिए एक्टिविटीज चल रही थी। जबकि तीसरी से पांचवीं क्लास के लिए समर्थ की क्लास चल रही थी। समर्थ के तहत एक-एक घंटे की पढ़ाई पंजाबी, मैथ्स और इंग्लिश की हो रही है। इसके बाद जुलाई के सिलेबस के अनुसार पढ़ाया जा रहा है। बारिश के कारण स्टूडेंट्स की संख्या कम रही। लेकिन, आमतौर पर सभी स्टूडेंट्स होने पर क्लास मैनेज करने में भी परेशानी होती है। जानकारी के अनुसार यहां लंबे समय से एक ही अध्यापक है। नए दाखिले भी ज्यादा नहीं होते।
139 सरकारी स्कूलों में सिंगल टीचर, आठ क्लासेस एक साथ संभाल रहे हैं
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